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दक्षिण कोरिया की तर्ज पर भारत में होगा विकास, मोदी सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी भाजपा

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रणनीतिक लिहाज भारत के लिए बेहद अहम स्थान रखने वाले दक्षिण कोरिया से भारतीय जनता पार्टी काफी प्रभावित है। दक्षिण कोरिया एशिया में प्रौद्योगिकी और औद्योगिक तौर पर बेहद संपन्न देश माना जाता है। भाजापा, दक्षिण कोरिया की विकास यात्रा से लेकर वहां के मौजूदा राजनीतिक और आर्थिक तंत्र पर एक रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिसे वह मोदी सरकार को सौंपेगी। यह रिपोर्ट इस बात पर केंद्रित होगी कि किस तरह विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी दक्षिण कोरिया अपनी अर्थव्यवस्था को सफल बनाने में कामयाब हुआ। 

स्कूलों में पढ़ाई जाती है रविंद्र नाथ टैगोर की कविता

भाजपा का एक शीर्ष नेताओं का प्रतिनिधिमंडल सप्ताह भर के लिए दक्षिण कोरिया गया था, जहां वह ये देखकर हैरान रह गए कि उनके स्कूलों में आज भी रविंद्र नाथ टैगोर की कविता ‘लैंप ऑफ द ईस्ट’ पढ़ाई जाती है। टैगोर के नाम से दक्षिण कोरिया का एक भावनात्मक रिश्ता जुड़ा हुआ है। हैरान करने वाली बात ये है कि टैगोर कभी दक्षिण कोरिया नहीं गए, लेकिन उन्होंने वहां के उत्थान के बारे में कुछ लाइनों में ऐसी कविता लिखी जो वहां के लोगों की जुबान पर है। भाजपा की ये छह सदस्यीय टीम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पी. मुरलीधर राव के नेतृत्व में दक्षिण कोरिया गई थी, पी. मुरलीधर राव ने बताया की ये रिपोर्ट अभी तैयार हो रही है। इसके साथ ही पी. मुरलीधर राव ने ये भी बताया कि हमें दक्षिण कोरिया से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है, वहां शिक्षा को लेकर सभी लोग बहुत जागरूक हैं।

जरूरी सुझावों पर मोदी सरकार कर सकती है अमल

मुरलीधर ने बताया कि वहां के थिंक टैंक, बुद्धिजीवियों, उद्यमियों के साथ बैठकें काफी प्रभावी रहीं, दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल के बीच आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक विचारों का आदान-प्रदान हुआ। दक्षिण कोरिया किस तरह से विपरीत परिस्थितियों में भी अपने को ताकतवर राष्ट्र और एशिया में संतुलनकारी शक्ति बनने में सफल हुआ है, इस लिहाज से वहां के सिस्टम की अच्छाइयों को लेकर एक रिपोर्ट तैयार हो रही है, जिनमें से जरूरी सुझावों को मोदी सरकार अमल में ला सकती है। इस प्रतिनिधिमंडल ने दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में स्थित डांगकूक स्टील प्लांट का भी जायजा लिया, जहां भारत से स्टील के बड़े-बड़े रोल यहा आयात किए जाते हैं और फिर उन्हें तकनीकी ढंग से बनाकर कर सनमाइका की तरह कई रंगों में दुनिया में निर्यात किया जाता है।

लुक ईस्ट नीति बनी ऐक्ट ईस्ट नीति 

दक्षिण कोरिया ने 90 के दशक में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर झटका खाने के बाद भी जिस तरह संभलकर तरक्की की, वह प्रेरणादायक है। दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया से लगी सीमा को पर्यटन उद्योग के रूप में तब्दील कर दिया है। सीमा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में भी पर्यटन की संभावनाओं को जन्म देना एक नई सोच को दर्शाता है। दक्षिण कोरिया की सत्ताधारी पार्टी और उसका थिंकटैंक भाजपा के बारे में जानने के लिए काफी उत्सुक रहा। प्रचंड बहुमत से मोदी सरकार की दो बार कैसे जीत हुई, भाजपा कैसे भारत में इतनी ताकतवर हुई? भाजपा कैसे चुनाव लड़ती है? इन तमाम सवालों को जानने के लिए वे काफी उत्सुक रहे। पीएम मोदी ने सत्ता में आने के बाद भारत की लुक ईस्ट नीति को नया आयाम देते हुए इसे ऐक्ट ईस्ट कर दिया। वर्ष 2015 से इस नीति पर फोकस करने के बाद से दक्षिण कोरिया संग भारत की दोस्ती काफी मजबूत हुई है। दोनों देशों के एक-दूसरे का रणनीतिक साझेदार बनने के बाद से द्विपक्षीय व्यापार बढ़ा है।

व्यापार को 2030 तक 50 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य

2015-16 तक भारत और दक्षिण कोरिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 16 अरब डॉलर था, जो 2017 में बढ़कर 20 अरब डॉलर से ज्यादा हो गया। भारत और दक्षिण कोरिया ने द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 50 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। प्रौद्योगिकी, रसायन, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, वस्त्र आदि उद्योगों में दक्षिण कोरिया की नामी कंपनियां भारत में 3.5 अरब डॉलर से ज्यादा निवेश कर चुकी हैं।

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