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कांग्रेस सरकारों ने घोटाले न किए होते तो आज जापान से आगे होता भारत !

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कांग्रेस ने 60 सालों तक देश को खूब जमकर लूटा है। कांग्रेस की सरकारों के तहत घोटालों की सूची इतनी लंबी है कि कभी खत्म नहीं होती। आत्महित और घोटाले कांग्रेस का हिस्सा बन गए थे। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार 2004-2014 के कार्यकाल के दौरान तो हमेशा किसी न किसी घोटाले की खबरों में रही है। इस दौरान साल दर साल घोटालों की संख्या बढ़ती ही चली गई। एक आंकलन के अनुसार अगर सिर्फ ये घोटाले न हुए होते तो भारत आज विश्व महाशक्ति होता।

14 सितंबर को जापान के पीएम शिंजो आबे और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में बुलेट ट्रेन की आधारशिला रखेंगे। जाहिर है ये देश में एक नये युग की शुरुआत होगी। लेकिन कांग्रेस इस पर सवाल उठा रही है और तंज कस रही है। बहरहाल हम आपको उस सच्चाई से रूबरू कराना चाहते हैं जो कांग्रेस के घोटालों की पोल तो खोलेगी ही, साथ ही यह भी बताएगी कि अगर कांग्रेस के कार्यकाल में घोटाले न हुए होते तो भारत को कितना लाभ होता।

कांग्रेस ने घोटाला न किया होता तो बुलेट ट्रेन में जापान से आगे होता भारत
कांग्रेस सरकार ने करीब 5, 58, 278 करोड़ रुपये का घोटाला किया। घोटालों के इतने पैसों से 2685 किलोमीटर बुलेट ट्रेन चल सकती थी। अगर देखें तो जापान में बुलेट ट्रेन ट्रैक नेटवर्क लगभग 2616 किलोमीटर है। साफ है कि अगर कांग्रेस ने घोटाला न किया होता तो जापान से भारत आगे होता।

कांग्रेसी घोटाले न होते तो क्या हो सकता था?

कोयला घोटाला 1.86 लाख करोड़ रु. दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन
2 जी घोटाला 1.76 लाख करोड़ रु. दिल्ली-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन
सिंचाई घोटाला 70,000 करोड़ रु. दिल्ली-बीकानेर बुलेट ट्रेन
कॉमनवेल्थ घोटाला 35,000 करोड़ रु. दिल्ली-हरिद्वार बुलेट ट्रेन

मुबंई से 530 किलोमीटर के मुबंई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन पर होने वाला खर्च-1.10 लाख करोड़ रुपये

1 किलोमीटर के लिए यह खर्च लगभग 208 करोड़ रुपये होगा।

बुलेट ट्रेन बनाम यूपीए सरकार घोटाला
राहुल गांधी की कांग्रेस सरकार में दर्जनों घोटाले हुए, लेकिन मात्र 2 घोटालों के पैसे से देश में तीन बुलेट ट्रेन बन सकती थी।

कोयला घोटाला 1.86 लाख करोड़ रुपये
2जी घोटाला 1.76 लाख करोड़ रुपये
महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला 70,000करोड़ रुपये
कामनवेल्थ घोटाला 35,000 करोड़ रुपये
स्कार्पियन पनडुब्बी घोटाला 1,100 करोड़ रुपये
अगस्ता वेस्ट लैंड घोटाला 3,600 करोड़ रुपये
टाट्रा ट्रक घोटाला 14 करोड़ रुपये

यूपीए सरकार के दौरान कई घोटाले हुए उसमें मात्र 7 घोटालों में देश को 4,71,714 करोड़ रुपये का चूना लगाया गया। 4,71,714 करोड़ रुपये में लगभग 2,267 किलोमीटर के लिए बुलेट ट्रेन चलायी जा सकती थी। 

वे शहर जहां 4,71,714 करोड़ रुपये में बुलेट ट्रेनें चलायी जा सकती थीं-

दिल्ली से 2,212 किलोमीटर दूर चेन्नई के लिए या
इन शहरों के लिए-

दिल्ली- लखनऊ 490 किमी
दिल्ली- जयपुर 268 किमी
दिल्ली- आगरा 214 किमी
दिल्ली- बीकानेर 435 किमी
दिल्ली- पुष्कर 408 किमी
दिल्ली- हरिद्वार 208 किमी
दिल्ली-मथुरा 159 किमी

एक नजर कांग्रेस की सरकारों में हुए कुछ प्रमुख घोटालों पर-

बोफोर्स घोटाला (1986)
1980 के दशक में इस घोटाले में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी, हिंदुजा और कई अन्य शक्तिशाली नाम शामिल थे। यह घोटाला भारत को 155 मिमी फील्ड होवित्जर्स के साथ प्रदान करने के लिए एक बोली जीतने के बारे में था।

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2008)
भारत में सबसे बड़ा घोटाला 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला था, जिसमें दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर निजी दूरसंचार कंपनियों को 2008 में बहुत सस्ते दरों पर 2 जी लाइसेंस जारी करने का आरोप लगाया गया था। नियमों का पालन नहीं किया गया था, लाइसेंस जारी करते समय केवल पक्षपात किया गया था। इसमें 1.96 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। दरअसल सरकार ने 2001 में स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए प्रवेश शुल्क रखा था। इसमें दूरसंचार के बारे अनुभवहीन कंपनियों को लाइसेंस जारी किया गया था। भारत में 2001 में मोबाइल उपभोक्ता 4 मिलियन थे जो 2008 में बढ़ोतरी करके 350 मिलियन तक पहुंच गये।

सत्यम घोटाला (2009)
सत्यम कंप्यूटर सर्विसेजस के घोटाले से भारतीय निवेशक और शेयरधारक बुरी तरह प्रभावित हुए। यह घोटाला कॉरपोरेट जगत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, इसमें 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। पूर्व चेयरमैन रामलिंगा राजू इस घोटाले में शामिल थे, जिन्होंने सब कुछ संभाला हुआ था। बाद में उन्होंने 1.47 अरब अमेरिकी डॉलर के खाते को किसी प्रकार के संदेह के कारण खारिज कर दिया। उस साल के अंत में, सत्यम का 46% हिस्सा टेक महिंद्रा ने खरीदा था, जिसने कंपनी को अवशोषित और पुनर्जीवित किया।

कॉमनवेल्थ गेम घोटाला (2010)
राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी और संचालन के लिए लिये लिया गया धन भारी मात्रा में घोटाले में चला गया। इसमें लगभग 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। इस घोटाले में कई भारतीय राजनेता नौकरशाह और कंपनियों के बड़े लोग शामिल थे। इस घोटाले के प्रमुख पुणे के निर्वाचन क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि सुरेश कलमाड़ी थे। उस समय, कलमाड़ी दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे। इसमें शामिल अन्य बड़े लोगों में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री- शीला दीक्षित और रॉबर्ट वाड्रा हैं। इसका गैर-अस्तित्व वाली पार्टियों के लिए भुगतान किया गया, उपकरण की खरीद करते समय कीमतों में तेजी आई और निष्पादन में देरी हुई थी।

कोयला घोटाला (2012)
कोयला घोटाले के कारण भारत सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सीएजी ने एक रिपोर्ट पेश की और कहा कि 194 कोयला ब्लॉकों की नीलामी में अनियमितताऐं शामिल हैं। सरकार ने 2004 और 2011 के बीच कोयला खदानों की नीलमी नहीं करने का फैसला किया था। कोयला ब्लॉक अलग-अलग पार्टियों और निजी कंपनियों को बेच दिये गये थे। इस निर्णय से राजस्व में भारी नुकसान हुआ था।

हेलिकॉप्टर घोटाला (2012)
यह घोटाला भारत में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है जिसमें कई राजनेता, भारतीय वायु सेना के चीफ एयर मार्शल एसपी त्यागी और हेलिकॉप्टर निर्माता अगस्टा वेस्टलैंड जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। कंपनी ने 610 मिलियन आमेरिकी डॉलर के 12 हेलीकाप्टरों की आपूर्ति में एक अनुबंध पाने के लिए रिश्वत दी थी। इटली की एक अदालत में 15 मार्च 2008 को प्रस्तुत एक नोट यह संकेत करता है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी घोटाले में शामिल थीं।

टाट्रा ट्रक घोटाला (2012)
वेक्ट्रा के अध्यक्ष रवि ऋषिफॉर्मर और सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग प्रतिबंध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला पंजीकृत किया था। इसमें सेना के लिए 1,676 टाटा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।

आदर्श घोटाला (2012)
इस घोटाले में मुंबई की कोलाबा सोसायटी में 31 मंजिल इमारत में स्थित फ्लैटों को बाजार की कीमतों से कम कीमत पर बेचा गया था। इस सोसायटी को सैनिकों की विधवाओं और भारत के रक्षा मंत्रालय के कर्मियों के लिए बनाया गया था। समय की अवधि में, फ्लैटों के आवंटन के लिए नियम और विनियमन संशोधित किए गए थे। इसमें महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- सुशील कुमार शिंदे, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण के खिलाफ आरोप लगाये गये थे। यह जमीन रक्षा विभाग की थी और सोसायटी के लिये दी गई थी।

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