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मोदी सरकार के 4 वर्ष: स्वच्छ भारत अभियान ने बदल दी देश की सोच

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान ने देश भर में जनमानस को प्रभावित किया है। हर दिन, समाचार पत्रों में खबरें प्रकाशित होती रहती हैं कि देश के अमुक गांव में अमुक व्यक्ति शौचालय बनवाने का काम उसी मिशन के साथ कर रहा है, जैसा कभी आजादी के परवाने गुलामी से आजाद होने के लिए किया करते थे।

प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर 2014 से जिस स्वच्छता अभियान की शुरुआत दिल्ली की वाल्मीकि बस्ती में झाडू लगाकर की थी, आज वह एक जन आंदोलन में बदल गया है। चार सालों में देश में स्वच्छता की स्थिति, आजादी के बाद से सबसे बेहतर है, ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं थी। आइये, आंकड़ो के जरिए देश में स्वच्छता की स्थिति की तस्वीर को जीवंत करने का प्रयास करते हैं।

देश में दो तिहाई गांव, खुले में शौच से मुक्त- साल 2014 से पहले, इस देश के शहरों और गांवों में खुले में शौच करना एक सामान्य व्यवहार था और मात्र 38 प्रतिशत क्षेत्र में ही शौचालयों का निर्माण हो सका था। 2014 के बाद से इस स्थिति में जबरदस्त बदलाव आया है, देश के 78.98 प्रतिशत के क्षेत्र पर शौचालयों का विस्तार हुआ। 31 मार्च 2018 तक के आंकड़े बताते हैं कि देश के 266 जिलों के 3 लाख 40 हजार गांवों में, 6.8 करोड़ शौचालयों का निर्माण केन्द्र सरकार के स्वच्छता अभियान के तहत किया जा चुका है। इन शौचालयों के बन जाने से लोगों के व्यवहार में भी परिवर्तन आने लगा और खुले में शौच जाना भी बंद हो गया। आज, ये सभी गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने, स्वच्छता अभियान के शुभारंभ पर 2 अक्टूबर 2014 को देशवासियों के साथ संकल्प लिया था कि महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2019 तक पूरे देश के हर गांव, हर शहर को खुले में शौच से मुक्त करना है और घर में शौचालय की व्यवस्था को सुनिश्चित करना है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छता अभियान के केन्द्र में गंगा औऱ यमुना जैसी नदियों की स्वच्छता को रखा है, क्योंकि देश की इन पवित्र नदियों को गंदा करने में घरों से निकलने वाले अपशिष्ट का हिस्सा सबसे अधिक होता है। स्वच्छता अभियान के तहत, गंगा के किनारे बसे सभी 4,464 गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं।

देश में आधे से अधिक शहर, खुले में शौच से मुक्त-प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान से गांवों का ही नहीं, शहरों का भी कायाकल्प हुआ है। देश के सभी 4041 शहरों को अक्टूबर 2019 तक खुले में शौच से मुक्त करने के लक्ष्य की ओर सरकार और जनता मिलकर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। 31 मार्च 2018 तक के आंकड़ों से यह तस्वीर उभरती है कि देश में आधे से अधिक शहर यानि 2477 शहरों में खुले में शौच से मुक्ति हो चुकी है। शहरों में चल रहे स्वच्छता आंदोलन से 46 लाख 36 हजार 158 व्यक्तिगत और 3 लाख 6 हजार 64 सामुदायिक व सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कर दिया गया है। शहरों के 61 हजार 846 वार्डों के सभी घरों से यानि 100 प्रतिशत घरों से कूड़ा-कचरा एकत्रित किया जा रहा है।

देश के सभी विद्यालयों में शौचालयों का निर्माण- 15 अगस्त 2014 को लाल किले के प्राचीर से देश को अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वचन दिया कि एक वर्ष में ही देश के सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालयों का निर्माण पूरा कर लिया जायेगा। इस वचन को पूरा करते हुए, 15 अगस्त 2015 तक देश के सभी 11 लाख 21 हजार सरकारी स्कूलों के 13 करोड़ 77 लाख बच्चों के लिए 4 लाख 17 हजार 796 शौचालयों का निर्माण कर दिया गया। सबसे आश्चर्य की बात है कि साल 2014 से पहले दशकों के इंतजार के बावजूद भी सरकारी स्कूलों में मात्र 2 लाख 61 हजार 400 शौचालय ही बन पाये थे, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने एक साल में ही इससे दोगुना शौचालयों का निर्माण करवा दिया। प्रधानमंत्री मोदी की इस उपलब्धि में सबसे बड़ी बात यह कि इन शौचालयों का निर्माण, माओवादी प्रभावित क्षेत्रों के अतिरिक्त देश के दुर्गम और सुदूर क्षेत्रों में हुआ है।

गंगा की अविरल और निर्मल धारा के लिए ठोस कदम-मां गंगा की धारा को अविरल और निर्मल बनाए रखने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने देश की जनता से जो वादा किया था, उसके लिए नमामि गंगे परियोजना को मजबूती से लागू किया। 2014 के पहले की सरकारों ने जिस तरह से गंगा की सफाई के लिए हजारों करोड़ रुपये, दशकों तक बिना किसी ठोस और समग्र योजना के बहाया, उसका ही परिणाम है कि मां गंगा को निर्मल करने में वक्त लग रहा है। 2014 के बाद से नमामि गंगे के तहत अपशिष्ट पदार्थों की सफाई के लिए Sewage treatment plant, शवदाह स्थानों को आधुनिक बनाने, घाटों के पुर्नोद्धार, River Front, जीव-जंगल व पर्यावरण को बनाये रखने के लिए 17 हजार 5 सौ 66 करोड़ की 187 परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। इनमें से 93 योजना नये Sewage Treatment Plant बनाने के हैं, जिसके जरिए 2205.08 MLD अपशिष्ट जल के शोधन के अतिरिक्त मौजूदा STPs की क्षमता को 564.3MLD तक करने की है, इन्हीं योजनाओं में 4762.4 किलोमीटर सीवर नेटवर्क का भी काम होगा। 31 मार्च 2018 तक 198 MLD का जल शोधन कर सकने वाले STPs और 1147 किलोमीटर सीवर नेटवर्क का निर्माण किया जा चुका है। इन्हीं चार सालों के दौरान 333 प्रकार के उन उद्योगों को बंद करवा दिया गया, जो गंगा को बुरी तरीके से गंदा कर रहे थे। नमामि गंगे के तहत आठ स्थानों पर Real Time Water Quality Monitoring Station काम कर रहे हैं।

गांवों की आधी आबादी को पाइप के जरिए पानी मिला- गांवों में भी पाइप के जरिए स्वच्छ जल पहुंचाने की मुहिम में पिछले चार सालों में अधिक तेजी आयी है। साल 2014 के बाद से अब तक 2,70,000 बस्तियों में पाइप के जरिए स्वच्छ जल पहुंचा दिया गया है। अब तक ग्रामीण आबादी के आधे से अधिक को यानि 56 प्रतिशत को पाइप के जरिए पानी पहुंचा दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प है कि 2020 तक आर्सेनिक और फ्लोराइड से प्रभावित 28000 बस्तियों को स्वच्छ जल उपलब्ध करवाना है। चार सालों में स्वच्छता अभियान की सफलता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी इस लक्ष्य को भी प्राप्त कर लेंगे।

प्रदूषण के काल को मिटाता-स्वच्छता अभियान-स्वच्छता अभियान ने समग्र रुप से सभी पहलुओं की सफाई पर विशेष ध्यान दिया है। इसके तहत जल, जमीन, जंगल के साथ साथ पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण का निदान निकाला गया है। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए 6 अप्रैल 2015 को देश के सभी प्रमुख शहरों की वायु गुणवत्ता मापने के लिए National Air Quality Index शुरू कर दिया गया। इन चार सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि देश में अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन के नियम बनाये गये और जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए बनाये गये उपायों के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दिसंबर 2015 में पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया गया।

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