Home पोल खोल देश पर अपरिपक्व नेतृत्व थोपने की फिराक में रहता है गांधी-नेहरू परिवार!

देश पर अपरिपक्व नेतृत्व थोपने की फिराक में रहता है गांधी-नेहरू परिवार!

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राहुल गांधी को भले ही वोटरों ने बार-बार नकारा हो लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री बनाने के लिए सोनिया गांधी की बेचैनी जब ना तब झलकती रही है। सोनिया का अब जैसे एक ही लक्ष्य है कि कैसे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर एक बार बेटे को बैठा देख लें। लेकिन विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव, कांग्रेस का बीड़ा उठाने वाले राहुल गांधी लगभर हर चुनावी समर में औंधे मुंह गिरते रहे हैं और उठने की कोई उम्मीद भी नहीं नजर आती। राहुल की इस स्थिति को लोग उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता से सबसे ज्यादा जोड़कर देखते हैं। लेकिन राहुल ही क्यों उनके पिता राजीव गांधी भी राजनीतिक रूप से अपरिपक्व ही माने जाते थे। राजीव गांधी के अपरिपक्व होने की बात तो पुराने दस्तावेजों में भी दर्ज रही है जो अब सामने आई है।

CIA ने माना था राजीव गांधी को ‘अपरिपक्व’
अमेरिकी खुफिया एजेंसी (CIA)  ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद के लायक नहीं माना था। 34 साल पहले इस रिपोर्ट में ये बात दर्ज की गई थी कि अगर इंदिरा गांधी की अकस्मात मौत हो जाती है तो उनके बेटे राजीव गांधी उनके बाद प्रधानमंत्री का कार्यभार नहीं संभाल सकते। रिपोर्ट में इसकी वजह राजीव गांधी की राजनीतिक रूप से अपरिपक्वता को बताया गया था।

सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA)  की ये रिपोर्ट इंदिरा गांधी की हत्या से महज पौने दो साल पहले 14 जनवरी 1983  की है जिसे कुछ कांट-छांट के बाद पिछले साल दिसंबर में सार्वजनिक की गई।  इस रिपोर्ट में लिखा है : ‘’इंदिरा गांधी की अचानक हत्या होने पर राजीव गांधी उत्तराधिकारी की दौड़ में शामिल चेहरों में होंगे। उनके (राजीव गांधी) पदभार संभालने की संभावनाएं अनिश्चित हैं क्योंकि राजनीतिक रूप से वो अपरिपक्व हैं और पार्टी के साथ ही वोटरों पर अपना प्रभाव छोड़ने में नाकाम हैं‘’

राजीव के अलावा कई और विकल्प  
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है : ‘’इंदिरा गांधी के ऑफिस में और अधिक समय तक रहने पर राजीव गांधी की संभावनाओं में सुधार हो सकता है। यदि राजीव गांधी अपनी मां की तरह सफल राजनीतिक रणनीतिकार बनकर नहीं उभरते तो सत्ता में आने के बावजूद वो वहां अपनी पकड़ को मजबूत बनाये नहीं रख सकते।‘’

इस रिपोर्ट में इंदिरा गांधी के नहीं होने की स्थिति में प्रधानमंत्री के रूप में दूसरे और विकल्पों में तत्कालीन रक्षा मंत्री आर वेंकटरमन, विदेश मंत्री पीवी नरसिम्हा राव, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और उद्योग मंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी के नाम मिले हैं।

‘अपरिपक्व’ होने के बावजूद राजीव बने थे पीएम
हालांकि 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की घटनाएं CIA के आकलन के अनुरूप नहीं रहीं..क्योंकि इंदिरा गांधी के उत्तराधिकारी के रूप में राजीव गांधी ने ही प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। उसके दो महीने बाद हुए लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर में कांग्रेस को बड़ा जनादेश मिला था और प्रधानमंत्री पद पर राजीव गांधी ही बने रहे थे।

सत्ता पर पकड़ नहीं रख पाए थे राजीव गांधी
लेकिन CIA अपने उस आकलन में बहुत हद तक सही निकली कि राजीव गांधी सत्ता में आए भी तो पकड़ नहीं बनाये रख सकेंगे। हुआ भी वही। ऐतिहासिक जनादेश के मद में उन्होंने कई ऐसे फैसले किये जिनसे विवादों का गहरा नाता जुड़ा। फिर बोफोर्स घूस कांड में घिरकर उन्होंने अपनी सत्ता भी गंवा दी थी।

अब तो कांग्रेस का अस्तित्व भी खतरे में
CIA ने ‘India in the Mid-1980s: Goals and Challenges’ नामकी ये रिपोर्ट सूचना के स्वतंत्रता कानून (FOIA) के तहत जारी की है जो भारत के सूचना के अधिकार (RTI) की तर्ज पर अमेरिकी कानून है। इस रिपोर्ट में उस दौर के भारत में संभावनाओं और विभिन्न राजनीति परिदृश्यों पर विचार किया गया है। इस रिपोर्ट में से कुछ जानकारियां हटाये जाने के बाद 30 पेज का जो दस्तावेज है उसमें 1985 में होने वाले चुनाव में मामूली अंतर से इंदिरा गांधी के दोबारा चयन और उससे पहले उनके आकस्मिक निधन होने की स्थितियों पर विचार और आकलन रखे गए हैं। CIA की रिपोर्ट में कहा गया था कि इंदिरा गांधी के नहीं होने से उत्पन्न परिस्थितियों में कांग्रेस कमजोर पड़ जाएगी। गौर करने वाली बात है कि उसी वक्त से कांग्रेस की हालत लगातार बिगड़ती चली गई और अब तो उसका अस्तित्व भी खतरे में है।

दुनिया भर में खुफिया एजेंसियां अपने हित से जुड़े देशों की राजनैतिक परिस्थितियों का आकलन करने के लिए भी जानी जाती हैं। लेकिन CIA की इस रिपोर्ट से एक बात पर जरूर मुहर लगती दिख रही है कि इंदिरा गांधी के बाद गांधी-नेहरू परिवार देश पर अपरिपक्व नेतृत्व थोपने की फिराक में ही लगा रहता है।  

 

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