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मोदी हैं, तो क्या गम है!

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नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश की जनता विश्वास और मजबूत हुआ है। देश की जनता के बीच एक ऑनलाइन सर्वे हुआ। इस सर्वे से जो निष्कर्ष निकला है, उसका एक ही अर्थ निकलता है… मोदी हैं, तो क्या गम है। यह सर्वे मशहूर लेखक चेतन भगत ने किया है। सर्वे के मुताबिक, अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए आपातकाल की घोषणा कर दें, तो भी 57 फीसदी लोग मोदी के फैसले के साथ खड़े रहेंगे। वहीं 55 फीसदी लोगों का मानना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लोकतंत्रीय व्यवस्था से इतर जाएंगे तब भी मोदी का साथ देंगे।

आपातकाल की त्रासदी झेल चुकी जनता अगर आपातकाल का समर्थन करे, यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है। यह प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व का करिश्मा है। यह उनके सकारात्मक ऊर्जा का ही प्रभाव है। भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैया देख देश का विश्वास प्रधानमंत्री मोदी में बढ़ा है। तभी तो देश की जनता आपातकाल के लिए भी मोदी नेतृत्व की चाह रखने लगी है। यह मोदी के प्रति भारतीय जनमानस का अटूट भरोसा है।

ये वही जनता है, जो इंदिरा गांधी के राज में आपातकाल की त्रासदी को झेलने को मजबूर चुकी है। ये वही लोग हैं, जिन्होंने आपातकाल को लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय बताया है। ये वही पब्लिक है, जिसने मौका पाया तो इंदिरा गांधी जैसी शख्सियत को सत्ता से बेदखल करने में देर नहीं लगाई। वह भी तब जब पूर्वी पाकिस्तान का नामोनिशां मिटाकर एक अलग देश बांग्लादेश बना दिया।

नोटबंदी का निर्णय लेने के बाद देश की जनता से प्रधानमंत्री मोदी ने 50 दिन का वक्त मांगा था। 50 दिन पूरा होने को है। लोगों की परेशानियों को देखते हुए तमाम विरोधी पार्टियां इसे आर्थिक आपातकाल की संज्ञा दे दी। ऐसे में, मशहूर लेखक चेतन भगत ने एक ऑनलाइन सर्वे किया। इस सर्वे का जो नतीजा आया, वह बेहद चौंकाने वाला है। सर्वे का निष्कर्ष तमाम विरोधी पार्टियों की नींद उड़ाने वाला है।

सर्वे में 57 फीसदी लोगों का मानना है कि अगर मोदी जी भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए आपातकाल की घोषणा करते हैं, तब भी उनके फैसले का समर्थन करेंगे। वहीं, 55 फीसदी लोगों ने माना कि लोकतंत्रीय व्यवस्था से परे जाकर आपातकाल लगाया जाता है तब भी वे मोदी के साथ रहेंगे। इस सर्वे में 10,188 लोगों ने अपना मत दिया है।

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