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मोदी सरकार की एक और बड़ी पहल, सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वालों से लिया जाएगा फीडबैक

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क्या सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने में आपको किसी भी तरह की परेशानी हुई है? क्या इलाज के दौरान अस्पताल ने जिस प्रकार की सेवाएं दीं, आप उनसे संतुष्ट हैं? मोदी सरकार उन लोगों से अब ऐसे सवाल पूछने की पहल करने जा रही है जो सरकारी अस्पतालों में अपना इलाज करवाएंगे। इस फीडबैक का मकसद है देश के सरकारी अस्पतालों को अधिक से अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाना।

…ताकि नहीं हो सिर्फ इलाज की खानापूर्ति
आम तौर पर सरकारी अस्पतालों को लेकर ये धारणा है कि यहां इलाज के लिए समुचित सुविधाओं की कमी होती है और मरीजों को अपेक्षित उपचार नहीं मिल पाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वास्थ्य के क्षेत्र को हर प्रकार से चाक चौबंद करने का जो बीड़ा उठाया है, उसी का एक हिस्सा ये भी है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को उनकी आवश्यकता के अनुरूप इलाज मिले। इसलिए सरकार मरीजों से लिए जाने वाले फीडबैक को लेकर एक सही सिस्टम तैयार करने जा रही है, जिसमें सरकारी अस्पताल में अपने इलाज को लेकर कोई मरीज अपनी बात खुलकर रख सकता है। सरकार इस फीडबैक के आधार पर सरकारी अस्पतालों की सुविधाओं को लोगों के अनुकूल बनाने की दिशा में हरसंभव कदम उठाएगी।    

सभी सरकारी अस्पताल जुड़ेंगे सिस्टम से
आने वाले समय में देश के सभी सरकारी अस्पतालों से इस फीडबैक सिस्टम को जोड़ा जाएगा। जब मरीजों से यह पूछा जाएगा कि उनका इलाज कैसा हुआ, तो इस पर मिलने वाले जवाब से यह ज़ाहिर हो सकेगा कि सरकारी अस्पताल और वहां के चिकित्साकर्मियों ने मर्ज को लेकर कितनी गंभीरता दिखाई है। मौजूदा सरकार ने सरकारी अस्पतालों में सिस्टम की बेहतरी के लिए दो साल पहले  ‘मेरा अस्पताल’ नाम से एक और पहल की थी। इस पहल के भी सकारात्मक परिणाम आए हैं और यह मरीजों के अनुभव को पहले से बेहतर बनाने में मददगार रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक अब फीडबैक का यह सिस्टम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) के अलावा अन्य सभी सरकारी अस्पतालों पर जल्द ही लागू करने की योजना है।

बेहद कारगर रही है ‘मेरा अस्पताल’ पहल
‘मेरा अस्पताल’ पहल की शुरुआत अगस्त, 2016 में आंध्र प्रदेश से की गई थी। अब तक इससे करीब 1100 अस्पताल जोड़े जा चुके हैं। इसमें मरीज से, जिस भी माध्यम से उन्हें सुविधा हो उस माध्यम से फीडबैक मांगा जाता है। इलाज के हफ्ते भर के भीतर मरीज एसएमएस, इंटरेक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स सिस्टम, मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल के जरिए अपना फीडबैक दे सकते हैं। अभी यह सुविधा हिन्दी और अंग्रेजी समेत सात भाषाओं में उपलब्ध है जिसे जल्द ही दूसरी भाषाओं में भी उपलब्ध कराया जाएगा।

गरीब से गरीब के समुचित इलाज की प्रतिबद्धता
स्वस्थ नागरिक से ही देश स्वस्थ बनेगा। अपनी इसी सोच के साथ मोदी सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व योजनाओं की शुरुआत की है। प्रीवेंटिव से लेकर अफॉर्डेबल हेल्थकेयर के लिए कई ऐसे कदम उठाए गए हैं जिनसे स्वास्थ्य सुविधाओं तक जनसामान्य की पहुंच आसान हो। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए सरकार 25 सितंबर से आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान को लॉन्च करने जा रही है। इस अभियान के लॉन्च के साथ ही देश के गरीब परिवारों को समुचित इलाज और गंभीर बीमारियों से बचाने की महत्वाकांक्षी पहल पर अमल भी शुरू हो जाएगा। योजना के पहले चरण में देश के 10.74 करोड़ रुपये परिवार लाभान्वित होंगे। परिवार में किसी के भी बीमार पड़ने पर सरकार और बीमा कंपनियों की ओर से सालाना 5 लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा का कवर किया जाएगा।

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