Home समाचार किसके हाथ का मोहरा बनी थी गुरमेहर कौर, जानिए सच

किसके हाथ का मोहरा बनी थी गुरमेहर कौर, जानिए सच

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उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब चुनाव से ठीक पहले ‘पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, जंग ने उन्हें मारा है,’ की तख्ती लेकर खड़े होने वाली गुरमेहर कौर एक बार फिर सुर्खियों में है। गुरमेहर कौर ने सोमवार (5 मार्च, 2018) को प्रियंका गांधी के साथ ट्विटर पर एक फोटो शेयर की है। उन्होंने लिखा है कि, ‘किताब एक बेटी, उसके पिता की यादें, उसकी मां के बलिदान, एक विरासत, परिवार और देश से प्यार के बारे में है।’ उन्होंने यह भी लिखा है कि, ‘उनके साथ कोई है जो उन्हें सभी तरह से अच्छी तरह समझता है।’

करीब साल भर बाद आया गुरमेहर का यह ट्वीट, यह समझने के लिए काफी है कि वह किसके इशारे पर यह सब कर रही थी। गुरमेहर के ट्वीट पर एक यूजर पूजा मदान ने कहा है कि, ‘अच्छा तो सारी कृपा यहां से आ रही है।’

असल में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब चुनाव से पहले गुरमेहर को मोहरा बनाकर मोदी सरकार को बदनाम करने की साजिश रची गई। असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की आजादी को मुद्दा बनाकर चुनाव से पहले सरकार विरोधी माहौल बनाकर चुनावी फायदा उठाने की कोशिश की गई। सरकार विरोधी अभियान में गुरमेहर का इस्तेमाल कथित तौर पर कांग्रेस की करीबी पत्रकार ने भी किया। उन्होंने करीब एक गुमनाम सी लड़की को लाइमलाइट में लाने की पूरी कोशिश की।

कांग्रेस के इस अभियान में आम आदमी पार्टी ने भी खुलकर साथ दिया। आम आदमी पार्टी के करीबी राम सुब्रमण्यन ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई। बताया जाता है कि नीरा राडिया मामले में सुर्खियों में रही कांग्रेस की इस पक्षकार ने आम आदमी पार्टी के करीबी राम सुब्रमण्यम के साथ इसे तूल देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 

राम सुब्रमण्यन ने गुरमेहर कौर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। इस वीडियो में गुरमेहर ने करगिल युद्ध के नाम पर लोगों की भावनाओं के साथ खेलकर सरकार विरोधी लहर बनाने की कोशिश की थी। 

इस वीडियो में गुरमेहर कौर यह दावा करती है कि वह करगिल युद्ध में शहीद कैप्टन मनदीप सिंह की बेटी है, लेकिन कैप्टन मनदीप सिंह करगिल युद्ध में नहीं कुपवाड़ा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे।

इस वीडियो को पब्लिसिटी नहीं मिलने पर राम ने कांग्रेस के करीबी पक्षकार से संपर्क किया और कथित तौर पर कांग्रेस के साथ मिलकर इसे हवा दी और दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रदर्शन में छात्रों को बरगलाने की पूरी कोशिश की।

उस समय देश के गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू ने भी कहा था कि गुरमेहर को कोई गुमराह कर रहा है और कोई उनके अंदर जहर घोल रहा है।

दरअसल देश भर में मोदी लहर से परेशान कांग्रेस और लेफ्ट के नेता सेकुलर और असहिष्णुता के मुद्दे पर सरकार को बदनाम करने के लिए रोज कोई ना कोई मामला क्रिएट कर रहे थे। यूपी, उत्तराखंड और पंजाब चुनाव से पहले जेएनयू में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश विरोधी नारे लगाए गए। देश विरोधी नारे लगाने वाले उमर खालिद, कन्हैया कुमार और अनिर्बान जैसे छात्रों का लेफ्ट और कांग्रेस के नेताओं ने खुलकर समर्थन किया, लेकिन जब उमर खालिद को रामजस कॉलेज में होने वाले सेमिनार में आमंत्रित किया गया, तो एबीवीपी ने इसका जमकर विरोध किया।

एबीवीपी के विरोध के बाद उमर खालिद का आमंत्रण रद्द होने पर कांग्रेस और लेफ्ट के छात्र संगठन एनएसयूआई और आईएसा ने प्रदर्शन कर उसे बुलाने की मांग की। इसके बाद सामने आई गुरमेहर कौर… गुरमेहर कौर ने सोशल मीडिया पर एबीवीपी का विरोध किया। गुरमेहर ने एक पोस्टर पर लिखा, ‘मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा हूं। मैं एबीवीपी से नहीं डरती। मैं अकेली नहीं हूं। भारत का हर छात्र मेरे साथ है। #StudentsAgainstABVP’

इसके बाद सोशल मीडिया पर छात्रों ने #StudentsAgainstABVP के हैशटैग के साथ ऐसा ही संदेश लिखकर अपनी तस्वीर डालनी शुरू कर दी। इस हैशटैग को वायरल कर विपक्षी दलों ने छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बल पर माहौल अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश की लेकिन आखिरकार उन्हें निराशा ही हाथ लगी।

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