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गौरी लंकेश की हत्या का सच जानिए! तथाकथित और फर्जी सेक्युलरों को सेलिब्रेट करने का मौका मत दीजिए।

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कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में विवादास्पद महिला पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से हर कोई आहत है। जिस तरह से इस हत्या को अंजाम दिया गया है, उससे साबित होता है कि किसी ने गौरी से अपनी व्यक्तिगत दुश्मनी निकाली है। उनकी हत्या को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। इस हत्या की जितनी निंदा की जाए, उतनी ही कम है, लेकिन इस विवादास्पद पत्रकार की हत्या के बाद तथाकथित सेक्युलर पत्रकार बिरादरी ने इसे एंगल देना शुरू कर दिया है, वो पूरे पत्रकारीय धर्म की हत्या के समान है।  

आइये इस हत्या के पीछे के कुछ पहलुओं की जांच करते हैं

gauri lankesh with siddaramaiah के लिए चित्र परिणाम

कर्नाटक सरकार का भ्रष्टाचार है हत्या की वजह?
गौरी लंकेश की हत्या के बाद जिस तरीके से कर्नाटक के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंच गए, उससे लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं। दरअसल कहा जा रहा है कि गौरी लंकेश मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सरकार से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले पर ही जांच कर रही थी। एबीपी न्यूज के संवाददाता विकास भदौरिया ने ट्वीट किया है कि वह कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार से जुड़ी एक खबर पर काम कर रही थीं। उनके अलावा भी कई स्थानीय और दूसरे पत्रकारों ने इस एंगल की तरफ लोगों का ध्यान दिलाया है।

कविता लंकेश ने सीएम सिद्धारमैया से नहीं की बात !
इस हत्या का दूसरा पहलू यह है कि सीएम सिद्धारमैया ने यह स्वीकार किया है कि गौरी लंकेश उनसे मिलती रही हैं, लेकिन उन्होंने किसी तरह के डर की बात कभी नहीं की थी। बहरहाल, सीएम के अनुसार गौरी लंकेश चार सितंबर को उनसे मिलने वाली थीं, लेकिन वह मिलने नहीं पहुंचीं। अगले दिन पांच सितंबर को उनकी हत्या हो जाती है। सीएम तत्काल प्रतिक्रिया देते हैं और हत्यारों को पकड़ने की बात करते हुए एसआइटी का गठन भी कर देते हैं।

इन सब के बीच ऐसी खबरें हैं कि हत्या के बाद जब सीएम ने गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश से फोन पर बात करनी चाही तो उन्होंने बात करने से इंकार कर दिया। गौरतलब है कि कविता लंकेश और सीएम सिद्धारमैया के बीच कुछ दिनों पहले तक बेहद अच्छे संबंध हुआ करते थे। इतना ही नहीं जिस फिल्म में सिद्धारमैया एक्टिंग कर रहे हैं, उसकी प्रोड्यूसर भी कविता लंकेश ही हैं। फिर आखिर क्या हुआ है जो कविता लंकेश ने सीएम सिद्धारमैया से बात नहीं की?

kavita lankesh sister of gauri lankesh के लिए चित्र परिणाम

डी के शिवकुमार का ‘कच्चा चिट्ठा’ खोलने वाली थीं गौरी लंकेश?
गौरी लंकेश का कांग्रेसी नेताओं से कनेक्शन किसी से छिपा नहीं है, लेकिन कांग्रेस के ही कद्दावर नेता डी के शिवकुमार से उनकी तनातनी की खबरें भी सामने आई हैं। दरअसल डी के शिवकुमार वही हैं, जिन्होंने हाल ही में गुजरात के विधायकों को अपने आलीशान रिसार्ट में पनाह देकर अहमद पटेल की राज्यसभा में जीत पक्की करने की कांग्रेसी रणनीति पर अमल किया था। शिवकुमार 68 शहरों में अकूत संपत्ति के मालिक हैं। आयकर विभाग आज भी उनकी काली कमाई को खंगालने में लगा है। ऐसी खबरें हैं कि गौरी लंकेश भी डी के शिवकुमार का ‘कच्चा-चिट्ठा’ खोलने के काम में लगी थीं।

नीचे वह जवाब देखा जा सकता है जिसमें गौरी लंकेश ने खुद ही बताया था कि उनकी पत्रिका कांग्रेस विधायक डीके शिवकुमार के खिलाफ एक खबर पर काम कर रही है।

साफ है कि गौरी लंकेश के कई दुश्मन थे, लेकिन हल्लाबोल सेकुलर जमात ने अपनी तरफ से तो साबित भी कर दिया है कि हत्यारे दक्षिणपंथी हिंदू थे। वे यह देखना ही नहीं चाहते हैं कि गौरी लंकेश की अपनों से भी दुश्मनी थी। वामपंथियों और नक्सलियों से गौरी लंकेश के तनाव की खबरें भी आम थीं।
2014 में कांग्रेस सरकार ने उन्हें नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए बनाई गई कमेटी का सदस्य बना दिया था। जाहिरी तौर पर वह सत्ता के करीब थीं, लेकिन बीते दिनों वे अपनों के ही निशाने पर थीं।

नीचे के ये दो ट्वीट इस बात का इशारा करते हैं कि गौरी और उनके वामपंथी (शायद नक्सली) साथियों में कोई विवाद चल रहा था। गौरी लंकेश ने पहले ट्वीट में लिखा, ‘मुझे ऐसा क्यों लगता है कि हममें से कुछ लोग अपने आपसे ही लड़ाई लड़ रहे हैं? हम अपने सबसे बड़े दुश्मन को जानते हैं। क्या हम सब इस पर ध्यान लगा सकते हैं?’

एक अन्य ट्वीट में लंकेश ने लिखा, ‘हम लोग कुछ फर्जी पोस्ट शेयर करने की गलती करते हैं। आइए, एक-दूसरे को चेताएं और एक-दूसरे को एक्सपोज करने की कोशिश न करें।’

बहरहाल गौरी लंकेश से नक्सलियों के संबंध थे, ये तो जगजाहिर है, लेकिन मनमुटाव की खबरें सामने आने के बाद कर्नाटक के गृहमंत्री ने भी इस ओर इशारा किया है कि वे इसकी जांच करवाएंगे।

भाई इंद्रेश से था गौरी लंकेश का विवाद !
साल 1962 में जन्मीं गौरी कन्नड पत्रकार और कन्नड साप्ताहिक टैबलॉयड ‘लंकेश पत्रिका’ के संस्थापक पी. लंकेश की बेटी थीं। उनकी बहन कविता और भाई इंद्रजीत लंकेश फिल्म और थियेटर कलाकार हैं। पिता की मौत के बाद उनके भाई इंद्रजीत और उन्होंने ‘लंकेश पत्रिका’ की जिम्मेदारी संभाली। कुछ साल तो उनके और भाई के रिश्ते ठीक रहे, लेकिन साल 2005 में नक्सलियों से जुड़ी एक खबर के चक्कर में भाई और उनके बीच खटास पैदा हो गई। दरअसल भाई ने उन पर खबरों के जरिये नक्सलियों को हीरो बनाने के आरोप लगाए थे। इसके बाद दोनों के बीच का विवाद खुलकर सामने आ गया था।

थाने तक पहुंचा था भाई-बहन का विवाद
दोनों भाई-बहन के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि भाई इंद्रजीत ने उनके खिलाफ पुलिस थाने में ऑफिस के कम्प्यूटर, प्रिंटर चुराने की शिकायत कर दी। वहीं गौरी ने भाई के खिलाफ ही हथियार (रिवॉल्वर) दिखाकर धमकाने की शिकायत दर्ज करा दी।

दरअसल अपने भाई और पत्रिका के प्रोपराइटर/प्रकाशक इंद्रजीत से मतभेद के बाद उन्होंने लंकेश पत्रिका का संपादक पद छोड़कर 2005 में कन्नड टैबलॉयड ‘गौरी लंकेश पत्रिका’ की शुरुआत कर दी थी। 

इस ट्वीट में गौरी लंकेश के भाई और उनके बीच के विवाद की खबर है।

निकम्मी कांग्रेस सरकार पर क्यों चुप हैं तथाकथित सेक्युलर?

अभी तक पुलिस भी हत्यारों को लेकर उलझन में है। एक धुंधले सीसीटीवी फुटेज के अलावा पुलिस ने किसी ठोस सबूत मिलने की जानकारी नहीं दी है, पर तथाकथित सेक्युलरों ने तो गौरी लंकेश की हत्या के लिए एक विशेष विचारधारा को जिम्मेदार ठहरा भी दिया है। वे यह नहीं कह पा रहे हैं कि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार निकम्मी है। दरअसल 30 अगस्त, 2015 को कर्नाटक में लेखक कलबुर्गी की भी हत्या कर दी गई थी। उस वक्त भी इसी तरह पूर्वाग्रही सेक्युलर जमात ने दक्षिणपंथी चारधारा को ही जिम्मेदार ठहराया था। आज इस हत्या के दो साल हो गए, पर कर्नाटक की कांग्रेसी सरकार इस पर राजनीति तो करती रही, लेकिन वास्तविक हत्यारे को नहीं खोज पाई।

CBI जांच से क्यों बच रही है राज्य सरकार?
बहरहाल, गौरी लंकेश के भाई इंद्रेश को राज्य सरकार पर भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा, “मैं सीबीआई जांच की मांग करता हूं। जैसा कि पहले भी देखा जा चुका है कि कलबुर्गी के मामले में, जिसमें राज्य सरकार ने जांच की थी जो काफी निराशाजनक रही। मैं कह सकता हूं कि उन्होंने कुछ नहीं किया। कोई नहीं जानता कि गुनाहगार कौन है।“

इंद्रेश की बातों से कम से कम यह बात तो साफ है कि उनकी नजर में राज्य सरकार पर विश्वास नहीं किया जा सकता, यानी इंद्रेश भी कविता लंकेश द्वारा पैदा किए हुए संदेह के बादल को और घना करते रहे हैं। इस बीच केंद्रीय मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने कहा है कि कर्नाटक सरकार को गौरी लंकेश का केस सीबीआई को सौंप देना चाहिए। हालांकि राज्य सरकार ने अब तक सीबीआई जांच की बात नहीं कही है। सवाल यह है कि राज्य सरकार सीबीआई जांच से क्यों बचना चाह रही है?

gauri lankesh with siddaramaiah के लिए चित्र परिणाम

ऐसा लगता है कि इस तरह की जघन्य हत्याएं भी इन तथाकथित सेक्युलर और वामपंथी विचारधारा के लोगों को दुख नहीं देती, बल्कि बनावटी शोक के जरिये ये सेलिब्रेट करते हैं और भाजपा एवं प्रधानमंत्री पर अनर्गल आरोप लगाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। ऐसे लोगों का पर्दाफाश करना जरूरी है।

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