प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर थामने के साथ ही वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने का अपना मजबूत इरादा जता दिया था। आज उसके ऐसे परिणाम सामने आ रहे हैं जो देश को विश्वस्तरीय गौरव दिला रहे हैं।
आज हर पांच में से चार भारतीयों के बैंक खाते
वर्ल्ड बैंक द्वारा गुरुवार को जारी की गई Global Findex की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2014 तक सिर्फ 53 प्रतिशत भारतीयों के पास बैंक खाते थे जबकि 2017 तक 80 प्रतिशत भारतीय बैंक खाताधारी हो चुके थे। यानि देश में हर पांच में से चार लोगों ने बैंक खाता खोला है। जाहिर है कि 2014 में ही मोदी सरकार सत्ता में आई थी जिसके बाद यह तेजी आई है।
मौजूदा सरकार में वित्तीय समावेशन में तेजी
रिपोर्ट में वित्तीय समावेशन की वैश्विक वृद्धि में भारत के योगदान को दर्शाया गया है। Bill & Melinda Gates Foundation की फंडिंग से शुरू की गई Global Findex युवाओं की बचत, कर्ज, भुगतान के तरीकों और रिस्क मैनेजमेंट के आंकड़ों पर नजर रखती है। उसके आंकड़ों के मुताबिक 2011 में सिर्फ 35 प्रतिशत भारतीयों के पास बैंक खाते थे। इसके साथ ही रिपोर्ट भारत में बैंक खातों, डेबिट कार्ड और मोबाइल कनेक्शन की उपलब्धता को दिखाती है, जो भविष्य में खातों के इस्तेमाल में सुधार करने में महत्वपूर्ण निभाएगी।
प्रधानमंत्री जन धन योजना की प्रशंसा
Global Findex के आंकड़ों से जुड़ी इस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री जन धन योजना की सफलता का विशेष उल्लेख भी किया गया है जिसकी शुरुआत व्यापक स्तर पर जनसामान्य को औपचारिक बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने के लिए की गई। मार्च 2018 तक जन धन योजना के अंतर्गत खोले गए खातों की संख्या 31.44 करोड़ तक जा पहुंची जो संख्या साल भर पहले 28.17 करोड़ थी। बैंकों के करेंट और सेविंग अकाउंट्स को जोड़ें तो मार्च 2017 में इनकी कुल संख्या 157.1 करोड़ थी, जो दो साल पहले 122.3 करोड़ थी।
दुनिया में बैंक खातों की संख्या में भारत का बड़ा योगदान
दुनिया भर में बैंक खातों की संख्या में हुई बढ़ोतरी में जन धन योजना का योगदान सबसे बड़ा है। 2014 से 2017 के बीच विश्व भर में करीब 51.4 करोड़ बैंक खाते खुले। इस अवधि में भारत में जन धन के तहत खुले बैंक खातों का इसमें करीब 55% योगदान है। खास बात यह भी है कि जन-धन के खाते खोलने में महिलाओ की हिस्सेदारी बड़ी है।
डिजिटल लेनदेन में हो रही तेज बढ़ोतरी
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कैश की जगह बैंक अकाउंट के जरिए लेनदेन में काफी बढ़ोतरी हुई है। लेनदेन में आया यह एक ऐसा व्यावहारिक बदलाव है जिससे सरकार का कर राजस्व बढ़ सकता है। आने वाले समय में मजदूरी, कृषि उत्पाद और जनोपयोगी सेवाओं के लिए भी डिजिटल भुगतान का तरीका निकाला जा सकता है।
वर्ल्ड बैंक ने ‘आधार’ पर बल देने के कदम को सराहा
वर्ल्ड बैंक के Global Findex database 2017 के मुताबिक भारत में वित्तीय सेवाओं तक महिलाओं की पहुंच में बड़ी तेजी आई है। ऐसा आधार कार्ड पर सरकार के जोर देने से संभव हुआ है क्योंकि इसके जरिए खाताधारियों की संख्या में भारी बढ़ोतरी आई है। देश में आज करीब 83% पुरुष और 77% महिलाओं के पास बैंक खाते हैं। यानि आधार के जरिए बैंकिंग सुविधाओं तक पहुंच के मामले में ना सिर्फ अमीर और गरीब का फर्क कम हुआ है बल्कि जेंडर गैप भी बेहद कम हुआ है। गौर करने वाली बात है कि तीन साल पहले बैंक खाता रखने वाले पुरुषों और महिलाओं की संख्या में 20 अंकों का अंतर था जो अब मात्र छह रह गया है।