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मोदी सरकार की कश्मीर नीति का असर- अलगाववादियों को अटल जी याद आ गए

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मोदी सरकार की जम्मू-कश्मीर नीति के अच्छे परिणाम अनेक रूप में सामने आ रहे हैं। आतंकी संगठनों में शामिल होने वाले आतंकियों की संख्या की तुलना में सुरक्षा बलों के हाथों मारे जाने वाले दहशतगर्दों की तादाद लगभग दोगुनी हो चुकी है। उधर अलगाववादियों पर हो रही कार्रवाई ने हुर्रियत नेताओं के होश भी ठिकाने ला दिये हैं। इसका अंदाजा कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के ताजा बयान में नजर आता है, जो अचानक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की कश्मीर नीति के मुरीद बन गये हैं।

कार्रवाई हुई तो गिलानी को लोकतंत्र याद आया
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एनआईए की जांच के घेरे में आए अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने एक वीडियो मैसेज जारी किया है। इस मैसेज में उन्होंने कहा है कि कश्मीर मुद्दे का हल इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत के दायरे में रहकर ही हल किया जा सकता है। बतातें कि 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर मसले को इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत के दायरे में ही सुलझाने की बात की थी। बताते हैं कि उस वक्त गिलानी ने न सिर्फ अटल जी के बयान का मजाक उड़ाया था, बल्कि जम्हूरियत को इस्लाम विरोधी बताया था। उस समय उन्होंने ये भी कहा था कि कश्मीर विवाद का हल इसका पाकिस्तान में विलय या फिर रायशुमारी ही है।

टेरर फंडिंग में कसा है शिकंजा !
गिलानी के इस हृदय परिवर्तन को जानकार कश्मीर की इनसाइड स्टोरी का परिणाम मान रहे हैं। दरअसल आतंकवादियों को पाकिस्तान से होने वाली फंडिंग के मामले में गिलानी और उनके रिश्तेदारों पर मोदी सरकार ने शिकंजा कस रखा है। गिलानी का दामाद अल्ताफ फंटूश समेत 5 दूसरे लोग हिरासत में हैं और गिलानी के दोनों बेटों से लगातार पूछताछ चल रही है। एक अनुमान के अनुसार कश्मीर में देश विरोध गतिविधियों के माध्यम से गिलानी परिवार ने सैकड़ों करोड़ की अवैध संपत्ति बना रखी है।

हिंसा रुकने पर ही बातचीत संभव- SC
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि जबतक जम्मू-कश्मीर में हिंसा समाप्त नहीं होती, किसी तरह की सार्थक बातचीत संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनगर बार एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बात कही है। बार ने राज्य में पैलेट गन के इस्तेमाल पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।

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