Home झूठ का पर्दाफाश पत्रकारिता को दागदार करने वाली गौरी लंकेश

पत्रकारिता को दागदार करने वाली गौरी लंकेश

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दिवंगत पत्रकार गौरी लंकेश की लेफ्ट विचारधारा वाली पत्रकारिता सवालों के घेरे में रही है। गौरी लंकेश केवल लेफ्ट एजेंडे पर काम करने वाली पत्रकार नहीं थी, बल्कि नक्सलियों से उनकी नजदीकियां थी। एक पत्रकार के रूप में गौरी लंकेश ने अपनी भाषा और करतूतों से पूरी पत्रकार बिरादरी को शर्मिंदा करने का काम किया है। उनके ट्विटर और फेसबुक अकाउंट से उनकी करतूतें उजागर होती हैं। एक पत्रकार के रूप में उनकी भाषा का स्तर बेहद निंदनीय ही कहा जाएगा।

 

 

 

 

संघ विरोध का एजेंडा
गौरी लंकेश ने अपने लेखों, सोशल मीडिया, फेसबुक पोस्ट और ट्वीट पोस्ट में संघ पर भी लगातार विवादित टीका-टिप्पणी, गाली-गलौच की भाषा से निश्चित रूप से पत्रकारिता को शर्मसार किया है। किसी भी दल या विचारधारा से आपके मतभेद हो सकते हैं, लेकिन अपने मतभेदों को व्यक्त करने के लिए गाली-गलौच की भाषा का इस्तेमाल किसी भी रूप में जायज नहीं ठहराया जा सकता। वह केवल संघ के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल तक ही नहीं रुकी, बल्कि देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी उन्होंने विवादित लेख, फेसबुक और ट्वीट पोस्ट किये। इन लेखों और पोस्ट में न तो प्रधानमंत्री पद की गरिमा का खयाल रखा गया और न ही पत्रकार होने के नाते मीडिया की गरिमा का ख्याल रखा।

Listen how PM Modi & BJP Leaders used Filthy & Slang language on others. Did they apologised? pic.twitter.com/SgNeG69z3q

 

 

प्रधानमंत्री की गरिमा को तार-तार किया
फेसबुक पोस्ट और ट्वीट पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली देने से लेकर उनका भद्दा मजाक उड़ाना उनकी कुंठित सोच को बयान करता है। अक्षरधाम मंदिर के सामने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के साथ फोटो को “गे मैरेज” कहकर संबोधित करना न केवल प्रधानमंत्री को गाली देना है, बल्कि ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का भी घोर अपमान है। सुबह से शाम तक सोशल मीडिया पर पानी पी-पीकर प्रधानमंत्री मोदी और संघ को गाली देने का काम करने वाली किसी पत्रकार को अगर मीडिया का समर्थन मिलता है तो देश के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता।

 

 

 

देश विरोधी पत्रकारिता का एजेंडा
बात अगर सिर्फ बीजेपी और संघ विरोध तक ठहर जाती, तो भी गनीमत थी। इससे आगे बढ़कर गौरी लंकेश ने देश विरोधी पत्रकारिता को अपना एजेंडा बना लिया था। उनकी भाषा ने उनका घृणित चेहरे को उजागर करने का काम किया है। उनके ट्वीट और फेसबुक पोस्ट मुसलमानों और दलितों को भड़काने वाले होते थे। देशविरोधी नारे लगाने के आरोपी उमर खालिद और कन्हैया कुमार के हर भाषण को गौरी लंकेश ने अपने ट्वीट और फेसबुक से शेयर किया। इनके सोशल मीडिया के अकाउंट यह बताने के लिए काफी हैं कि वे किस हद तक देश विरोधी पत्रकारिता के एजेंडे पर काम कर रही थी।

 

 

पत्रकारिता को शर्मसार किया
गौरी लंकेश ने अपने लेखों, सोशल मीडिया, फेसबुक पोस्ट और ट्वीट पोस्ट के माध्यम से जिस तरह से देश विरोधी और नफरत फैलाने वाली पत्रकारिता की उससे निश्चित रूप से पत्रकारिता को शर्मसार और उसकी मर्यादा को तार-तार करने का काम किया है। मीडिया के चेहरे को दागदार करने का काम किया है। एक महिला होने पर यह सब करना उनके कुकृत्य को किसी तरह से कम नहीं करता।

 

वामपंथी एजेंडा पत्रकारिता का हिस्सा
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वह पत्रकार कहलाने के काबिल थीं, लेकिन यह देश का दुर्भाग्य है कि देश में गौरी लंकेश सरीखे पत्रकारों की एक बिरादरी सक्रिय है, जो पत्रकारिता की आड़ में अपना एजेंडा चला रहे हैं। गौरी लंकेश इस बिरादरी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी। दरअसर ऐसा करने वाले पत्रकार, पत्रकार कहलाने के काबिल नहीं हैं। फिर पत्रकार गौरी लंकेश की मौत पर मीडिया के एक हिस्से से जिस तरह की सहानुभूति और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में बयानबाजी हुई उससे साफ है कि लेफ्ट का एजेंडा जनता के सामने आ गया।

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