भलाई और परोपकार के नाम पर बाइबल बांटने वाले गिरोहों का कच्चा चिट्ठा खुल रहा है। ये दरअसल बच्चा चोर गिरोह है जो भारत के मासूम गरीबों को विदेशियों के हाथों बेचता है। रांची में मिशनरीज ऑफ चैरिटी में 280 बच्चों को बेचने का खुलासा हुआ तो मदर टेरेसा जैसी शख्सियत पर भी सवाल उठने लगे हैं। सवाल ये कि क्या वे इस मानव तस्करी की मास्टरमाइंड थीं?
विदेशी चंदों के इस खेल को समझने की जरूरत
‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ को बीते 10 साल में मिशनरीज ऑफ चैरिटी के कोलकाता रीजन के लिए अकेले 9 अरब 18 करोड़ रुपये का विदेशी चंदा मिला। इस रीजन में झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार की मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थाएं आती हैं। ये सारा चंदा एफसीआरए के तहत लाया गया है, जबकि इस कानून के तहत सिर्फ महिला सशक्तिकरण, मानवाधिकार और शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ विदेशी फंड ला सकते हैं।
आइये हम देखते हैं कि किस एजेंसी से कब-कब कितना फंड मिला है-
मिशनरीज ऑफ चैरिटी |
2006- 07 |
45.37 करोड़ |
2007- 08 |
54.70 करोड़ |
2008- 09 |
42.50 करोड़ |
2009- 10 |
53.35 करोड़ |
2010- 11 |
62.29 करोड़ |
2011- 12 |
62.77 करोड़ |
2012- 13 |
71.05 करोड़ |
2013- 14 |
96.35 करोड़ |
2014- 15 |
90.91 करोड़ |
2015- 16 |
94.01 करोड़ |
2016- 17 |
77.77 करोड़ |
कुल |
751.07 करोड़ |
मिशनरीज ऑफ चैरिटी ब्रदर्स |
2006- 07 |
79.15 करोड़ |
2007- 08 |
10.08 करोड़ |
2008- 09 |
15.29 करोड़ |
2009- 10 |
08.25 करोड़ |
2010- 11 |
09.11 करोड़ |
2011- 12 |
09.94 करोड़ |
2012- 13 |
13.69 करोड़ |
2013- 14 |
———- |
2014- 15 |
14.63 करोड़ |
2015- 16 |
18.81 करोड़ |
2016- 17 |
19.80 करोड़ |
कुल |
198.75 करोड़ |
मिशनरी ऑफ द वर्ल्ड |
2006- 07 |
1.25 करोड़ |
2007- 08 |
1.68 करोड़ |
2008- 09 |
1.88 करोड़ |
2009- 10 |
2.53 करोड़ |
2010- 11 |
2.97 करोड़ |
2011- 12 |
3.14 करोड़ |
2012- 13 |
3.23 करोड़ |
2013- 14 |
4.21 करोड़ |
2014- 15 |
4.25 करोड़ |
2015- 16 |
4.54 करोड़ |
2016- 17 |
4.81 करोड़ |
कुल |
34.49 करोड़ |
मिशनरीज ऑफ कोलकाता |
2006- 07 |
17.21 लाख |
2007- 08 |
4.34 करोड़ |
2008- 09 |
42.50 करोड़ |
2009- 10 |
4.39 करोड़ |
2010- 11 |
74 करोड़ |
2011- 12 |
74 करोड़ |
कुल |
199.40 करोड़ |
मिशनरीज ऑफ चैरिटी फादर्स इंडिया |
2011- 12 |
5.28 लाख |
2012- 13 |
2.16 लाख |
2013- 14 |
36.39 लाख |
2014- 15 |
38.68 लाख |
2015- 16 |
28.86 लाख |
2016- 17 |
16.51 लाख |
कुल |
1.94 करोड़ |
अब यह मांग हो रही है कि ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ के इस पूरे रैकेट की जांच सीबीआई को दी जाए ताकि बीते 3-4 दशकों में इसके क्रिया-कलापों की जांच की जा सके। यह भी गौर करने वाली बात है कि ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ सबसे ज्यादा बंगाल में सक्रिय है और चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले में बंगाल ही देश में सबसे ऊपर है। हालांकि सेक्यूलर ब्रिगेड इस मामले पर अब भी चुप है।