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फ्रांस सरकार से राफेल डील में प्रधानमंत्री मोदी ने बचाए देश के 12,600 करोड़ रुपये

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बार-बार इसके उदाहरण सामने आ रहे हैं कि देश की सुरक्षा व्यवस्था के लिए आवश्यक सैन्य साजोसामान की खरीद को लेकर भी पूर्ववर्ती यूपीए सरकार कभी गंभीर नहीं रही थी। देश यह काफी पहले देख चुका है कि ऑगस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील में यूपीए सरकार ने क्या किया और अब ये जानकारी सामने आ रही है कि फ्रांस से लड़ाकू विमान राफेल की खरीद को लेकर भी उसका रवैया बेहद ढीलाढाला रहा। यूपीए सरकार अपने दस सालों के दौरान भी इस सौदे को लेकर कुछ नहीं कर सकी। कांग्रेस नेतृत्व की वह सरकार इतनी अधिक सुस्त और लापरवाह थी कि भारतीय वायुसेना ने जिस मध्यम श्रेणी के बहुद्देशीय लड़ाकू विमानों (एमएमआरसीए) की जरूरत को 2004 में ही सरकार को बता दिया था, उसकी खरीद के लिए विश्वव्यापी टेंडर भी यूपीए सरकार ने 2007 में मंगवाया। इसके बावजूद भी मनमोहन सिंह की सरकार राफेल विमानों को 2014 तक खरीद नहीं सकी।

पीएम मोदी ने दुरुस्त करार कर बचाए देश के हजारों करोड़ रुपये 

वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए 36 राफेल विमानों को उड़ान भरने के लिए पूरी तरह से तैयार यानी फ्लाईवे कंडीशन में खरीदने का सीधे फ्रांस सरकार से करार कर लिया। मोदी सरकार ने 23 सितंबर 2016 को हुए इस करार के साथ यह भी सुनिश्चित कर दिया कि सभी 36 विमान 66 महीनों के अंदर भारतीय वायुसेना को मिल जाएं। इस करार में राफेल विमान न केवल सस्ते मिले बल्कि पहले से अधिक आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित और मिसाइलों से लैस थे। एनडीए सरकार ने इस पूरे करार में देश के 12,600 करोड़ रुपये भी बचाए।भारतीय वायुसेना की जरूरत

देश की वायुसेना के पास इस समय लड़ाकू विमानों के 30-32 स्क्वॉड्रन हैं। एक स्क्वॉड्रन में 18-21 लड़ाकू विमान होते हैं। चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों को देखते हुए और वायुसेना द्वारा प्रयोग किये जा रहे मिग और सुखोई लड़ाकू विमानों के पुराने होते जाने के कारण इन्हें जल्द से जल्द बदलने की जरूरत है। यह देखते हुए भी कांग्रेस सरकार लापरवाहियां बरतने में लगी रही। उसके अनिर्णय के कारण राफेल डील खत्म होने की कगार पर पहुुंच गई और यह स्थिति मोदी सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में आ खड़ी हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने बिना वक्त बरबाद किये त्वरित निर्णय लिया और ये लड़ाकू विमान जल्द से जल्द वायुसेना को मिल सके इस प्रक्रिया को सुनिश्चिचत कर दिया।सीधे फ्रांस की सरकार से राफेल विमानों की खरीद

जिस काम को मनममोहन सिंह की सरकार दस सालों में नहीं कर सकी उसी काम को प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ महीनों में पूरा करके देश को सुरक्षित करने की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई। कांग्रेस की सरकार फ्लाईवे कडींशन में 18 राफेल विमानों को फ्रांस की डासाल्ट कंपनी से खरीदना चाहती थी। कंपनी से खरीदने पर एक राफेल विमान की कीमत 100 मिलियन पड़ रही थी और इन विमानों में भारतीय वायुसेना की जरूरतों के अनुरूप तकनीकें और मिसाइलें भी नहीं थीं। इस स्थिति में भी मनमोहन सिंह की सरकार इन विमानों को दस साल में भी खरीद नहीं सकी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस पूरी खरीद प्रक्रिया में हो रही देरी को खत्म करने के लिए सीधे फ्रांस सरकार से बातचीत करके, खरीदने का निर्णय लिया। फ्रांस की सरकार से सीधे राफेल विमान खरीदने से एक विमान की कीमत 90 मिलियन हो गई और विमानों में भारतीय वायुसेना की जरूरतों के अनुसार तकनीकें और मिसाइलें भी मिल गईं। अब जो मिसाइलें राफेल विमानों में लगेंगी उससे भारतीय सीमा के अंदर से ही चीन के तिब्बत तक मिसाइलों से निशाना लगाया जा सकता है। इस करार से राफेल विमानों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी कंपनी के ऊपर ही है।

फ्रांस सरकार से राफेल खरीद के फायदे

  • फ्रांस सरकार से किये गए राफेल विमानों की खरीद में कई महत्वपूर्ण फायदे हुए
    • सरकारों के बीच करार होने से किसी भी प्रकार के बिचौलियों की गुंजाइश खत्म हो गई, जो यूपीए सरकार के समय में बरकरार थी।
    • विमानों को भारतीय वायुसेना की जरूरतों की तकनीकों और मिसाइलों से लैस किया जा सका।
    • विमानों की कीमत कंपनी द्वारा यूपीए के समय में दी जा रही कीमत से कम हो गई।
    • विमानों के रखरखाव और 75 प्रतिशत तक विमानों को हर वक्त तैयार करने की जिम्मेदारी भी कंपनी के ऊपर आ गई।
    • पहले, देश को राफेल विमान मिलने में दस से बारह साल लग रहे थे, जबकि फ्रांस सरकार के कारण यह 66 महीनों में मिल जाएंगे।
    • पहले जहां वायुसेना का एक ही स्क्वॉड्रन राफेल विमानों से लैस हो पाता अब दो स्क्वॉड्रन लैस होंगे।
    • इस पूरी खरीद प्रक्रिया में 12,600 करोड़ रुपयों की बचत हुई।

प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस की सरकार से राफेल विमानों को खरीदकर देश हित में एक दूरदर्शी निर्णय लिया, जिससे न केवल भारत की सुरक्षा मजबूत हुई बल्कि भारत और फ्रांस के सामारिक संबंध और प्रगाढ़ हुए, जिसका भारत की भू-राजनीतिक स्थिति पर एक सकारात्मक प्रभाव हुआ है।

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