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रोजगार सृजन के लिए प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों का परिणाम: 2017-18 में मिलीं 67 लाख नौकरियां  

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकास के नित नए मानदंड स्थापित करती जा रही सरकार के प्रयासों से देश में रोजगार सृजन में निरंतर तेजी आ रही है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को नई ताकत मिलने जा रही है। अच्छे दिन की यह तस्वीर उभरकर सामने आई है नौकरियों के मामले में सामने आए सबसे नए आंकड़ों से।  

सितंबर 2017 से अगले छह महीने में 31.1 लाख नौकरियां

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) ने पहली बार payroll data रिलीज किया है जिसके मुताबिक सितंबर 2017 से फरवरी 2018 के बीच यानि महज छह महीनों में 31 लाख 10 हजार नई नौकरियां मिली हैं। वहीं इस दौरान EPFO में 18 लाख 50 हजार रजिस्ट्रेशन हुए। EPFO में में रजिस्ट्रेशन कराने वालों की उम्र 18 से 25 वर्ष के बीच है।

2017-18 में 67 लाख नौकरियों का सृजन: SBI का आकलन

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की टीम के एक अध्ययन के अनुसार पिछले वित्त वर्ष यानि 2017-18 में देश में करीब 67 लाख नई नौकरियां पैदा हुई हैं। यह आकलन SBI के प्रमुख अर्थशास्त्री डॉ. सौम्या कान्ति घोष की टीम के सर्वेक्षण से सामने आया है। आर्थिक मुद्दों पर समय-समय पर शोध प्रकाशित करने वाली SBI की टीम ने नौकरियों की यह तादाद सरकार की तरफ से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), नई पेंशन स्कीम (NPS) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) की तरफ से दिए गए आंकड़ों के आधार पर ही निकाला है।

आंकड़े नकारात्मकता फैलाने वालों को खामोश करने वाले

गौर करने वाली बात है कि SBI के डॉ. घोष की टीम ने जब वित्त वर्ष 2018 में 70 लाख नई नौकरियों के सृजित होने का अनुमान लगाया था तो कांग्रेस समेत कई विपक्षी नेताओं और कुछ अर्थशास्त्रियों को यह हजम नहीं हो रहा था। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी सरकार का मजाक उड़ाया था।  मोदी सरकार में रोजगार के लिए बन रहे स्थायी माहौल से नौकरियां की संख्या ने अनुमानित लक्ष्य के पास पहुंचकर हर सकारात्मक पहलुओं पर नकारात्मक दृष्टिकोण ऱखने वाले राजनेताओं और अर्थशास्त्रियों को खामोश कर दिया है।

EPFO, NPS और ESIC के आंकड़े पूर्वानुमान के करीब

SBI की टीम के मुताबिक EPFO और NPS की तरफ से नए रोजगारप्राप्त लोगों के सामाजिक सुरक्षा योगदान के जो आंकडे़ दिए गए हैं उनके मुताबिक अप्रैल, 2017 से फरवरी 2018 के बीच 58 लाख लोगों को नया रोजगार हासिल हुआ है। सरकार के आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि में EPFO में 46.7 लाख नए लोगों ने योगदान देना शुरू किया है। इस आधार पर पूरे वित्त वर्ष के लिए 51 लाख लोगों को रोजगार मिलने का आकलन किया गया है। वहीं NPS के मामले में 6.2 लाख नए रोजगार पाने वालों का अंशदान आना शुरू हुआ है। ये आंकड़े पिछले वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों के हैं जिनके आधार पर पूरे वित्त वर्ष के लिए सात लाख लोगों की तरफ से NPS में योगदान आने का आकलन किया गया है। अध्ययनकर्ताओं का आकलन है कि ESIC के अंतर्गत 8.8 लाख लोग शामिल हुए हैं। यानि EPFO, NPS और ESIC, इन तीनों का कुल योग 67 लाख बनता है जो SBI के पूर्व अनुमान 70 लाख के बिल्कुल पास है।

आंकड़े नीतियां और योजनाएं बनाने में मददगार: EPFO

15 हजार रुपये मासिक से ज्यादा सैलरी देने वाली और 20 से ज्यादा कर्मचारी रखने वाली संगठित क्षेत्र की हर कंपनी या एजेंसी को EPFO में योगदान देना होता है। इसकी संख्या के इस्तेमाल से देश में कितनी नौकरियां मिल रही हैं, इसका आकलन किया जा रहा है और नतीजे उत्साह भरे हैं। EPFO का कहना है कि यह डेटा नीतियों और योजनाओं को तैयार करने से लेकर रिसर्च तक के काम में काफी मददगार हो सकता है। क्योंकि इससे नौकरियों के लिए वर्गीकृत किए गए 18 वर्ष से 35 वर्ष और उससे अधिक के छह आयु समूहों के लोगों के बारे में एक ठोस आकलन सामने आता है।

मौजूदा वित्त वर्ष में भी रोजगार के लाखों नए अवसर
रोजगार के हिसाब से मौजूदा वित्त वर्ष में भी बहार बनी रहेगी। रिक्रूटमेंट कंपनी माइकल पेज ने इंडिया सैलरी बेंचमार्क 2018 रिपोर्ट में यह दावा किया है कि इकनॉमिक ग्रोथ तेज होने के कारण भारत में रोजगार के मौके बढ़ेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के मेक इन इंडिया, रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर की ग्रोथ तेज होने और टेक्नॉलजी का रोल बढ़ने से हायरिंग में बढ़ोतरी होगी। नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार, हर क्षेत्र में अच्छी लीडरशिप स्किल वाले प्रोफेशनल की मांग रहेगी। ई-कॉमर्स और इंटरनेट, एनर्जी, प्रोफेशनल सर्विसेज और केमिकल्स कंपनियां अधिक हायरिंग कर सकती हैं। 2018 में इंफ्रास्ट्रक्चर, एनर्जी और ई-कॉमर्स सेक्टर में प्राइवेट इक्विटी कंपनियां निवेश बढ़ा रही हैं। इनमें लोगों को आसानी से नौकरी मिलेगी। हेल्थकेयर, एफएमसीजी मैन्युफैक्चरिंग या इंडस्ट्रियल, ई-कॉमर्स, इंफ्रास्ट्रक्चर और रिन्यूएबल एनर्जी रोजगार के लिहाज से टॉप इंडस्ट्रीज होंगी। इसके साथ ही सॉफ्टवेयर प्रॉडक्ट कंपनियों, एग्रीगेटर्स, फिनटेक और ई-कॉमर्स कंपनियों में ऐसी स्किल रखने वालों लोगों की अच्छी मांग रहेगी।

रेलवे में नौकरियों की बहार
रेलवे में भी इन दिनों लगातार वैकेंसी निकल रही है। रेलवे जल्द ही 20 हजार और पदों पर भर्तियां करेगा। रेलवे ने 90 हजार रिक्तियों के लिए आवेदन पहले ही आमंत्रित किए थे। इस तरह कुल रिक्तियों की संख्या बढ़कर 1 लाख 10 हजार हो गई है। 20 हजार अतिरिक्त पदों के लिए अधिसूचना मई 2018 में जारी की जाएगी। आने वाले दिनों में रेलवे में और वैकेंसी आने की उम्मीद है। रेलवे में फिलहाल 2 लाख 40 हजार नॉन गेजटेड पद खाली पड़े हैं जिन पर जल्द ही भर्ती की तैयारी है।

मीडिया और मनोरंजन उद्योग में 7-8 लाख रोजगार
Confederation of Indian Industries (CII) और ग्लोबल मैनेजमेंट कंसल्टिंग कंपनी Boston Consulting Group (BCG) की रिपोर्ट से यह अनुमान सामने आया है कि आने वाले पांच वर्षों में भारत की मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में सात से आठ लाख नौकरियां निकलने जा रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में मीडिया और मनोरंजन की सामग्रियों को लेकर रुझान काफी बढ़ा है जिसके चलते इस सेक्टर में रोजगार के अवसर काफी बढ़ने वाले हैं। CII के डायरेक्टर जनरल चंद्रजीत बनर्जी ने कहा था: “डिजिटल प्लेटफॉर्म का काफी विस्तार हो रहा है और इस सेक्टर में इतने अवसर बनने जा रहे हैं जितने पहले कभी नहीं बने। विशेष रूप से रचनाकार, कथाकार और टेक्नोलॉजी मुहैया कराने वालों  के लिए बहुत सारे मौके उभरेंगे।”

मेट्रो ही नहीं छोटे शहरों में भी बढ़े नौकरी के अवसर
यह प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की नीतियों का ही असर है कि रोजगार के अवसर सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं रहे हैं, बल्कि छोटे शहरों में नौकरी के समान अवसर पैदा हो रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक आठ मेट्रो शहरों में से सात में नौकरी के अवसर बढ़े हैं, इसके अलावा छोटे शहरों में नौकरियां बढ़ रही है। अगर अनुभव के आधार पर देखें तो फ्रेशर से लेकर तीन साल के एक्सपीरियेंस वाले युवाओं को 21 फीसदी ज्यादा नौकरी मिली है। वहीं 16 साल से ज्यादा तजुर्बे वाले पेशेवरों को भी 21 फीसदी ज्यादा नौकरी के मौके मिले हैं।

‘मेक इन इंडिया’ के जरिए 2020 तक 10 करोड़ रोजगार पैदा होंगे
देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ योजना की शुरुआत की थी। यही वह योजना है जो रोजगार के क्षेत्र में क्रांति लाने की ताकत रखती है। हाल ही में नीति आयोग के महानिदेशक (डीएमईओ) और सलाहकार अनिल श्रीवास्तव ने कहा था कि ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए 2020 तक 10 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि हम चौथे तकनीकी रेवॉल्यूशन के दौर से गुजर रहे हैं। सरकार मेक इन इंडिया के जरिए 2020 तक 10 करोड़ युवाओं को रोजगार देने के मिशन के साथ काम कर रही है।  

प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं से रोजगार के स्थायी मौके
जब भी नौकरियों की बात होती है तो सामने आता है कि युवाओं को सबसे ज्यादा नौकरियां आईटी सेक्टर में मिल रही हैं, लेकिन इस बार यह ट्रेंड बदला हुआ है। इस बार आईटी सेक्टर के अलावा दूसरे क्षेत्रों में नौकरियों के अवसर ज्यादा सृजित हुए हैं। यह इस बात का संकेत है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्टार्ट अप इंडिया, मुद्रा योजना, स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी जो योजनाएं चलाई गई हैं, जमीनी स्तर पर उनका असर दिखने लगा है। अब देशभर में ज्यादातर सेक्टरों में एक समान तरीके से विकास हो रहा है, और युवाओं को नौकरियां भी मिल रही है। आने वाले महीनों में इन सब योजनाओं रोजगार और नौकरी के मौके बढ़ेंगे। सरकार के हर क्षेत्र में ई- क्रांति के कदम से स्वास्थ्य के क्षेत्र में गांवों और गैर महानगरीय शहरों को नये उत्पाद और सेवा देने वाले युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे है। इसी तरह पर्यटन के क्षेत्र में भी डिजिटल क्रांति ने नये बाजार खोलकर युवाओं को रोजगार के काफी अवसर दिए हैं।

राजमार्ग योजना से 15 करोड़ श्रम दिवसों का रोजगार

देश के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री मोदी कृत-संकल्प हैं। इस संकल्प की सिद्धि के लिए वे लगातार ऐसे फैसले ले रहे हैं, जिनसे सभी को रोजगार के अवसर मिलें और सबका विकास सुनिश्चित हो सके। इसी को ध्यान में रखते हुए, 83 हजार किलोमीटर के राजमार्गों के निर्माण और चौड़ीकरण की योजना को लागू करने के लिए 7 लाख करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई । इस योजना के साथ 15 करोड़ श्रम दिवसों का रोजगार युवाओं को मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बनने के बाद से देश में राजमार्गों के निर्माण कार्यों में तेजी आई है। आज राजमार्ग के साथ-साथ रोजगार के भी अवसरों की भरमार है।

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