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ई-वे बिल सफलता से हुआ लागू, ईमानदार अर्थव्यवस्था के लिए नींव हुई मजबूत

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26 जनवरी 1950 को, भारत के लोगों ने संविधान के अनुसार एक ऐसे देश के निर्माण की नींव रखी जहां सभी को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक समानता के साथ जीवन की उत्कृष्टता को प्राप्त करने का समान अवसर मिले। राजनीतिक समानता का अधिकार तो संविधान लागू होते ही इस देश के प्रत्येक व्यस्क नागरिक को मिल गया, लेकिन सामाजिक और आर्थिक समानता के लिए, विभिन्न शक्तियों के बीच अभी तक संतुलन स्थापित नहीं हो सका है। इन शक्तियों को संतुलित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने 1 जुलाई 2017 को जीएसटी कानून को लागू किया। इस कानून का सबसे महत्वपूर्ण पहलू ई-वे बिल को भी पूरे देश में बिना किसी बाधा के 1 अप्रैल 2018 को लागू कर दिया गया।

ई-वे बिल क्यों महत्वपूर्ण है- 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होते  ही देश में एक टैक्स की व्यवस्था लागू हो गई, इस व्यवस्था के बाद देश के अलग-अलग राज्यों में लगने वाले सारे टैक्स खत्म हो गए। टैक्स की दर पूरे देश में एक हो जाने से, सामानों को ले जाने और ले आने की सारी सीमाएं भी खत्म हो गई हैं। इन सामानों पर पूरे देश में आवाजाही पर निगरानी रखने के लिए ई-वे बिल प्रणाली को विकसित किया गया। इसे जब फरवरी 2018 में लागू किया गया तो सूचना तकनीकी पर आधारित व्यवस्था, प्रतिदिन लाखों ट्रकों से सामानों की आवाजाही के भार को संभाल न सकी और ठप हो गई। प्रधानमंत्री मोदी ने दो महिनों के अंदर इसे दोबारा सफलता पूर्वक लागू करवा कर, विपक्षी दलों की चुनौती का करार जवाब दे दिया है। 1 अप्रैल को इस प्रणाली से 2.59 लाख ई-वे बिल पूरे देश में तैयार हुए, वहीं 2 अप्रैल को यह आंकड़ा लगभग 3 लाख के करीब पहुंच गया। पूरे देश में सामानों की आवाजाही सुनिश्चित कराने के लिए 11 लाख 18 हजार कर दाताओं ने पंजीकरण कराया है, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।

ई वे बिल राज्यों के अंदर भी – 1 अप्रैल से सफलता पूर्वक लागू किए जा रहे ई-वे बिल की अगली कड़ी में राज्यों के अंदर भी सामानों की आवाजाही के लिए ई-वे बिल लागू किया जाना है। 15 अप्रैल से लागू करने के बाद से देश में 50,000 रुपये से अधिक के सामान इधर से उधर ले जाने के लिए ई-वे बिल की जरुरत पड़ेगी, इस ई-वे बिल के बिना कोई भी सामान एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जा सकेगा।

ई-वे बिल, अर्थव्यवस्था को ईमानदार होने के लिए मजबूर कर देगा-ई-वे बिल से सामानों के आवाजाही की इलेक्ट्रॉनिक चेकिंग संभव हो सकेगी और हर प्रकार के उत्पाद टैक्स के दायरे में आ सकेगें। उत्पादों के मूल्य पर उपभोक्ताओं को टैक्स का लाभ देना व्यापारियों की मजबूरी होगी, जो अभी तक उपभोक्ता से टैक्स लेकर अपना लाभ बना लेते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने देश में एक ऐसे मजबूत आर्थिक तंत्र की नींव डाल दी है, जिस पर चलकर हम भारत के लोग सभी के लिए समान और ईमानदार वितरण की अर्थव्यवस्था खड़ी कर सकेंगे।

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