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अमेरिकी राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र में की मोदी सरकार की तारीफ, कहा- लाखों लोग गरीबी से बाहर निकले

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का दबदबा लगातार बढ़ रहा है। कई ताकतवर देश भारत के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पहले जहां चर्चा भी नहीं होती थी, आज भारत की सराहना की जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में भारत की जमकर तारीफ की। राष्ट्रपति ट्रंप ने लाखों लोगों को गरीबी से निकालकर मध्य वर्ग में लाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों की सराहना की। संयुक्त राष्ट्र महासभा में उन्होंने कहा कि भारत में लाखों लोगों को सफलतापूर्वक गरीबी से बाहर निकाला गया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, ‘भारत फ्री सोसायटी है, जिसने लाखों लोगों को सफलतापूर्वक गरीबी रेखा से बाहर निकाला है।’

अमेरिकी राष्ट्रपति ने जहां भारत की प्रशंसा की वहीं पाकिस्तान को चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि अमेरिका भविष्य में उन्हीं देशों को सहायता देगा जिन्हें वह अपना सहयोगी मानता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि हम देखेंगे कि कहां काम हो रहा है, कहां काम नहीं हो रहा है और क्या जो देश हमारे डॉलर और हमारी सुरक्षा लेते हैं, वे हमारे हितों का ख्याल रखते हैं या नहीं। आगे बढ़ते हुए हम केवल उन्हीं लोगों को विदेशी सहायता देने जा रहे हैं जो हमारा सम्मान करते हैं और स्पष्ट रूप से हमारे दोस्त हैं। उन्होंने भारत को विश्व के बेहतर साझा भविष्य के लिए काम करने वाले देशों का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया।

प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार गरीबों को समर्पित सरकार है। उनकी नीतियों, योजनाओं और अभियानों का असर है कि तेजी से देश की गरीबी खत्म हो रही है। बीते चार सालों में 5 करोड़ लोग लोग गरीबी रेखा से ऊपर हो गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी के दावों की पुष्टि हाल ही में विश्व की सबसे विश्वसनीय संस्था ‘ब्रुकिंग्स’ ने भी की कि 2022 तक देश में अत्यंत गरीबों की संख्या महज 3 प्रतिशत रह जाएगी। ब्रुकिंग्स के अनुसार भारत में हर मिनट 44 लोग भयंकर गरीबी रेखा से बाहर निकल रहे हैं। 

दुनिया में गरीबी हटने की सबसे तेज रफ्तार भारत में
ब्रुकिंग्स के ‘फ्यूचर डिवेलपमेंट’ ब्लॉग में प्रकाशित यह रिपोर्ट बताती है कि हर मिनट 44 भारतीय अत्यंत गरीबी की श्रेणी से बाहर निकलते जा रहे हैं, जो दुनिया में गरीबी घटने की सबसे तेज रफ्तार है। माना जा रहा है कि यदि भारत की ये रफ्तार ऐसे ही बरकरार रही तो वह इसी साल इस दिशा में एक कदम और नीचे आ जाएगा। 

दरअसल बीते चार सालों में पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने गरीबी दूर करने के लिए एक के बाद एक कई योजनाओं की शुरुआत की। उसमें जन-धन योजना, उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि सहित तमाम अभियानों के चलते देश में गरीबी खत्म हो रही है। योजनाओं का असर एक नजर में – 

जन धन योजना से आर्थिक सशक्तिकरण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को गरीबों को बैंकों से जोड़ने के लिए जन धन योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत बैंक खातों तक पहुंच रखने वाले वयस्कों का प्रतिशत 2014 में 53 प्रतिशत था जो 2017 में बढ़कर 80 प्रतिशत हो गया। वित्तीय समावेशन कार्यक्रम के तहत पिछले चार वर्षों में खोले गए नए जन धन बैंक खातों की संख्या पूरी अमेरिकी आबादी के बराबर है। जन धन योजना के तहत 25 जून तक 31 करोड़ 80 लाख नए बैंक खाते खोले गए। 

जीवन ज्योति योजना से नई रोशनी
09 मई, 2015 को प्रधानमंत्री मोदी ने आम लोगों के परिजनों की मृत्यु की स्थिति में महत्वपूर्ण क्रांतिकारी योजना चलाई है। इसके तहत 12 रुपये सलाना और 330 रुपये सालाना की दो बीमा योजनाएं हैं, जो सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से बेहद अहम हैं। 25 जून, 2018 तक के आंकड़ों के अनुसार 13 करोड़ 53 लाख 41 हजार लोगों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना से जोड़ा गया है।  वहीं प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना के तहत 5 करोड़ 34 लाख 75 हजार लोग जुड़े हैं।

मुद्रा ऋण योजना से दूर हो रही गरीबी
मुद्रा ऋण के तहत वितरित राशि 6 लाख करोड़ रुपये है। इस योजना के तहत 25 जून, 2018 तक 12 करोड़ 92 हजार 2435 लोगों को ऋण मुहैया कराया जा चुका है। इनमें करीब 55 प्रतिशत लोन अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़े समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोगों को दिया गया है। 9 करोड़ महिलाओं को ऋण देकर महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी मुद्रा योजना के तहत बेहतरीन कार्य किया जा रहा है।

खुले में शौच से मुक्ति अभियान
देश में खुले में शौच एक बड़ी समस्या है। विशेषकर गरीबों के बस की बात नहीं होती थी कि वह शौचालय का निर्माण करा सके। 2014-2018 से बने शौचालयों की कुल संख्या 1947-2014 के बीच बनाए गए कुल शौचालयों से अधिक है। 2 अक्टूबर, 2014 को, ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 38.7 प्रतिशत था। 8 जून, 2018 को ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 85 प्रतिशत अंक पार कर गया। 3 लाख 88 हजार 244 से अधिक गांवों और 391 जिलों को ओपन डेफेकेशन फ्री घोषित किया गया है।गौरतलब है कि 1947 से 2014 की अवधि में बनाए गए घरेलू शौचालय 6.37 करोड़ थे, जबकि मोदी सरकार ने चार साल में 27 जून तक 8 करोड़ 2 लाख 76 हजार 378 घरेलू शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है।

गरीबों के लिए सुनिश्चित आवास
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 2019 तक एक करोड़ गरीबों को पक्के मकान देने की तैयारी है। जबकि शहरों में 2022 तक दो करोड़ गरीबों को पक्का घर बना के दिया जाना है। प्रधानमंत्री मोदी की इस महत्त्वाकांक्षी योजना को युद्धस्तर पर क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके लिये सरकार युद्धस्तर पर जुट गई है। 25 जून, 2018 तक के आंकड़ों के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक करोड़ घरों का निर्माण करवाया जा चुका है। जाहिर है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में मूल रूप से दलित, पिछड़े और आदिवासियों को ही इसका फायदा मिलेगा।

उज्ज्वला योजना से धुएं से मुक्ति
1 मई 2016 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू होने के बाद से 25 जून, 2018 तक बीपीएल परिवारों के 4 करोड़ 41 लाख 13 हजार 272 महिलाओं को दो साल के में एलपीजी कनेक्शन मिल चुका है। डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के अनुसार, अशुद्ध ईंधन से महिलाओं द्वारा श्वास धूम्रपान एक घंटे मंथ 400 सिगरेट जलाने के बराबर है। यह भी अनुमान लगाया गया था कि भारत में लगभग 5 लाख मौत खाना पकाने के अशुद्ध ईंधन के कारण होते हैं। दरअसल भारत के करीब 24 करोड़ घर हैं, जिनमें से 41 प्रतिशत परिवार यानि लगभग 10 करोड़ परिवार योजना शुरू होने से पहले तक जीवाश्म ईंधन पर निर्भर थे। अब, एलपीजी कनेक्शन के साथ सरकार ने न केवल 4 करोड़ 41 करोड़ परिवारों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया है बल्कि महिलाओं को अन्य तरीकों से अधिकार दिया है।

सुरक्षित मातृत्व अभियान में जननी की चिंता
वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) की शुरुआत हुई। इस अभियान के माध्यम से अब तक एक करोड़ से अधिक महिलाएं लाभांवित हो चुकी हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार अब तक 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को पीएमएसएमए का लाभ मिला है। योजना के अंतर्गत गर्भवती और स्‍तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्‍म के लिए तीन किस्‍तों में 6000 रुपये का नकद प्रोत्‍साहन दिया जाता है।

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की शुरुआत
गरीबों को सस्ती और सुलभ दवाएं सुनिश्चित करना इस सरकार की प्राथमिकता में रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2017) के तहत खोले गए प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र के माध्यम से मामूली कीमतों पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं। जन औषधि स्टोर से गरीबों के लिए सस्ती दवाओं के साथ उन्हें मुफ्त जांच करवाने की सुविधा भी दी जा रही है।

एलईडी बल्ब योजना से दूर हो रहा अंधेरा
मोदी सरकार का लक्ष्य गरीबों तक बिजली के सस्ते संसाधन पहुंचाने के लिए कार्य कर रही है। इसी के तहत उजाला योजना की शुरुआत की गई। उजाला योजना के तहत, 30 करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं। इस योजना के माध्यम से 15,000 करोड़ रुपये से अधिक बचाए गए हैं। यह पहल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को एक विश्वसनीय नेतृत्व की स्थिति प्रदान करती है क्योंकि यह कदम जलवायु परिवर्तन के कारण बहुत फायदेमंद है। ईईएसएल के बाद से, सार्वजनिक ऊर्जा सेवा कंपनी ने थोक में एलईडी बल्बों की खरीद और वितरण किया, उजाला आने के बाद एलईडी बल्बों की कीमत 350 रुपये से घटकर 45 रुपये तक पहुंच गई।

सौभाग्य योजना से घर-घर बिजली
मोदी सरकार ने आते ही यह पता लगाया कि 18, 452 गांवों में आजादी के बाद से अब तक बिजली नहीं पहुंची है। 1 मई, 2018 तक हर गांव में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर इस ओर युद्धस्तर पर काम हुआ और आज लगभग सभी गांवों में बिजली पहुंच गई है। इसके साथ ही अब सौभाग्य योजना के तहत हर घर बिजली पहुंचाने की योजना चल रही है। अक्टूबर, 2017 में योजना शुरू होने के बाद से 25 जून, 2018 तक 75 लाख 60 हजार 786 घरों तक बिजली कनेक्शन पहुंचा दी गई है।

100 पिछड़े जिलों का उत्थान योजना
पिछड़ों और गरीबों के कल्याण के लिये मोदी सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगता है कि सरकार ने सबसे पहले देश के सबसे पिछड़े 100 जिलों में ही पहले विकास की योजना बनाई है। इस योजना पर नीति आयोग बाकी संबंधित मंत्रालयों के सहयोग से काम करेगा। ये बात किसी से छिपी नहीं कि सबसे पिछड़े जिलों का मतलब क्या है? ये वो जिले होते हैं जहां आम तौर पर दलित और आदिवासियों की तादाद अधिक होती है। यानी मोदी सरकार की नजर जरूरतमंदों के उत्थान पर है, अपनी लोकप्रियता पर नहीं।

दिव्यांगों के लिए लग रहे रिकॉर्ड शिविर 
दिव्यांगों के लिए2014 से पूर्व केवल केवल 55 शिविर आयोजित किए गए थे, जबकि पिछले चार वर्षों में 6000 से अधिक शिविर आयोजित किए गए हैं। अलग-अलग लोग लंबे समय तक उपेक्षा के अधीन रहे हैं और इस सरकार ने सुलभ भारत जैसी पहलों के साथ दिव्यांग समुदाय पर नीतिगत ध्यान दिया है।

आदिवासी कल्याण के लिए बजट में वृद्धि
केंद्रीय बजट 2018-19 में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आवंटन में वृद्धि का प्रस्ताव किया गया है। अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए धन के आवंटन को बढ़ाकर क्रमश: 56,619 करोड़ रुपये और 39,135 करोड़ रुपये किया गया। इससे पहले के भी बजट में आदिवासी कल्याण के लिए मोदी सरकार ने लगातार बजटीय वृद्धि की है। वर्ष 2016-17 में 4827.00 करोड़ से बढ़कर  वर्ष 2017-18 में  5329.00 करोड़ कर दिया गया।

72 नए एकलव्य विद्यालयों को मंजूरी
पिछले तीन वर्षों में 51 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल  बनाए गए। 2017-18 में 14 ऐसे स्कूलों को मंजूरी दी गई जिसके लिए 322.10 करोड़ की राशि जारी की गई। अब 190 से बढ़ाकर ऐसे 271 स्कूलों की मंजूरी मंत्रालय दे चुका है । केंद्र में एनडीए सरकार बनने से पहले देश में महज 110 ईएमआरएस चल रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनजातीय शिक्षा पर विशेष ध्यान देने के चलते महज तीन वर्षों में 51 ईएमआरएस शुरू हुए। इस वक्त देश के  कुल 161 ईएमआरएस विद्यालयों में 52 हजार से ज्यादा आदिवासी छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इतना ही नहीं मोदी सरकार ने पिछले तीन वर्षों में 72 नए ईएमआरएस विद्यालयों की स्वीकृति प्रदान की है।

यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी के तहत आएंगे 50 करोड़ लोग
देश में गरीबों और निचले तबके के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए मोदी सरकार अपनी सबसे बड़ी स्कीम पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले करीब 50 करोड़ लोगों को यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी के तहत लाया जाएगा। श्रम मंत्रालय पिछले कुछ समय से इस स्कीम का खाका तैयार करने में जुटा था। इस स्कीम का फायदा उन लोगों को होगा जो अभी मेहनत-मजदूरी, दिहाड़ी काम या खेती करके रोटी-रोटी चलाते हैं। ऐसे लोगों को सरकार पेंशन देगी, अगर अचानक मौत या अक्षमता आ जाती है तो उसका मुआवजा भी मिलेगा। साथ ही लोगों के पास मेडिकल खर्चों और बेरोजगारी भत्ते का भी विकल्प होगा।

गरीबों के लिए स्वास्थ्य बीमा आयुष्मान भारत का आगाज
आयुष्मान भारत यानि नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम के तहत 10 करोड़ सबसे गरीब परिवारों को 5-5 लाख रुपये का हेल्थ कवर दिया जा रहा है। इसके तहत देश भर में अस्पताल और वेलनेस सेंटर खोले जाएंगे। गरीब परिवारों के पास कैशलेस कार्ड होगा, जिसे दिखाकर वो अपना इलाज करवा सकेंगे। हर परिवार को एक साल में 5 लाख रुपये तक इलाज पर खर्च करने की लिमिट होगी।

 

भारत में इतिहास का हिस्सा हो जाएगा ‘गरीबी’ शब्द
रिपोर्ट के अनुसार, ‘मई 2018 में किए गए अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलकर सामने आया है कि भारत में यह संख्या अब 73 मिलियन यानी 7.3 करोड़ रह गई है। इससे यह भी साफ है कि अगर मोदी सरकार अगले 10 वर्षों तक देश का नेतृत्व करती रही तो देश में गरीबी शब्द इतिहास का हिस्सा हो जाएगी।

2030 तक भारत से पूरी तरह खत्म हो जाएगी गरीबी
स्टडी में सामने आई इन बातों से ये साफ है कि भारत को साल 2030 में एक बहुत बड़ी उपलब्धि मिल जाएगी। यहां अत्यंत गरीब जनसंख्या वाले लोगों का दायरा साल 2022 तक 3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है जबकि साल 2030 तक भारत से अत्यंत गरीबी पूरी तरह खत्म हो जाएगी।

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