Home विशेष रंग ला रही है मोदी सरकार की आर्थिक सुधार की मुहिम, 19...

रंग ला रही है मोदी सरकार की आर्थिक सुधार की मुहिम, 19 प्रतिशत बढ़ा डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन

SHARE

प्रधानमंत्री मोदी के कालेधन पर लगाम और भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए गए कदमों का असर अब दिखाई देने लगा है। केंद्र सरकार का टैक्स कलेक्शन मौजूदा वित्तीय वर्ष के दस महीनों (अप्रैल-जनवरी) में सालाना आधार पर 19.3 प्रतिशत बढ़कर 6.95 लाख करोड़ रुपये हो गया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष के शुरुआती दस महीनों में हुआ शुद्ध डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन वित्त वर्ष 2017-18 के संशोधित अनुमान 10.05 लाख करोड़ रुपये का 69.2 प्रतिशत है।

सौजन्य

वित्त मंत्रालय के अनुसार यह केंद्र सरकार के कालेधन पर सख्ती और नोटबंदी का असर है कि प्रत्यक्ष कर संग्रहण में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2018 तक डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन के अस्थाई आंकड़ों के अनुसार नेट कलेक्शन 6.95 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कि पिछले साल इसी अवधि के शुद्ध संग्रहण की तुलना में 19.3 प्रतिशत अधिक है। इस दौरान कॉर्पोरेट आयकर (सीआईटी) में 19.2 प्रतिशत जबकि व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) में 18.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली। मौजूदा वित्त वर्ष में शुरुआती 10 महीनों में 1.26 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए हैं। अभी इस वित्त वर्ष के दो महीने बाकी हैं उम्मीद जताई जा रही है कि इन दो महीनो में टैक्स कलेक्शन के बाद अनुमान से कहीं ज्यादा कर संग्रहण हो जाएगा।

नोटबंदी और कालेधन पर लगाम के कई फायदे हुए हैं। इससे टैक्स देने वालों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। एक नजर डालते हैं वित्तीय सुधार के कदमों से होने वाले लाभ पर-

कर अनुपालन में हुई बढ़ोतरी
नोटबंदी के बाद देश के टैक्स सिस्टम से 56 लाख नए करदाता जुड़े हैं। वहीं, पिछले साल के मुकाबले टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में 9.9 प्रतिशत से 26.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 2015-16 में 66.53 लाख थी, जो 2016-17 में बढ़कर 84.21 लाख हो गई।

ट्रेस आउट हो सका कालाधन
नोटबंदी के बाद 99 प्रतिशत नकदी बैंकिंग सिस्टम में आ गए हैं। इसका फायदा यह है कि अब काले धन का पता लगाना काफी आसान हो गया है। इस निर्णय के बाद 17.73 लाख ऐसे संदिग्ध मामलों की पहचान की गई है जिनमें पैन कार्ड धारकों के प्रोफाइल नोटबंदी के पहले के प्रोफाइल से मेल नहीं खाते हैं।

इकोनॉमी सिस्टम में स्वच्छता
नोटबंदी के बाद चार लाख लाख संदिग्ध कंपनियां जांच एजेंसियों के राडार पर आईं। इनमें से अधिकतर कालाधन को छिपाने और कर चोरी के उद्देश्य से संचालित की जा रहीं थी। इनमें से 2.24 कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है।

डिजिटल हो रही अर्थव्यवस्था
नोटबंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था लेस कैश सोसाइटी की ओर अग्रसर है। डिजिटल ट्रांजेक्शन्स 300 प्रतिशत तक बढ़े है। कैशलेस लेनदेन लोगों के जीवन को आसान बनाने के साथ-साथ हर लेनदेन से काले धन को हटाते हुए क्लीन इकोनॉमी बनाने में भी मददगार साबित हुआ है।

फॉर्मल हो रही इकोनॉमी
नोटबंदी के बाद असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के जीवन में बड़ा बदलाव आया है। अब उन्हें सामाजिक सुरक्षा से उनके अधिकारों के संरक्षण दिये जा रहे हैं। 50 लाख श्रमिकों के बैंक खाते खोले गए, एक करोड़ से अधिक श्रमिकों को प्रोविडेंट फंड का लाभ मिलने लगा है और ESIC में 1.3 करोड़ श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन भी किया गया है।

जाली नोटों पर कसा शिकंजा
नोटबंदी के बाद जाली नोटों की बाजार में उपलब्धता बेहद कम हो गई है। रिजर्व बैंक ने 762 हजार नकली नोटों का पता लगाया था इनमें से ज्यादातर नकली नोट्स 500 रुपये के 41 प्रतिशत और 1000 के 33 प्रतिशत थे। नोटबंदी के बाद ही ये पता लग पाया कि पांच सौ के हर 10 लाख नोट में औसत 7 और 1000 के हर 10 लाख नोटों में औसत 19 नोट नकली थे।

बैंकों के ब्याज दरों में कमी
नोटबंदी के बाद बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में करीब एक प्रतिशत तक कमी की है। नोटबंदी के बाद 1 जनवरी, 2017 को भारतीय स्टेट बैंक ने आश्चर्यजनक रूप से धन की सीमांत लागत आधारित ब्याज दर (एमसीएलआर) में 0.9 प्रतिशत कटौती की थी। इसके बाद दूसरे बैंकों ने भी ऐसा ही किया जिससे आम लोगों को काफी राहत मिली है।

रियल एस्टेट के लिए वरदान
रियल एस्टेट क्षेत्र कालेधन के ट्रांजेक्शन्स के लिए बेहद ही आसान जरिया बन गया था। लेकिन नोटबंदी के निर्णय के बाद आम लोगों के लिए घर खरीदना बहुत सस्ता हो गया। दो लाख रुपये से अधिक के कैस ट्रांजेक्शन पर रोक लगने के बाद प्रॉपर्टी की कीमतों में 25 से 40 प्रतिशत तक कमी आ चुकी है। नोटबंदी के कारण रियल एस्टेट सेक्टर अब अधिक पारदर्शी, संगठित, भरोसेमंद और खरीददारों के लिए अनुकूल साबित हो रहा है।

Leave a Reply