Home गुजरात विशेष जनशक्ति की बुनियाद पर हुआ गुजरात का विकास

जनशक्ति की बुनियाद पर हुआ गुजरात का विकास

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जिस जनशक्ति की ताकत से हमें स्वतंत्रता मिली। जिस जनशक्ति के बल पर देश में हरित क्रांति हुई। जिस जनशक्ति की बदौलत संपूर्ण क्रांति हुई। इसी जनशक्ति ने एक गरीब मां के बेटे को देश का प्रधानमंत्री बना दिया। नरेंद्र दामोदर दास मोदी उसी शख्सियत का नाम है जिन्होंने जनशक्ति का बेहतरीन इस्तेमाल करते हुए गुजरात के विकास की नींव रखी और प्रदेश की पहचान बदल कर रख दी। आज यह राज्य विकास की नित नई ऊंचाइयां प्राप्त कर रहा है।

 

‘पंचामृत’ से पड़ी विकास की नींव
नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2001 में जब गुजरात की कमान संभाली तो प्रदेश सूखे की मार झेल रहा था, समाज में समरसता का अभाव था, ऊर्जा संकट बेशुमार था, सुरक्षा मामले में शासन लाचार था और शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल था। लेकिन नरेंद्र मोदी ने गुजरात को इन सब समस्याओं से मुक्ति दिलाने की ठानी और गुजरात के विकास की गति देने के लिए पंचामृत योजना लांच कर दी।

पंचामृत मॉडल में पांच मूलभूत शक्तियों- जन, ज्ञान, जल, ऊर्जा और रक्षा शक्ति को एकीकृत करके गुजरात को संतुलित और संपूर्ण विकास के पथ पर ले जाने की ठोस बुनियाद रख दी।

जनशक्ति से खड़ा हुआ गुजरात
पंचामृत को वास्तविकता में रुप देने के लिए चिंतन शिविर, ज्योतिग्राम, सुजलाम सुफलाम, ई-गर्वनेंस, ग्राम सचिवालय, वनबंधु, कन्या केलवानी, एकल्वय विद्यालय, चिरंजीवी योजना और शाला प्रवेशोत्सव जैसी नयी योजनाएं चलाईं। जनशक्ति को खुद के साथ जोड़े रखने के लिए उन्होंने गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह को प्रति वर्ष गांधीनगर में आयोजित न करके अलग-अलग जिलों में आयोजित करना शुरू किया। कृषि महोत्सव जैसे नये कंसेप्ट के साथ किसानों के हित के लिए कई कार्यक्रम किए और गणोत्सव, गरीब कल्याण मेला जैसे कार्यक्रमों के जरिये आम लोगों तक पैठ बनाई। गुजरात विकास की राह पर चल पड़ा तो 2003 में वाइब्रेंट गुजरात भी शुरू कर दिया। इस आयोजन ने तो गुजरात को वो फलक दे दिया जिसके आधार पर प्रदेश विकास की नई कहानियां रच रहा है।

सूखे राज्य में आई हरियाली
2001 में नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने से पहले राज्य लगातार तीन सालों से सूखे की मार झेल रहा था। लेकिन नर्मदा नदी से सीधी पाइपलाइन कच्छ तक पहुंचा दी और सूखे रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने की शुरुआत कर दी। आज कच्छ और सौराष्ट्र में नर्मदा के पानी से हालात साफ बदल गए हैं।

‘केस स्टडी’ बन गया कच्छ
कच्छ के भंयकर भूकंप में 20,000 लोग मारे गए, पचास हजार से ज्यादा लोग घायल थे और 6 लाख लोग बेघर हो गए थे। मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ पुनर्वास एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन नरेंद्र मोदी ने पुनर्वास के लिए जहां कॉरपोरेट्स को जोड़ा वहीं लोगों में भरोसा जगाया। महज छह महीने में ही उस इलाके की तस्वीर बदल गई और आज उसी भरोसे की बदौलत कच्छ का इलाका देश ही नहीं पूरी दुनिया में पुनर्वास की सफलता की केस स्टडी बन गया है।

पंच शक्ति से विकसित हुआ राज्य
नरेंद्र मोदी ने जनशक्ति को पंचामृत की अन्य शक्तियों के साथ एक करके गुजरात को विकास के ऐसे मुकाम पर ला दिया जहां कृषि, उद्योग, शिक्षा, सुरक्षा, जल, उर्जा, स्वास्थ्य, पर्यटन के क्षेत्र में राज्य की एक साख स्थापित हुई। उन्होंने विकास में जनशक्ति की अहमियत को न सिर्फ पहचाना बल्कि उसका भरपूर उपयोग करने के नये-नये तरह के विचारों पर काम किया।

चिंतन शिविर में एकीकृत विजन
हर साल सरकार के सभी विभागों के प्रमुख अधिकारियों के साथ चिंतन शिविर में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं बैठते। इसमें सभी विभाग अपने विभाग में चल रहे कार्यो और आने वाले साल में योजनाओं के बारे में बताते। इससे सभी विभागों को एकदूसरे के कामकाज और विजन को समझने का अवसर मिलता, जो सरकार के विभिन्न विभागों में आपसी सहयोग को बढ़ाता, जिससे जनता के लिए किए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता और तेजी को बल मिलता। जनशक्ति में विश्वास पैदा करने और सरकारी योजनाओं में जोड़ने के लिए यह महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुई।

जनता के द्वार पर सरकार
इस कार्यक्रम के तहत कई सरकारी विभागों ने एकीकृत शिविर लगाने का काम शुरू किया। इससे अलग-अलग विभाग की समस्याओं का निपटारा एक छत के नीचे होने लग गया। इस कोशिश से विश्वास और सहयोग का नया वातावरण तैयार हुआ।

ऑनलाइन सेवाओं से कम हुआ करप्शन
एक बड़ी पहल करते हुए तत्कालीन गुजरात सरकार ने सरकार से मिलने वाले सभी प्रकार के प्रमाणपत्रों को प्राप्त करने की समय सीमा निश्चित कर दी। सभी गांवों को इंटरनेट से जोड़ दिया गया और प्रमाणपत्र ऑनलाइन आवेदन करके निश्चित समय सीमा में प्राप्त किया जाने लगा। इससे पारदर्शिता तो बढ़ी ही, भ्रष्टाचार भी कम हुआ।

शाला प्रवेशोत्सव ने बदली शिक्षा की तस्वीर
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री स्वयं, कैबिनेट मंत्री, सभी अधिकारी, राज्य के अलग अलग जिलों में पहुंचकर जनता से बातचीत करते और उन्हें 6 साल से ऊपर की आयु के बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए प्रेरित करते। इन कार्यक्रमों के जरिए बच्चों के, विशेष रूप से बालिकाओं के पंजीकरण की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई।

कृषि महोत्सव से किसानों को मिली ताकत
कृषि महोत्सव के जरिये किसानों की हर समस्याओं का समाधान करने की कोशिश होती, नई जानकारियां दी जातीं। कृषि कार्यों को अधिक उत्पादक बनाने के लिए गुजरात में ही सबसे पहले सॉइल हेल्थ कार्ड की व्यवस्था शुरू की गई। इन महत्सवों में पशुधन की वृद्धि और विकास का पूरा प्रयास किया जाता। ये प्रदेश आज इस कारण से भी डेयरी क्षेत्र में भी देश के सामने नजीर बना है।

वाइब्रेंट गुजरात से बनी नयी पहचान
तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने वाइब्रेंट गुजरात महोत्सव की नींव 2003 में रखी थी। जब विश्व के राजनैतिक और आर्थिक नेतृत्व, स्विटजरलैंड के डावोस में एकत्र होते, ऐसे में मोदी ने वाइब्रेंट गुजरात से सभी को गुजरात बुलाया। हर दो साल में होने वाले इस आयोजन की सफलता का अंदाज इसी से लगा सकते हैं कि देश का हर राज्य ऐसे महोत्सवों का आयोजन करने लगा है। वाइब्रेंट गुजरात ने न सिर्फ गुजरात के उद्योग और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ावा दिया बल्कि लाखों रोजगार भी पैदा किए।

गुजरात का विकास नरेंद्र मोदी के विज़न, त्वरित निर्णय लेने की क्षमता, पारदर्शिता और विकास के नये नये तरीकों के प्रयोग की नींव पर खड़ा है जिसे जनशक्ति की ताकत ने और अधिक मजबूत किया है।

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