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नोटबंदी से इतनी बेचैनी क्यों, घोटाला छिपाना तो नहीं चाहती कांग्रेस

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काला धन और भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बनाकर नरेंद्र मोदी सत्ता में आए। प्रधानमंत्री बनते ही मोदी निरंतर काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठा रहे हैं। कालेधन के खिलाफ एसआईटी गठन, जन धन योजना के तहत सभी देशवासियों के खाते खुलवाने से लेकर आईएसडी स्कीम तक। कालेधन को समूल रूप से नष्ट करने के लिए नोटबंदी लागू किया। 500 और 1000 के पुराने नोट बंद करने की घोषणा के खिलाफ कांग्रेस पार्टी मुखर रूप से सामने आई है। मोदी विरोध में कांग्रेस एकदम निचले स्तर पर उतर आई है। आखिर नोटबंदी से कांग्रेस को इतनी बेचैनी क्यों हैं?

कांग्रेस पार्टी और उसके नेतृत्व से कुछ सवाल हैं जिसका जवाब उन्हें देना होगा-

1. मोदी सरकार की नीयत और नीति को समझे बिना कांग्रेस पहले दिन से ही नोटबंदी का विरोध क्यों कर रही है?

2. मोदी सरकार ने नोटबंदी की घोषणा के साथ ही 50 दिन का वक्त मांगा। सभी देशवासी प्रधानमंत्री पर विश्वास करके तमाम परेशानियों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में, कांग्रेस को 50 दिन का सब्र क्यों नहीं है?

3. तमाम विरोधी पार्टियां 500 और 1000 के नोट को बंद करने के फैसले को गलत नहीं बताया। लागू करने के लिए तीन से पांच दिन की मोहलत मांग रही है जबकि कांग्रेस नोटबंदी को ही गलत फैसला बता रही है। ऐसा क्यों?

4. नोटबंदी पर बहस कराने की मांग को लेकर हर बार नया तिकड़म करके संसद के शीतकालीन सत्र को कांग्रेस चलने नहीं दे रही है। क्यों?

5. नोटबंदी के फैसले पर रोक लगवाने के लिए कांग्रेस ने न्यायपालिका के सामने वकीलों की फौज खड़ी कर दी है। आखिर क्यों?

आखिर क्या कारण है कि दस साल तक प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में होने वाले तमाम बड़े-बड़े घोटाले पर मौन साध रखी थी, वो भी नोटबंदी के कारण बोल पड़े। इससे पहले इनकम डिक्लेयर स्कीम को राहुल गांधी ने फेयर एंड लवली स्कीम कहकर मजाक उड़ाया था। इन दिनों सोशल मीडिया पर नोटों की कुछ तस्वीर तेजी वायरल हुई है। इसमें 500, 1000 ही नहीं 20 रुपए के भी नोट दिख रहे हैं। सभी नोट एक सीरियल नंबर के हैं, ऐसा तस्वीरों में दिखाई दे रहा है। अगर इसमें थोड़ी भी सच्चाई है तो कांग्रेस राज का एक नया घोटाला सामने है, जो प्रधानमंत्री मोदी के नोटबंदी के फैसले के बाद पकड़ में आया है। घोटालों पर कांग्रेस का इतिहास अरबों का रहा है। अगर नोट एक नंबर के छापे गए होंगे तो जरूर अरबों खरबों के घोटाले का पता चलने वाला है।

ऐसा इसलिए भी, क्योंकि रिजर्व बैंक के मुताबिक, बाजार में 14.5 लाख करोड़ रुपए 1000 और 500 के नोटों के रूप में मौजूद है जिसमें से 7 दिसंबर से पहले तक बैंकों के पास 11.5 लाख करोड़ तक जमा हो चुके हैं। अभी 23 दिन और बैंकों में पैसे जमा होना है। ऐसे में अभी 500 व 1000 के नोट अभी और आएंगे। बैंकों में जमा होने वाले सभी नोट असली हैं। ऐसे में एक ही नंबर के नोटों का बाजार में होने और सोशल मीडिया पर चल रहे तस्वीरों से घोटालों की आशंका को बल मिल रहा है। नोटबंदी का फैसला न होता तो इस घोटाले की ओर तो कभी ध्यान ही नहीं जाता। शायद यही एक वजह है कि नोटबंदी के फैसले को रद्द कराने के लिए कांग्रेस ऐड़ी चोटी एक कर रखी है।

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