Home विचार सशक्त व समर्थ भारत की नींव रख रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी

सशक्त व समर्थ भारत की नींव रख रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी

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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर मंगलवार को इंडियन एयरफोर्स का सबसे बड़ा टचडाउन हुआ। 17 फाइटर प्लेन्स बारी-बारी से एक्सप्रेस-वे के एक हिस्से पर उतारे गए। इनमें बड़ा एयरक्राफ्ट हरक्यूलिस भी शामिल था। एक्सप्रेस-वे जब ‘रन-वे’ बना तो बिल्कुल युद्ध जैसा दिखा नजारा दिख रहा था। स्पष्ट है कि भारतीय सेना को सशक्त और समर्थ बनाने की दिशा में उठाया गया यह कदम देश के दुश्मनों को संदेश है कि भारत किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा क्षेत्र में मजबूती के लिए कई नीतियां बनाई हैं और कई सौदों को मंजूरी दी है, जो भारतीय रक्षा तंत्र को मजबूती दे रहा है।  

हाई-वे को रन-वे में बदल रही सेना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने 2015 से हाई-वे को रन-वे के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए ऑफिशियल टेस्टिंग शुरू की। 2015 से अब तक तीन बार इस तरह की सफल टेस्टिंग कर चुका है। दरअसल भारत में 12 हाईवे को जंग के वक्त फाइटर प्लेन्स की लैंडिंग और टेकऑफ में इस्तेमाल करने लायक बनाने की योजना है। यानी भारत के पास पाकिस्तान से तीन गुना ज्यादा रोड रनवे हो जाएंगे। भारत में 22 हाईवे पर रनवे तैयार करने का प्लान है। इनमें से 12 हाईवे पर रनवे बनाने की एयरफोर्स मंजूरी दे चुकी है। इन हाईवे पर कुछ किमी हिस्से को एयर स्ट्रिप की तरह तैयार किया जाना है। 12 रनवे तैयार हो जाने पर भारत के पास पाकिस्तान से तीन गुना ज्यादा रोड रनवे की कैपेसिटी होगी।

PAK से 3 गुना ज्यादा रोड रनवे बनाएगा भारत, 2 साल में तीसरी कामयाब टेस्टिंग, national news in hindi, national news

इन हाई-वे को रन-वे में बदला जा रहा है-

  • झारखंड में जमशेदपुर-बालासोर हाई-वे
  • ओडिशा में छत्तरपुर-दीघा हाइ-वे
  • बिहार में किशनगंज-इस्लामपुर हाई-वे
  • दिल्ली-यूपी का दिल्ली-मुरादाबाद हाई-वे
  • जम्मू कश्मीर में बिजबेहड़ा-चिनार बाघ हाई-वे
  • उत्तराखंड में रामपुर-काठगोदाम हाई-वे
  • उत्तर प्रदेश में लखनऊ-वाराणसी हाइ-वे
  • गुजरात में द्वारका-मालिया हाई-वे
  • पश्चिम बंगाल का खड़गपुर-क्योंझर हाई-वे
  • असम में मोहनबारी-तिनसुकिया हाई-वे
  • आंध्र प्रदेश में विजयवाड़ा-राजामुंदरी हाई-वे
  • तमिलनाडु में चेन्नई-पुड्‌डुचेरी हाई-वे
  • राजस्थान में फलौदी-जैसलमेर हाई-वे

चीन सीमा पर 50 सीमा चौकियां बनेंगी
चीन से रिश्तों में आई कड़वाहट के बाद भारत कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहता। इसलिए भारत-चीन बॉर्डर पर 50 नई सीमा चौकियां बनाए जाने पर विचार कर रहा है। सरकार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर 50 नई बीओपी यानी बॉर्डर आउटपोस्ट बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। फिलहाल भारत-चीन सीमा पर 176 चौकियां हैं। इसके ऊंचाई पर स्थित सभी ठिकानों में तापमान पूरे साल 20 डिग्री सेल्सियस तक बरकरार रखना सुनिश्चित करने के लिए नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है।

सीमा घुसपैठ पर भारत सख्त, अरुणाचल समेत भारतीय सीमा पर बनेगी 50 नई चौकियां

ITBP के जवान सीख रहे हैं चीन की भाषा
चीन के सैनिकों के साथ तनातनी की सूरत में उनसे बेहतर संवाद के लिए अब आईटीबीपी के जवानों को ट्रेनिंग के दौरान ही मैंडेरिन भाषा का ज्ञान दिया जा रहा है। जवानों और अफसरों के लिए चीनी भाषा मेंडेरियन भाषा की बेसिक समझ विकसित करने पर भी जोर दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त 9,000 फुट से अधिक ऊंचाई पर तैनात सैनिकों के लिए विशेष रूप से कम वजन वाले गर्म कपड़े और 3,488 किमी लंबी चीन भारत सीमा के अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाकों में गश्त के लिए बर्फ पर चलने वाले स्कूटरों का विस्तारित बेड़ा भी दिया जा रहा है।

माउंटेन स्ट्राइक कोर बनाने का शुरुआत
भारत और चीन के बीच तल्खियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में सरकार ने माउंटेन स्ट्राइक कोर बनाने का निर्णय किया है जो 2021 तक बनकर तैयार हो जाएगी। रक्षा मंत्रालय की योजना के अनुसार 80 हजार जवानों की यह विशेष फोर्स चीनी सीमा वाले ऊंचे इलाकों में रहकर लड़ने में पारंगत होगी तथा वायु शक्ति से भी लैस होगी। माउंटेन स्ट्राइक कोर में कुल 80 हजार जवान एवं अफसर होंगे। इसके तहत चार माउंटेन डिवीजन बनाए बनेंगे जिनमें 20-20 हजार कार्मिक होंगे। मोटे तौर पर 80 हजार की इस कोर में करीब 10 हजार अफसर भी होंगे। यह फोर्स जरूरत पड़ने पर कुछ ही मिनटों में चीनी सेना को मुहतोड़ जवाब देने में समक्ष होगी। यह ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर सभी किस्म के अत्याधुनिक हथियारों से लैस होगी।

ब्रह्मोस से लैस होगी माउंटेन स्ट्राइक कोर

भारत चीन सीमा पर 73 सड़कों का निर्माण
भारत सरकार अब चीन सीमा के आसपास 73 सड़कें बनवा रही है। दरअसल पहले भारत की रणनीति थी कि अगर बॉर्डर इलाके वीरान होंगे, तो युद्ध जैसे हालात बनने पर चीनी सेना को भारतीय सीमा में घुसने में मुश्किलें होंगी। वहीं, चीन ठीक इससे उलट बॉर्डर इलाकों में जानबूझकर सड़कें बनवाता रहा। भारत ने उसकी रणनीति को भांपते हुए सड़कें बनवाने का फैसला किया है, ताकि युद्ध की दशा में इन सड़कों के माध्यम से आसानी से आवागमन हो सके। रक्षा मंत्रालय के खर्च से 46 सड़कों का निर्माण कराया जाएगा। वहीं, 27 सड़कों का निर्माण गृह मंत्रालय करवाएगा। 30 सड़कों का निर्माण लगभग पूरा भी हो चुका है। अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 25 सड़कें बनाई जा रही हैं जो चौकियों को बॉर्डर से जोड़ेंगी।

भारत चीन सीमा पर 73 सड़कों का निर्माण के लिए चित्र परिणाम

सेटेलाइट से अब हो रही सेना की मदद
आईटीबीपी को संचार व निगरानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली G-SAT सेटलाइट की नोडल फोर्स गठित की है। इसके जरिए बीएसएफ (पाकिस्तान-बांग्लादेश बॉर्डर पर तैनात), एसएसबी (इंडो-नेपाल बॉर्डर पर तैनात) और आईटीबीपी जो चीन बॉर्डर पर तैनात है उन्हें कम्युनिकेशन की बेहतर सुविधाएं मिलेंगी जो बॉर्डर पर रीयल टाइम मॉनेटरिंग में मदद करेगा। गौरतलब है कि भारत की 15,000 किलोमीटर सीमा पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार से लगती है। सशस्त्र बल सीमा की निगरानी के लिए फिलहाल ISRO के 13 सैटेलाइट का इस्तेमाल करते हैं।

सेटेलाइट से अब हो रही सेना की मदद के लिए चित्र परिणाम

फ्रांस से 36 राफेल विमान की डील पक्की
पाकिस्तान के साथ लगातार गहराते तनाव और उसकी चीन से बढ़ती नजदीकी को देखते हुए भारतीय वायुसेना ने सीमावर्ती इलाकों में राफेल जेट तैनात करने का फैसला लिया है। पाकिस्तान और चीन की ओर से उपजने वाले किसी भी खतरे से निपटने के लिए राफेल लड़ाकू विमानों को हरियाणा के अंबाला और पश्चिम बंगाल के हासीमारा में तैनात किया जाएगा। दरअसल सितंबर 2016 में भारत ने 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए फ्रांस की सैन्य विमान निर्माता डेसॉल्ट एविएशन के साथ 60 हजार करोड़ रुपये का सौदा किया था। माना जा रहा है कि सितंबर 2019 तक ये लड़ाकू विमान भारत को मिल जाएंगे। चीन सीमा के सबसे नजदीक एयरबेस हासीमारा में MiG-27 की जगह इन विमानों की तैनाती की जाएगी।

फ्रांस से 36 राफेल विमान की डील पक्की के लिए चित्र परिणाम

रूस से भारत को मिलेगा S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछली बार जून में रूस दौरे पर गए थे। वहां रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनकी मुलाकात में एस-400 डिफेंस सिस्टम की डील पक्की हो गई थी और जल्द ही ये भारत को मिल सकता है। यह डिफेंस सिस्टम एक साथ 36 मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। S-400 Triumf, एक विमान भेदी मिसाइल है और यह रूस की नयी वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली का हिस्सा है, जो 2007 में रूसी सेना में तैनात की गई थी। इन डिफेंस सिस्टम से विमानों, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों तथा जमीनी ठिकानों को भी निशाना बनाया जा सकता है। ये मिसाइलें 400 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं. इसके पास अमेरिका के सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट एफ-35 को गिराने की भी कैपिसिटी है। इस डिफेंस सिस्टम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे एक साथ तीन मिसाइलें दागी जा सकती हैं। इससे मिसाइल से लेकर ड्रोन तक यानी इसकी मौजूदगी में कोई भी हवाई हमला आसानी से नाकाम किया जा सकता है। यही नहीं पाकिस्तान या चीन की न्यूक्लियर पावर्ड बैलिस्टिक मिसाइलों से भी यह बचाएगा। यानी यह एक तरह का मिसाइल शील्ड है।

एस-400 मिसाइल तकनीक देने को सहमत रूस

इजरायल से भारत को मिलेंगे मिसाइल से लैस 10 ड्रोन
इजरायल भारत को 10 हेरॉन टीपी ड्रोन देने जा रहा है। इस ड्रोन की मारक क्षमता देखते हुए इसे भारत के लिए बहुत ही अहम सौदा बताया जा रहा है। दरअसल इसे किलर ड्रोन भी कहा जाता है। हेरॉन-टीपी लड़ाकू ड्रोन हवा से जमीन पर लक्ष्य तबाह करने वाली मिसाइलों से लैस होंगे। ये ड्रोन पूरी तरह ऑटोमेटिक हैं और एक टन से ज्यादा भारी विस्फोटक लेकर उड़ान भर सकते हैं। करीब 30 घंटे तक लगातार रहने के साथ ही 40 हजार फीट तक की ऊंचाई से जमीन पर लक्ष्य भेद सकते हैं। ड्रोन 370 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ते हुए हमला कर सकता है और 7400 किलोमीटर की रेंज में अचूक निशाना लगा सकता है। सबसे खासियत यह है कि इसे कंट्रोल रूम में बैठकर हेरॉन-टीपी ड्रोन को ऑपरेट किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त ये किसी भी मौसम में आसानी से मिशन को अंजाम दे सकता है और इससे बड़े पैमाने पर खुफिया निगरानी की जा सकती है।

इजराइल से भारत को मिलेगा ये किलर ड्रोन, डिफेंस डील से पाक में खलबली

हिंद महासागर में धमक बढ़ा रहा भारत
चीन को ध्यान में रखते हुए भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। फारस की खाड़ी से लेकर मलक्का स्ट्रेट तक अब नौसेना के युद्धपोत दिन-रात गश्ती करेंगे ताकि पारंपरिक खतरों की तरफ से किसी भी तरह की घटना की आशंका और समुद्री आतंकवाद, लूट की घटनाओं से निपटने के साथ ही मानवीय आपदा राहत का काम भी किया जा सके। वर्तमान में 12 से 15 विध्वंसक, युद्धपोत और बड़े गश्ती जहाज हिंद महासागर में तैनात हैं। इनको रुक्मिणि (GSAT-7) सैटलाइट की मदद भी मिलती है। भारतीय नौसेना के पास फिलहाल 138 युद्धपोत और 235 एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर हैं। योजना है कि 2027 तक भारतीय नौसेना के पास 212 युद्धपोत हों और 450 से ज्यादा एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर हों।

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