कर्नाटक की जनता अजीबोगरीब स्थिति के बीच फंस गई है। कांग्रेस पार्टी और जेडीएस के अवसरवादी गठबंधन के बाद एच डी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री तो बन गए, लेकिन उनके हाथ में कुछ है ही नहीं। संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री राज्य सरकार का मुखिया होता है और उसके पास अपना मंत्रिमंडल चुनने से लेकर अधिकारियों को तैनात करने तक का अधिकार होता है। कर्नाटक में हालात जुदा हैं, यहां जनता को मजबूत मुख्यमंत्री की जगह मजबूर मुख्यमंत्री मिला है। एक ऐसा मुख्यमंत्री जिसकी कुर्सी कांग्रेस की बैशाखियों के सहारे है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री बने इतने दिन बीत जाने के बाद एच डी कुमारस्वामी अभी तक न तो अपने मंत्रियों के नाम फाइनल कर पाए और न ही विभागों का बंटवारा।
कर्नाटक में मंत्रियों के विभाग को लेकर कांग्रेस-जेडीएस में खींचतान
कर्नाटक में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने 23 मई को शपथ ली थी, उसके बाद यह कहा गया था कि विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने के अगले दिन मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और विभागों का वितरण कर दिया जाएगा। अफसोस की बात यह है कि मंत्रिमंडल विस्तार का यह दिन अभी तक नहीं आ पाया है। कांग्रेस पार्टी के 22 मंत्री और जेडीएस के पास सीएम समेत 12 मंत्री पदों पर तो सहमति लगभग बन गई है, लेकिन विभागों को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। इसकी बड़ी वजह है दोनों दलों के बीच मलाईदार विभागों को लेकर खींचतान। बताया जा रहा है कि दोनों दलों के बीच मुख्य खींचतान वित्त मंत्रालय को लेकर है। सीएम एचडी कुमारस्वामी वित्त मंत्रालय अपने पास रखना चाहते हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी भी वित्त मंत्रालय अपने पास रखने पर अड़ी है। सोमवार को सीएम कुमारस्वामी ने दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात भी की, लेकिन यह मुद्दा नहीं सुलझ सका। अब कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में एक हफ्ते का समय और लग सकता है, क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अभी विदेश में है और उनके लौटने के बाद ही इस पर कोई फैसला हो सकेगा।
जनता को लूटने के लिए मलाईदार मंत्रालय लेने पर अड़े दोनों दल!
सरकार बनाते वक्त दोनों दलों ने दावा किया था कि कर्नाटक की जनता ने उन्हें सरकार बनाने का जनादेश दिया है और वो मिलकर राज्य की जनता की सेवा करेंगे। बताइए जब जनता की सेवा करना ही मुख्य मकसद है तो फिर विभागों को बंटवारे पर लड़ाई क्यों? जनता की सेवा तो किसी भी मंत्रालय में रह कर की जा सकती है। दरअसल सच्चाई यह नहीं है, इतिहास उठाकर देखेंगे तो पता चलेगा की चाहे कांग्रेस हो या फिर जेडीएस दोनों दलों ने कर्नाटक को जमकर लूटा है। पांच वर्षों तक सरकार चलाने वाली कांग्रेस के काले कारनामे किसी से छिपे नहीं है, और जेडीएस के नेता कुमारस्वामी भी कोई दूध के धुले नहीं है। ऐसे में समझा जा सकता है कि दोनों दल कमाई वाले मंत्रालयों पर नजरें गड़ाए हुए हैं, ताकि जब तक मौका मिले राज्य की जनता को जमकर लूटा जा सके।
कांग्रेस के रहमोकरम पर निर्भर हैं सीएम कुमारस्वामी
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने हाल ही में एक बयान दिया है कि वो कांग्रेस के रहमोकरम से मुख्यमंत्री बने हैं न कि राज्य के 6.5 करोड़ लोगों की कृपा से। मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने जनता से किए वादे पूरे नहीं कर पाने की स्थिति में इस्तीफा देने के संकेत दिए हैं। कुमारस्वामी ने कहा, “कर्नाटक में मेरी स्वतंत्र सरकार नहीं है। कांग्रेस नेताओं की ‘अहसान’ से सीएम बना हूं। इसलिए फैसले लेने के लिए कांग्रेस पर निर्भर हूं। अगर जल्द ही किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ, तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा।”
I am at mercy of Congress. I am responsible for development of state,that is different. I have to do my job as CM, I have to take permission from Congress leaders, without their permission I can’t do anything, they have given me support: Karnataka CM on his earlier statement pic.twitter.com/gFWjDF3Sm0
— ANI (@ANI) 28 May 2018
यानी कुमारस्वामी के अंदर यह बात गहरे से बैठी हुई है कि कर्नाटक के लोगों ने उन्हें सीएम बनाने के लिए वोट नहीं दिया था और वह कांग्रेस पार्टी की वजह से ही इस कुर्सी पर बैठे हैं। देखा जाए तो इस बयान के कई मायने हैं, जैसे कि अगर वो मुख्यमंत्री रहते हुए कुछ नहीं कर पाए तो उसका ठीकरा आसानी से कांग्रेस पार्टी पर फोड़ सकते हैं। मतलब साफ है कि दोनों दलों का मिलन तो हुआ है, लेकिन नेताओं को दिलों का मिलन नहीं हुआ है।
जो मनमोहन 10 साल में नहीं कह पाए, कुमारस्वामी ने कह दिया
जाहिर है कि कुमारस्वामी ने कांग्रेस की कृपा से मुख्यमंत्री बनने का बयान देकर उस सच्चाई को बेबाकी से सबके सामने ला दिया है, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह दस वर्षों में नहीं कह पाए। पूरा देश जानता है कि डॉक्टर मनमोहन सिंह अगर देश के प्रधानमंत्री बने थे, तो सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कृपा से। मां-बेटे ने कई मौकों पर इसका एहसास भी कराया। दस वर्षों तक दस जनपथ से रिमोट कंट्रोल की सरकार चलती रही, लेकिन पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कभी इस बात को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं किया। यह कुमारस्वामी की दिलेरी ही कही जाएगी कि उन्होंने सरकार बनाने के एक हफ्ते के भीतर ही यह स्वीकर कर लिया कि वो कांग्रेस आलाकमान यानी सोनिया और राहुल गांधी की कृपा से सीएम बने हैं और उनकी मर्जी के बगैर राज्य में एक कदम भी नहीं उठा सकते हैं।
कांग्रेस के ऐहसान तले दबा सीएम क्या कर पाएगा विकास?
मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के बयानों से साफ है कि वह सिर से लेकर पैर तक कांग्रेस पार्टी के ऐहसान तले तबे हुए हैं। ऐसे में उनके कर्नाटक के विकास की क्या उम्मीद की जा सकती है। जाहिर है कि जेडीएस ने चुनाव के दौरान कर्नाटक की जनता से कई वादे किए थे और अब वो मुख्यमंत्री है तो जनता तो उनसे ही उन जवाब मांगेगी। पर एक सच्चाई यह भी है कि कुमारस्वामी अपनी मर्जी से एक भी फैसला ले नहीं सकते हैं, क्योंकि उन्हें कुछ भी करने से पहले कांग्रेस से सहमति लेनी पड़ेगी। अब आप ही बताइए ऐसा मजबूर मुख्यमंत्री क्या कर्नाटक की जनता का भला कर पाएगा?
बेमेल गठबंधन क्या चला पाएगा 5 साल तक सरकार?
पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम से साफ हो गया है गया है कि कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस का गठबंधन अवसरवादी ही नहीं बल्कि बेमेल भी है।विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने मुंह की खाने के बाद तिकड़बाजी दिखाकर अपने धुर विरोधी जेडीएस का दामन तो थाम लिया है, लेकिन अब उसके साथ सामंजस्य बैठाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ये गठबंधन सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा कर पाएगी। जिस अंदाज में नेताओं के बयान आ रहे हैं, उससे तो यह असंभव लगता है।