Home समाचार हिंसा की राजनीति से सत्ता पाना चाहती है कांग्रेस!

हिंसा की राजनीति से सत्ता पाना चाहती है कांग्रेस!

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06 अप्रैल, 2018 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना दिवस पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिए गए संबोधन में देश की वर्तमान राजनीति को लेकर उन्होंने चिंता व्यक्त की। विरोधी दलों द्वारा नकारात्मक राजनीति और हिंसक विरोध से आहत होकर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी न केवल समाज में विभेद पैदा करने की कोशिश कर रही है, बल्कि उसे हिंसा की राह पर भी धकेल रही है।

दरअसल बीते कुछ ऐसे वाकये हमारे सामने आए हैं जो यह साबित करते हैं कि कांग्रेस पार्टी लगातार लोगों को भड़का रही है और अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस पार्टी देश में ‘हिंसा की आग’ फैलाकर सत्ता की सीढ़ी चढ़ना चाहती है?

मूर्ति तोड़ने वालों के कांग्रेस कनेक्शन का हुआ पर्दाफाश
त्रिपुरा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद देश में कई जगहों पर महापुरुषों की मूर्ति तोड़ने की घटनाएं सामने आईं। इसका एक पहलू ये है कि जितनी भी घटनाएं हो रही हैं वह भाजपा शासित राज्यों में हो रही हैं। इन घटनाओं को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस ट्वीट से भी समझा जा सकता है।  

जिस कांग्रेस ने बाबा साहेब को भारत रत्न नहीं दिया वह आज डॉ. आंबेडकर को अपना बता रही है। हकीकत तो ये है कि मूर्ति तोड़ने वाले जितने भी पकड़ा रहे हैं उनके कांग्रेस या विपक्ष से कनेक्शन सामने आ रहा है। आजमगढ़ में बाबा साहेब की जो मूर्ति तोड़ने वाला बसपा का एक दलित है, जो मूर्ति वाली जमीन पर कब्जा करना चाहता था। राजस्थान के अकरोला में गांधी जी की मूर्ति तोड़ने वाले तीनों आरोपी कांग्रेस के सदस्य हैं।

कांग्रेस समर्थित जिग्नेश मेवाणी का कुर्सी फेंको अभियान
कांग्रेस पार्टी लगातार हिंसा के लिए लोगों को प्रेरित कर रही है इसकी एक बानगी गुजरात विधानसभा में कांग्रेस समर्थित विधायक जिग्नेश मेवाणी के ‘कुर्सी फेंको’ आह्वान से भी समझा जा सकता है। मेवाणी ने 15 अप्रैल को कर्नाटक में होने वाली प्रधानमंत्री मोदी की रैली में लोगों को कुर्सी फेंकने के लिए उकसाया है। जिग्नेश मेवाणी ने गुजरात में भी कई बार हिंसा फैलाने की कोशिश की है और महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में भी उन्होंने ही दलित और मराठा के बीच संघर्ष की पृष्ठभूमि तैयार की थी।

 

कांग्रेस समर्थित हार्दिक पटेल ने फैलाई थी गुजरात में हिंसा
गुजरात में पटेल आरक्षण को लेकर जिस तरह से आंदोलन किया गया था वह किसी राजनीतिक दल के समर्थन के बगैर नहीं हो सकता था। बाद में हार्दिक पटेल और कांग्रेस के संबंधों और सौदेबाजी का खुलासा भी हुआ था। कांग्रेस से करोड़ों रुपये की डील कर गुजरात को हिंसा की आग में धकेल दिया गया और 14 लोगों की जान गंवानी पड़ी।

हिंदू देवी-देवताओं का सरेआम अपमान कर रहे कांग्रेसी
02 अप्रैल को दलित आंदोलन के दौरान जिस तरीके से हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया गया वह देश में आग लगाने की मंशा से ही किया गया। मध्य प्रदेश में हनुमान जी का जो अपमान किया गया था वह ईसाई मिशनरियों से ताल्लुक रखते थे और तमिलनाडु में जिन 2 लोगों को शिवलिंग पर पैर रखने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया है जिसका नाम सद्दाम और सईद है। जाहिर है कि इसके पीछे भी कांग्रेस का ही हाथ है।

मंदसौर में किसानों को भड़काने में कांग्रेस का हाथ
मध्य प्रदेश के मंदसौर में जून, 2017 को जब मंदसौर में किसानों का आंदोलन चल रहा था। इसकी आगुआई कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद कर रहे थे। कांग्रेस विधायकों और कार्यकर्ताओं ने किसानों को इतना भड़काया कि छह लोगों की जान चली गई। एक सच्चाई ये है कि राहुल गांधी आंदोलन को बीच में ही छोड़कर विदेश भाग गए।

सहारनपुर में जातीय तनाव फैलाने की कांग्रेसी साजिश
फरवरी, 2017 के विधानसभा चुनाव में सामाजिक समरसता की मिसाल बने यूपी में अप्रैल 2017 में आग लगाने की कोशिश की गई। सहारनपुर में दलितों और ठाकुरों को आमने-सामने लाने की कोशिश की गई। मामले की जांच हुई तो पता लगा कि हिंसा फैलाने वाली ‘भीम आर्मी’ कांग्रेस के नेताओं के सहयोग से खड़ा हुआ संगठन है। इसमें कांग्रेस के कई स्थानीय नेताओं के हाथ भी सामने आए। 

सर्वसमाज की समरसता पसंद नहीं करती कांग्रेस
दरअसल आजादी के 70 वर्षो बाद पहली बार ऐसा लग रहा है कि पूरे देश का बहुसंख्यक समाज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जातीय बेड़ियां तोड़कर एकता के गठबंधन में बंधकर एकता के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहता है। समाज एकता के सूत्र में बंधकर विकास के रास्ते चलना चाहता है। लेकिन कांग्रेस को शायद ये एकता पसंद नहीं आ रही।

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