कांग्रेस की सोशल मीडिया हेड दिव्या स्पंदना ‘राम्या’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में फेक न्यूज फैलाते रंगे हाथ पकड़ी गई हैं। दिव्या स्पंदना ने एक ट्वीट कर लिखा है कि, ‘बड़ी मुश्किल से वीडियो ढूंढा है, ये 1998 का इन्टरव्यू है जिसमे साहब खुद कह रहे है हाई स्कूल तक पढा हूँ, लेकिन आज साहब के पास ग्रेजुएशन की डिग्री है जो 1979 मे किया था!!’
बड़ी मुश्किल से विडियो ढूंढा है, ये 1998 का इन्टरव्यू है जिसमे साहब खुद कह रहे है हाई स्कूल तक पढा हूँ, लेकिन आज साहब के पास ग्रेजुएशन की डिग्री है जो 1979 मे किया था !! pic.twitter.com/zr2DLBDv6i
— Divya Spandana/Ramya (@divyaspandana) September 18, 2018
कांग्रेस सोशल मीडिया हेड ने इंटरव्यू को एडिट कर लोगों को गलत जानकारी देकर भरमाने की कोशिश की है। दिव्या ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी के सिर्फ हाई स्कूल पास होने का दावा किया है, लेकिन अगर आप कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला के साथ प्रधानमंत्री मोदी की पूरी बातचीत देखेंगे तो आपको सच्चाई का पता चलेगा। ओरिजनल वीडियो में प्रधानमंत्री साफ कहते हैं कि बीए और एमए की पढ़ाई एक्सटर्नल एक्जाम (कोरेस्पोंडेस कोर्स) से पूरी की है।
देखिए ओरिजनल वीडियो-
ऐसा पहली बार नहीं है। पहले भी प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ झूठी खबरें फैलाने की कोशिश की गई है। हाल ही में जब दिल्ली के रामलीला मैदान का नाम बदलने की खबर मीडिया में छाई तो इस पर बहुत विवाद हुआ। खबर में कहा गया कि नॉर्थएमसीडी ने रामलीला मैदान का नाम अटल रामलीला मैदान करने का प्रस्ताव भेजा है। एबीपी न्यूज की इस पर दिल्ली के विवादित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह से त्वरित रूप से ट्वीट किया और मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की, इससे जाहिर हो गया कि इसके पीछे कोई साजिश है।
जब दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने ऐसी किसी भी खबर का खंडन किया तो यह साफ हो गया कि ये खबर जान बूझकर फैलाई गई।
कुछ लोग जानबूझकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं! मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम हम सबके आराध्य हैं इसलिये रामलीला मैदान का नाम बदलने का कोई सवाल ही नहीं है! pic.twitter.com/xJ7XrSIutO
— Manoj Tiwari (@ManojTiwariMP) August 25, 2018
दरअसल मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए राजनीतिक दलों के साथ मीडिया का एक खास वर्ग भी बेहद सक्रिय है।
हाल में ही संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत अहमद अल बन्ना ने ऐसी ही झूठी खबरों की पोल तब खोल दी जब उन्होंने खुलासा किया कि उनके देश ने केरल को आर्थिक सहायता के लिए किसी रकम की कोई घोषणा नहीं की है। इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, इस बात के एलान के साथ ही विरोधी दलों और मीडिया के एक वर्ग का नकारात्मक चेहरा एक बार फिर सामने आ गया। केरल के सीएम और मीडिया के एक बड़े वर्ग का यह दावा झूठ साबित हो गया कि UAE सरकार ने 700 करोड़ की मदद की पेशकश की है। इससे साथ ही यह खबर भी झूठी साबित हुई कि मोदी सरकार ने उसे लेने से इनकार कर दिया है।
UAE Ambassador Ahmed Albanna said that there has been no official announcement so far by the UAE on any specific amount as financial aid… So we have been having a national debate on 700 cr, when there is not even an offer on the table! #KeralaFloodRelief https://t.co/NiI8YQCXUw
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 24, 2018
दरअसल मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए बड़े स्तर पर साजिशें रची जा रही हैं। हाल में यह ट्रेंड देखा जा रहा है कि भारतीय मीडिया में आजकल ऐसी खबरें सुर्खियां बना दी जा रही हैं जो अंतरराष्ट्रीय स्तर से बिना किसी तथ्यों के आधार पर निकलती हैं। इसके बाद कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां उसे मोदी सरकार से जोड़कर बदनाम करने का एक अभियान सा लेकर निकल पड़ती हैं। यूएई से आर्थिक मदद की खबर भी ऐसी ही है। आपको बता दें कि इंडिया टुडे ने एक रिपोर्ट छापी थी जिसके तहत ये कहा गया था कि यूएई ने एक कमेटी का गठन किया है जो यह देखेगी कि कैसे बाढ़ग्रस्त केरल की मदद की जा सकती है।
जाहिर है इसमें न तो किसी रकम की बात है और न ही वित्तीय मदद का कोई आश्वासन। लेकिन कांग्रेस और वामपंथ समर्थित ‘डर्टी ट्रिक गैंग’ ने इसी आधार पर फेक न्यूज फैला दिया ताकि मोदी सरकार बदनाम हो।
आइये हम उन खबरों पर नजर डालते हैं जब मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए प्लांट किया गया और फिर फैलाया गया।
”स्विस बैंक में भारतीय लोगों के कालेधन में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।‘’ 29 जून को भारत के सभी न्यूज वेबसाइट्स, अखबारों और टीवी चैनलों ने खूब दिखाया। हालांकि जब इस खबर को तथ्यों के आईने में पड़ताल की गई तो साफ जाहिर हो गया कि यह एक ‘प्लांटेड’ खबर है और योजनाबद्ध तरीके से मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए फैलाई जा रही है।
दरअसल वर्ष 2006 में कांग्रेस की सरकार में यह रकम 23 हजार करोड़ थी। इस रकम में 2011 में 12 प्रतिशत और 2013 में 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। लेकिन मोदी सरकार की सख्ती के कारण 2016 में यह घटकर 4500 करोड़ ही रह गई। यानि इसमें 80 प्रतिशत की कमी आई थी। साफ है कि 2017 में इसमें महज 2500 करोड़ रुपये की वृद्धि ही हुई है, वह भी भारत और स्विटजरलैंड के बीच हुए पारदर्शिता के समझौते के बाद। यानि साफ है कि यह काला धन नहीं बल्कि सफेद धन है जिसका हिसाब-किताब साफ-साफ बताया जा रहा है। जाहिर है यह यूपीए सरकार की तुलना में अब भी 70 प्रतिशत कम है।
प्लांटेड खबर : भारत महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक देश
मामले की सच्चाई : ‘थॉमसन रॉयटर्स’ द्वारा किए गए सर्वे में भारत को महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बताया गया। यह दावा एक ओपिनियन पोल पर आधारित है न कि किसी रिपोर्ट या डेटा पर। इस सर्वे में सिर्फ 6 सवाल पूछे गए और इसमें केवल 548 लोग शामिल थे जिन्हें ‘थॉमसन रॉयटर्स’ द्वारा महिलाओं के मुद्दों से जुड़े एक्सपर्ट्स बताया गया है। 130 करोड़ लोगों के देश में 548 लोगों के सर्वे के आधार पर कोई राय बनाना और उसे प्रचारित करना साजिश नहीं तो और क्या है?
प्लांटेड खबर : UN ने कहा कश्मीर में हो रहा मानवाधिकारों का उल्लंघन
मामले की सच्चाई : कांग्रेस और वामपंथी दलों ने यूएन मानवाधिकार आयोग के उच्चायुक्त जेन बिन राद अल-हुसैन की उस रिपोर्ट को ताकत देने की कोशिश की जिसमें भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए गए। हालांकि सच्चाई यह है अल राद हुसैन का पाकिस्तान और ISI से से रिश्ता है और रिपोर्ट प्रकाशित होने बाद उन्हों्ने जेनेवा में हुर्रियत और कश्मीॉर के अलगाववादी नेताओं से मुलाकात की थी। इस रिपोर्ट के बाद अमेरिका भी यूएन मानवाधिकार परिषद पर पक्षपाती, बेशर्म और पाखंडी होने का आरोप लगाते हुए संगठन से बाहर निकल आया है। इस आयोग के सदस्य कई देशों ने रिपोर्ट यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि यह ‘झूठी’ है।
प्लांटेड खबर : पत्नी हिंदू और पति मुस्लिम होने से नहीं बनाया पासपोर्ट
मामले की सच्चाई : तन्वी सेठ ऊर्फ सादिया अनस पासपोर्ट मामले में हिंदू-मुसलिम नफरत की फेक स्टोरी चलाई गई। जबकि सच यह है कि गलत जानकारी देने के कारण तन्वी सेठ का पासपोर्ट रद्द किया जा चुका है और 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। गौरतलब है कि तन्वी सेठ के पासपोर्ट अप्लीकेशन पर तन्वी सेठ नाम था, जबकि वोटर आईडी पर तन्वी अनस, आधार कार्ड पर तन्वी अनस सिद्दीकी और निकाहनामा पर सादिया अनस सिद्दीकी था।
प्लांटेड खबर : रिश्तों में खटास, अमेरिका ने भारत से टाली टू प्लस टू बैठक
मामले की सच्चाई : चीन और अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वार के बीच अमेरिका भारत पर दबाव बनाना चाहता है, लेकिन मोदी सरकार उस दबाव में नहीं आ रही है। अमेरिका ईरान से तेल खरीदने के लिए भारत को मना कर रहा है, भारत पर यह दबाव डाला जा रहा है कि वह रूस से मिसाइल डिफेंस प्रणाली की डिफेंस डील खत्म करे और अमेरिका से खरीदे। वह यह भी चाहता है कि भारत चीन से अपने व्यापारिक रिश्तों में भी कमी लाए, लेकिन देशहित में मोदी सरकार ने साफ मना कर दिया है।
प्लांटेड खबर : दलित होने के कारण राष्ट्रपति का अपमान किया
मामले की सच्चाई : मीडिया के एक धड़े ने यह खबर फैलाई कि राष्ट्रपति भवन ने मंदिर प्रशासन को पत्र लिख कर आरोप लगाया है कि मंदिर के गर्भगृह के बाहर पुजारियों ने गलत व्यवहार किया था। हालांकि इस खबर में सत्यता नहीं है, क्योंकि न तो राष्ट्रपति भवन ने राज्य सरकार या मंदिर प्रबंधन को कोई पत्र लिखा है और न ही उन्होंने बदसलूकी के कोई आरोप ही लगाए हैं। यह खबर अवश्य है कि कुछ लोगों ने सुरक्षा घेरे को तोड़ते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के करीब जाने की कोशिश की थी।
प्लांटेड खबर : अमेठी में स्मृति ईरानी के गाय बांटने की फेक न्यूज
मामले की सच्चाई : मीडिया में स्मृति ईरानी द्वारा गाय बांटने की खबर ने काफी सुर्खियां बटोरीं। एशियन एज, जनसत्ता और कुछ दूसरे मीडिया ग्रुप की रिपोर्ट्स में कहा गया था कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में 10 हजार गायें बांटेंगी। इसके लिए गुजरात नर्मदा वैली फर्टिलाइजर्स कंपनी द्वारा कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉनसिबिल्टी (सीएसआर) के तहत फंड दिया जाएगा। सच्चाई पता करने पर यह खबर की बेबुनियाद निकली। संबंधित फर्टिलाइजर कंपनी ने सफाई दी है कि GNFC गाय खरीदने या इसकी फंडिंग से जुड़ी किसी भी गतिविधि से नहीं जुड़ी है। इसकी न तो ऐसी पॉलिसी है और न ही ऐसी कोई योजना। जीएनएफसी को ऐसी किसी भी झूठी, शरारतपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण सूचनाओं से जोड़ने की गतिविधियों को नजरअंदाज किया जाना चाहिए।
फेक न्यूज फैलाने की यह तो हाल की घटनाएं, इससे पहले भी सोशल मीडिया और मेन स्ट्रीम मीडिया में मोदी सरकार के खिलाफ झूठी खबरें फैलाने का सिलसिला चलता रहा है। एक नजर डालते हैं।-
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का झूठ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले वर्ष 22 और 23 सितंबर को वाराणसी में विकास योजनाओं का शुभारंभ कर रहे थे, जिसके लिए शहर के लोग वर्षों से इंतजार कर रहे थे तो दूसरी तरफ इन धर्मनिरपेक्ष ताकतों ने गोलबंद होकर शहर की आबोहवा बिगाड़ने का काम किया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में लड़कियों के विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए हुई पुलिस कार्रवाई को क्रूर और दमनकारी साबित करने के लिए पत्रकारों और राजनेताओं ने एक ऐसी घायल लड़की की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की जो काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से सैकड़ों किलोमीटर दूर लखीमपुर खीरी में युवकों से मारपीट में घायल एक लड़की की तस्वीर थी।
दैनिक हिन्दुस्तान की पूर्व संपादक और प्रसार भारती की पूर्व सीईओ मृणाल पांडे ने लिखा-
इसी तस्वीर को प्रशांत भूषण ने भी रीटीव्ट किया-
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथी और आप नेता संजय सिंह ने भी इस तस्वीर की सच्चाई जाने बगैर रीट्वीट कर दिया-
इसके बाद और लोगों ने इस झूठी तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू कर दिया।
अब देखिए वह तस्वीर जिसके आधार पर झूठी खबर फैलायी गई।
उत्तर प्रदेश के शिक्षा बजट का झूठा प्रचार
जुलाई 2017 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पहला बजट पेश किया था। इस बजट में शिक्षा के लिए आवंटित धन में कमी दिखाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया किया गया, जबकि शिक्षा का बजट वास्तव में बढ़ाया गया था।
राहुल गांधी को तो प्रधानमंत्री के विरोध का कोई मौका चाहिए था, उन्होंने तुरंत सोशल मीडिया पर हमला बोल दिया
इसके बाद लोगों ने इसे शेयर करना शुरु कर दिया और कांग्रेसी पत्रकारों ने इस पर खबर भी बना डाली।
सच्चाई यह थी कि समाचार एजेंसी पीटीआई ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा पेश बजट के कुछ अंशों के आधार पर ही यह रिपोर्ट तैयार की थी। कागजों को ठीक ढंग से पढ़कर खबर बनाई गयी होती तो पता चलता कि योगी सरकार ने शिक्षा के लिए बजट में कमी नहीं बल्कि 34 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है। अखिलेश यादव की सरकार ने 2016-17 में जहां 46,442 करोड़ रुपये शिक्षा के लिए दिये थे वही 2017-18 में योगी आदित्यनाथकी सरकार ने 62, 351 करोड़ रुपये दिए हैं।
नोटबंदी पर भी झूठा प्रचार किया गया
08 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की। इसे जन विरोधी बताने के लिए भी झूठी तस्वीरों का सहारा लिया गया। नोटबंदी के मुखर विरोधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जब दिल्ली की सड़कों पर ममता बनर्जी के साथ कोई समर्थन नहीं मिला तो उन्होंने 20 नवंबर को एक तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा-
हालांकि केजरीवाल के इस ट्वीट की सच्चाई सामने आ गयी-
अहमदाबाद एयरपोर्ट पर बाढ़ की झूठी तस्वीर
गुजरात के विकास मॉडल पर सबकी नजर है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास के मॉडल की प्रयोगशाला है, इसलिए तथाकथित धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवी हमेशा ऐसे मौके की तलाश में रहते हैं जहां से वह गुजरात के विकास मॉडल में कोई कमी निकाल सकें। ऐसा ही मौका, इस साल जुलाई में हुई भीषण बारिश से गुजरात के कई शहरों में आये बाढ़ के हालातों में उन्हें मिल गया। 27 जुलाई को सोशल मीडिया पर एक तस्वीर डाली गई, जिसमें अहमदाबाद एयरपोर्ट पूरी तरह से पानी में डूबा दिखाई दे रहा है।
इस तस्वीर के सोशल मीडिया पर आते ही इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडिया टूडे और तमाम लोगों ने शेयर करना शुरु कर दिया।
इस तस्वीर की सच्चाई वह नहीं थी, जिसके साथ इसे सभी शेयर कर रहे थे। यह तस्वीर दिसंबर 2015 में चेन्नई के बाढ़ के समय की थी। उस समय चेन्नई के एयरपोर्ट के बाढ़ की तस्वीर 2 दिसम्बर 2015 को एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर डाली थी।
प्रधानमंत्री मोदी देश में सबके साथ, सबका विकास कर रहे हैं, लेकिन धर्मनिरपेक्ष ताकतों को यह रास नहीं आ रहा है कि कोई ऐसा प्रधानमंत्री देश का कैसे विकास कर सकता है, जो उनके खेमे से नहीं है।