Home चुनावी हलचल नोटबंदी के बाद चंडीगढ़ निकाय चुनाव में दिखी मोदी लहर

नोटबंदी के बाद चंडीगढ़ निकाय चुनाव में दिखी मोदी लहर

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नोटबंदी की सूनामी में पूरा विपक्ष साफ हो गया है। चंडीगढ़ निकाय चुनाव में भाजपा को जबर्दस्त बहुमत मिला है। इस चुनाव में 26 में से 20 सीट भाजपा की झोली में गई जबकि सहयोगी पार्टी शिरोमणी अकाली दल को एक सीट मिला। कांग्रेस पार्टी का तो सूपड़ा ही साफ हो गया। वह मात्र 4 सीट पर सिमट गई।

चंडीगढ़ निकाय से पहले गुजरात और महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरा है। नोर्थ-इस्ट राज्यों में से त्रिपुरा में भाजपा का जनाधार कई गुणा बढ़ गया है। अरुणाचल प्रदेश में भी हाल में हुए चुनाव में भाजपा को जीत मिली है। ये सारे चुनाव नोटबंदी के फैसले के बाद हुए और परिणाम भाजपा के पक्ष में गया। सारे परिणाम उत्साहवर्धक हैं। ये सारे परिणाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विमुद्रीकरण के फैसले पर जनता की सहमति का मुहर है।

नोटबंदी के बाद 18 दिसंबर को चंडीगढ़ नगर निकाय के चुनाव हुए। यहां सभी 26 सीटों पर चुनाव हुए। 18 दिसंबर को मतदान हुआ था। मतगणना 20 दिसंबर को हुई। परिणाम भाजपा का प्रदर्शन शानदार रहा। उसके पार्षदों की संख्या 13 से बढ़कर 20 हो गई। कांग्रेस 9 से घटकर 4 पर पहुंच गई। एक सीट निर्दलीय के नाम हुआ है। वोटिंग शेयर भाजपा का 56 फीसदी हो गया है।

चंडीगढ़ निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भाग ही नहीं लिया। चुनाव लड़ने से पहले ही हार मान ली। आम आदमी पार्टी के नेता निर्दलीय चुनाव लड़े भी। सबकी जमानत जब्त हो गई।

महाराष्ट्र निकाय चुनाव में बीजेपी अव्वल 

महाराष्ट्र में पहली बार म्यूनिसिपल काउंसिल के अध्यक्ष पद के लिए डायरेक्ट चुनाव हुए। इसमें बीजेपी ने 51 सीटें जीतीं जो कि कांग्रेस, एनसीपी या शिवसेना से दोगुनी है। शिवसेना को 25 और कांग्रेस को महज 23 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। यानी 2011 में जो पार्टी चौथे नंबर पर थी, वो नोटबंदी के फैसले के बाद 2016 में पहले नंबर पर आ गई, वो भी ग्रामीण इलाके में।

गुजरात में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत

गुजरात में हुए स्थानीय चुनावों में तो बीजेपी ने कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ कर दिया। यहां के स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस से 35 सीटें छीन लीं। 126 में से 109 सीटें जीती। वापी नगरपालिका, राजकोट, सूरत-कनकपुर-कंसाड में जो चुनाव हुए, उसमें बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की।

नोटबंदी के बाद पहले उपचुनाव में भाजपा को चारो ओर जीत मिली

नोट बंदी के बाद पहली बार 19 नवंबर देशभर के विभिन्न राज्यों में 10 विधानसभा व चार लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव हुए। भाजपा असम, अरुणाचल प्रदेश व मध्य प्रदेश की सभी उपचुनाव जीतने में सफल रही।

असम – नोटबंदी के बाद लखीमपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। यहां से भाजपा प्रत्याशी प्रधान बरुआ को जीत मिली। यह सीट सर्बानंद सोनवाल के त्यागपत्र देने से रिक्त हुआ था। बैथालांगसो विधानसभा सीट पर भाजपा के ही मानसिंह रोंगपी ने जीत हासिल की।

मध्य प्रदेश – मध्य प्रदेश की शहडोल लोकसभा सीट और नेपानगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए। शहडोल लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी ज्ञान सिंह और नेपानगर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मंजू दादू ने जीत दर्ज की।

अरुणाचल प्रदेश – नोटबंदी के बाद अरुणाचल प्रदेश में भाजपा की लहर देखने को मिली। भाजपा प्रत्याशी देसिंगू पुल को हायूलियांग विधानसभा सीट से जीत मिली। कलिखो पुल ने अगस्त, 2016 में खुदकुशी कर ली थी।

त्रिपुरा – इस राज्य में हुए उपचुनाव के बाद भाजपा का वोट शेयर भी 1% से बढ़कर पूरे 21% तक पहुंच गया है। वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 41% से घाट कर मात्र 2% हो गया है। ये वोट शेयर बताता है कि नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री मोदी का जलवा यहां भी है।

पश्चिम बंगाल – नोटबंदी के बाद पश्चिम बंगाल के कूचबिहार और तामलुक लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुए। कूचबिहार लोकसभा सीट पर भाजपा का वोट शेयर 16.4 से बढ़कर 28.5 फीसदी हो गया। वहीं तामलुक लोकसभा सीट पर भाजपा का वोट शेयर 6.4 से बढ़कर 15.25 फीसदी तक पहुंच गया। दोनों लोकसभा सीट पर भाजपा तृणमूल कांग्रेस के सामने खतरा बनकर उभरी है।

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