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प्रधानमंत्री मोदी की बात हुई सच, ‘पीपीपी’ यानि पंजाब, पुडुचेरी और परिवार की पार्टी बनी कांग्रेस

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कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई रैलियों में कहा था कर्नाटक भी अब कांग्रेस मुक्त होने जा रहा है और 15 मई को यह इंडियन नेशनल कांग्रेस से पीपीपी यानी पंजाब, पुडुचेरी और परिवार कांग्रेस बन जाएगी। प्रधानमंत्री की यह वाणी सच साबित हुई है। कांग्रेस का कर्नाटक से सफाया हो गया है।

 

 

 

अब सिर्फ तीन राज्यों में सिमटी कांग्रेस पार्टी
कर्नाटक में हार के साथ ही कांग्रेस पार्टी का दायरा अब सिर्फ तीन राज्यों पंजाब, पुडुचेरी और मिजोरम तक ही सिमट कर रह गया है। पुडुचेरी एक केंद्र शासित प्रदेश है और बहुत ही छोटा राज्य है। मिजोरम भी पूर्वोत्तर का एक छोटा राज्य है और यहां इस साल के अंत में चुनाव होने हैं, जिस प्रकार से पूर्वोत्तर में भाजपा का परचम लहरा रहा है, उससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि चुनाव के बाद कांग्रेस का यह किला भी ढह जाएगा। पंजाब की बात करें तो यहां की सरकार बनने में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कोई योगदान नहीं था। पंजाब में सीएम अमरिंदर सिंह की सरकार और राज्य की जनता ने कांग्रेस को नहीं बल्कि अमरिंदर सिंह वोट दिया था।

कर्नाटक के लोगों ने मानी पीएम मोदी की सलाह
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी चुनावी रैलियों कहा था जहां-जहां कांग्रेस पार्टी का शासन रहा है, वहां आम जनता का विकास नहीं होता है, बल्कि एक ही परिवार का विकास होता है। उन्होंने कर्नाटक की जनता से आग्रह किया था कि अगर प्रदेश में विकास चाहते हैं, तो कांग्रेस को हटाना पड़ेगा। कर्नाटक के लोगों ने भी प्रधानमंत्री के आग्रह को माना और चुनाव के नतीजों से साफ है कि कर्नाटक के लोगों ने पांच वर्षों से सत्ता पर काबिज कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखा दिया है।

राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस ने बनाया हारने का रिकॉर्ड
जब से राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी में प्रभावकारी भूमिका में आए हैं, तभी से कांग्रेस पार्टी के दुर्दिन शुरू हो गए। पिछले वर्षों पर नजर डालें तो राहुल के नेतृत्व में जितने भी चुनाव लड़े गए एक में भी कांग्रेस पार्टी को सफलता नहीं मिली है। राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस को गुजरात, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय और कर्नाटक में हार का मुंह देखना पड़ा है। इसके पहले उपाध्यक्ष के रूप में दिल्ली, अरूणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, मणिपुर, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलांगना और 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।

वंशवाद की राजनीति थोपने का मिला जवाब
कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी का जो हश्र हुआ है, वह उसके कुकर्मों का ही फल है। देश की सबसे पुरानी पार्टी, जिसका कभी लगभग पूरे देश पर शासन था, आज इतनी बुरी हालत से क्यों गुजर रही है। जाहिर है कि इसके लिए सिर्फ और सिर्फ वंशवाद की राजनीति जिम्मेदारा है। कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है, वहां जो कुछ भी होता है, वह एक ही परिवार के लिए होता है। गांधी परिवार प्राइवेट लिमिटेड बन चुकी कांग्रेस पार्टी में जिस तरह राहुल गांधी की अध्यक्ष के पद पर ताजपोशी हुई है, उसने साबित कर दिया है कि कांग्रेस मतलब गांधी परिवार। जब उच्च स्तर पर वंशवाद होगा तो नीचे भी इसका असर दिखेगा। इसीलिए कांग्रेस पार्टी में निचले स्तर पर भी वंशवाद, परिवारवाद हावी है। जनता इस परिवारवाद के खिलाफ है और उसने कांग्रेस को इसका सबक सिखाया है।

अपने कर्मों से क्षेत्रीय पार्टी बनने की ओर कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी कहने को तो राष्ट्रीय दल है, लेकिन अब वह सिर्फ तीन राज्यों तक सिमट गई है। आने वाले दिनों में कोई बड़ी बात नहीं कि इनमें से भी एक-दो राज्य कांग्रेस के हाथ से खिसक जाएं। मतलब कभी राष्ट्रीय दल का रुतबा रखने वाला यह दल अब क्षेत्रीय दल बनता जा रहा है। इससे तो अच्छे कई दूसरी रीजनल पार्टियां हैं, जिनकी बड़े-बड़े राज्यों में सरकार है। उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, झारखंड सरीखे राज्यों से तो कांग्रेस का पहले ही सफाया हो चुका है और अब दक्षिण के आखिरी गढ़ से भी कांग्रेस का बोरिया-बिस्तर सिमट चुका है।

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