”पीएम मोदी मुस्लिम टोपी क्यों नहीं पहनते हैं, वो हरे रंग का कपड़ा पहनने से इनकार क्यों कर देते हैं, जो कि उनकी नजर में मुसलमानों का रंग है।” कांग्रेस नेता शशि थरूर ने 08 अगस्त को तिरुवनंतपुरम में एक कार्यक्रम के दौरान यह बयान दिया। इसकी गहराई में जाएं तो यह स्पष्ट है कि कांग्रेस ने एक बार फिर मुस्लिम तुष्टिकरण की ‘गोली’ चलाई है, लेकिन कंधा प्रधानमंत्री मोदी का रखा है। जाहिर है वह यह संदेश देना चाहती है कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जो मुस्लिमों की हितैषी है।
दरअसल तुष्टिकरण के चक्कर में कांग्रेस मुस्लिमों की खोपड़ी टोपी (Skull Cap) से बाहर झांकने को तैयार ही नहीं है। कांग्रेस यह देखना ही नहीं चाहती है कि देश के 100 करोड़ से अधिक लोग मुस्लिम टोपी नहीं पहनते हैं। 11 जुलाई को जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी तो उन्होंने भी साफ कहा था, ”हां, कांग्रेस मुस्लिम पार्टी है’’।
कांग्रेस के इतिहास पर नजर डालें तो साफ है कि पार्टी ने बीते 70 सालों में ऐसे कई उदाहरण प्रस्तुत किए हैं जो मुस्लिम परस्ती के साथ हिंदू विरोधी भी रही है।
1946
‘वंदे मातरम’ के राष्ट्रगान बनाने का विरोध
1949
अयोध्या में राम मंदिर बनाने का विरोध
1951
कॉमन सिविल कोड का खुलकर विरोध किया
1975
नसबंदी अभियान को हिंदुओं पर थोप दिया
1987
शाहबानो प्रकरण में बदल दिया देश का कानून
2004
मुस्लिमों को धर्म के आधार पर आरक्षण का वादा
2006
देश के संसाधनों पर मुस्लिमों का पहला हक बताया
2007
मक्का ब्लास्ट में ‘भगवा आतंकवाद’ की साजिश रची
2010
मुस्लिम आतंकियों से बड़ा खतरा हिंदुओं को बताया
2013
भगवान राम के अस्तित्व को मानने से किया इनकार
2016
उत्तराखंड में शुक्रवार को नमाज के लिए अवकाश
2016
भगवान राम की तुलना तीन तलाक और हलाला से