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फिर सामने आई कांग्रेस की पाकिस्तान परस्ती, अब इमरान को लिखी चिट्ठी सार्वजनिक करने की मांग की

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लगता है कांग्रेस पार्टी के नेताओं का दिल हिंदुस्तान के लिए नहीं बल्कि पाकिस्तान के लिए धड़कता है। तभी तो एक के बाद कांग्रेस नेता पाकिस्तान सरकार की भाषा में बात कर रहे हैं। अभी पूरा देश पंजाब की कांग्रेस सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की करतूतों को भूल भी नहीं पाया है कि अब कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मोदी सरकार से उस चिट्ठी की सार्वजनिक करने की मांग कर दी है, जिसे इमरान खान के पीएम पद संभालने पर बधाई की औपचारिकता निभाने के लिए लिखा गया था।

पाकिस्तान के षणयंत्र में सहभागी बनी कांग्रेस!
जिस चिट्ठी को सार्वजनिक करने की मांग कांग्रेस पार्टी की तरफ से की जा रही है, इसी चिट्ठी को लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हाल ही में प्रोपेगंडा खड़ा कर दिया था। पाक विदेश मंत्री ने दावा किया था कि इस चिट्ठी में भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी ने पाक प्रधानमंत्री इमरान खान से दोनों देशों के बीच बातचीत बहाल करने की इच्छा जाहिर की है। जबकि सूत्रों के मुताबिक भारत की तरफ से ऐसी कोई पेशकश उस चिट्ठी में नहीं की गई है। पाकिस्तान का काम ही है साजिश फैलाना, लेकिन हैरानी की बात यह है कि कांग्रेस पार्टी को भारत से अधिक पाकिस्तान की सरकार पर विश्वास है। तभी तो कांग्रेसी नेता भारत सरकार से साबित करने को कह रहे हैं कि वह चिट्ठी सार्वजनिक करे और बताए कि उसने क्या लिखा है।

सिद्धू ने पाक आर्मी चीफ को लगाया गले
हाल ही में जब पंजाब की कांग्रेस सरकार में मंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान गए थे, वहां उन्होंने पाक आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को गले लगाया और पीओके के कथित राष्ट्रपति के बगल में बैठकर तस्वीरें खिंचवाईं। जाहिर है जो पाक आर्मी प्रति दिन हमारे सैनिकों को शहीद कर रही है, उनके हत्यारे से गले लगकर कांग्रेस ने यह संदेश दिया है कि वह ‘खूनी’ खेल में पाकिस्तान के साथ है। वहीं जिस पीओके को भारत मान्यता नहीं देता और उसे अपना हिस्सा मानता है, उसके मुखौटे राष्ट्रपति मसूद खान के बगल में सिद्धू शान से बैठे। जाहिर है कांग्रेस ने पाकिस्तान प्रेम में देश के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई है।

राहुल ने नहीं की सिद्धू पर कार्रवाई
सिद्धू की इस हरकत को कभी भी जायज नहीं ठहलाया जा सकता है, पूरे देश में सिद्धू के खिलाफ गुस्सा है, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का उन्हें पूरा समर्थन मिला हुआ है। तभी तो राहुल गांधी ने एक बार भी सिद्धू की करतूत की आलोचन नहीं की। ताज्जुब की बात तो यह है कि सिद्धू ने अपने पाक दौरे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पाकिस्तान में बिताए दो दिनों को भारत में बिताई पूरी जिंदगी से अच्छे बताए।

इमरान खान ने किया सिद्धू का बचाव
कांग्रेस और पाकिस्तान में कितना बड़ा गठबंधन है, यह इससे भी साबित होता है कि पाकिस्तान के नए नवेले प्रधानमंत्री खुद सिद्धू के बचाव में उतर आए और कहने लगे जो भी सिद्धू का विरोध कर रहे हैं वे अमन के दुश्मन है। क्या अब और कोई सुबूत चाहिए कि कांग्रेस और पाकिस्तान सरकार अंदर से मिले हुए नहीं है।

आइये हम ऐसे ही कुछ अन्य वाकयों पर भी नजर डालते हैं जब कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं ने पाकिस्तान परस्ती में अपने देश को बदनाम करने की कोशिश की-

लश्कर ए तैयबा की भाषा बोलती है कांग्रेस
22 जून, 218 को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘’जम्मू-कश्मीर में सेना का निशाना आतंकवादियों पर नहीं, आम नागरिकों पर ज्यादा होता है।‘’ जाहिर है कांग्रेस ने संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार आयोग के मुस्लिम उच्चायुक्त जेन बिन राद अल-हुसैन की उस रिपोर्ट को ताकत देने की कोशिश की है जिसमें भारत पर ह्यूमेन राइट्स के उल्लंघन के आरोप लगे हैं। सूत्रों की मानें तो यह बयान राहुल गांधी के इशारे पर दिया गया है क्योंकि पार्टी ने इस मामले पर अपनी सफाई भी पेश नहीं की है।

इसके बाद लश्कर के प्रवक्ता ने कांग्रेस पार्टी के उस बयान का समर्थन किया है, जिसमें पार्टी ने सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। लश्कर के प्रवक्ता अब्दुल्ला गजनवी ने प्रेस रीलीज कर कहा, ”भारतीय सेना कश्मीर में मासूम लोगों को मार रही है और गुलाम नबी आजाद ने भी इस बात को स्वीकार किया है। कांग्रेस पार्टी ने इसका विरोध किया है, हम कांग्रेस पार्टी का समर्थन करते हैं कि भारतीय सेना अपने ऑपरेशन कश्मीर में बंद करे।”

सैफुद्दीन सोज ने फिर सुलगाई कश्मीर में ‘आजादी’ की आग
कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा, ‘’कश्मीरी पाकिस्तान के साथ जुड़ना नहीं चाहते, उनकी पहली इच्छा आजादी है।‘’ सोज का यह बयान कांग्रेस की उसी सोच को जाहिर करता है इन्हें न कश्मीर से मतलब है और न ही भारत देश से। मतलब है तो सिर्फ अपनी मुस्लिम परस्त राजनीति चमकाने से। अब जब लश्कर-ए-तैयबा से कांग्रेस का कनेक्शन सामने आ रहा है इससे सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस देश की राजनीतिक पार्टी है या पाकिस्तान परस्त आतंकवादी संगठन?

देश को तोड़ने वाले ‘गुनहगार’ पर कांग्रेस की चुप्पी
अप्रैल, 2018 में जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना की तस्वीर को लेकर हंगामा हुआ तो एक बार फिर कांग्रेस का पाकिस्तान प्रेम दिख गया। कई राष्ट्रवादी संगठन AMU में लगे जिन्ना की तस्वीरों को हटाने की मांग कर रहे थे, लेकिन इस पूरे प्रकरण पर कांग्रेस चुप रही। जाहिर है कांग्रेस ने अपनी चुप्पी के जरिये अपने वोट बैंक को मैसेज देने की कोशिश तो की ही है, साथ ही अपनी पाकिस्तान परस्ती फिर एक बार जाहिर कर दी।

मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान प्रेम
2016 में होने वाले असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल विधानसभा चुनाव होने वाले थे। इससे पहले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने 6 नवंबर, 2015 को पाकिस्तानी टीवी चैनल ‘दुनिया’ पर गुहार लगाते हुए कहा, ”इनको (बीजेपी सरकार) हटाइए, हमें ले आइए और कोई रास्ता नहीं है।” जाहिर है मणिशंकर अय्यर का सीधा इशारा था कि भारत की सत्ता को अस्थिर करने के लिए पाकिस्तान कांग्रेस की सहायता करे और देश में मोदी सरकार को हटाने में मदद करे।

गुजरात चुनाव में पाकिस्तानी साजिश 
दिसंबर, 2017 में गुजरात चुनाव के दौरान कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को ‘नीच’ कहा था। लेकिन क्यों, इसका पता तब लगा जब 10 दिसंबर, 2017 को खुलासा हुआ कि कांग्रेस के नेताओं ने पाकिस्तानी नेताओं और अधिकारियों से मुलाकात के बाद यह सब किया गया था। दिसंबर के पहले हफ्ते में मुलाकात से कांग्रेस ने इनकार, लेकिन पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने स्वयं ही स्वीकार किया कि कांग्रेस नेताओं और पाकिस्तानियों की मुलाकात हुई थी। 

पाकिस्तान परस्त दिग्विजय सिंह
लोकसभा चुनाव, 2014 से पहले कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह पाकिस्तानी आतंवादी हाफिज सईद को ‘जी’ और ‘साहब’ शब्द से संबोधित किया था। 2016 मों तो उन्होंने पाकिस्तानियों को खुश करने के लिए भारत के कब्जे वाला कश्मीर तक कह दिया था। गुजरात चुनाव से पहले दिग्विजय सिंह ने अपने पाकिस्तानी आकाओं को खुश करने के लिए ये भी कहा था कि भारतीय सेना कश्मीरियों को मारती है।

सलमान खुर्शीद का पाकिस्तान से एकतरफा मोहब्बत
नवंबर, 2015 में बिहार चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस सरकार में विदेश मंत्री रहे सलमान खुर्शीद ने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत बंद होने के लिए पाकिस्तान नहीं, बल्कि भारत सरकार जिम्मेदार है। इस्लामाबाद के जिन्ना इंस्टीट्यूट में उन्होंने कहा, ”पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ का पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना उनकी दूरदर्शिता थी, लेकिन मोदी सरकार बातचीत का माहौल बनाने में नकाम रही है।‘’

पाकिस्तान प्रेम में देश का अपमान करते रहे मनमोहन सिंह
जुलाई, 2009 में मिस्र के शर्म-अल-शेख में तत्कालीन पाकिस्तानी पीएम युसूफ रजा गिलानी के साथ मनमोहन सिंह की बैठक के बाद जारी साझा बयान में भारत की ओर से पाकिस्तान के आरोपों को स्वीकार कर लिया गया था। मनमोहन सिंह की इस करतूत के चलते देश को न सिर्फ शर्मिंदा होना पड़ा, बल्कि पाकिस्तान को भारत के खिलाफ झूठा प्रोपेडेंडा करने का एक हथियार भी मिल गया। सितंबर, 2006 में हवाना में उन्होंने पाकिस्तान परस्ती में ये तक कह दिया कि भारत की तरह पाकिस्तान भी ‘आतंकवाद से पीड़ित’ है।

कश्मीर में आतंकियों पर कार्रवाई का विरोध
28 अक्टूबर, 2017 को पी चिदंबरम ने कहा, ”जम्मू-कश्मीर के लोगों से मेरी बातचीत के जरिए मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि जब भी वे आजादी की मांग करते हैं तो दरअसल, इसमें ज्यादातर लोगों की आजादी का मतलब स्वायत्तता से होता है।”  कांग्रेस के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम के इस बयान ने शांत होते कश्मीर को एक बार फिर सुलगा दिया। पी चिदंबरम के इस बयान से साफ है कि कांग्रेस कश्मीर में आतंकियों की मांग को समर्थन करती है। स्पष्ट है कि भारत से अलग होने और पाकिस्तान में मिलने की ख्वाहिश रखने वालों को पी चिदंबरम उकसाया। इससे न देश की बदनामी हुई बल्कि भारत सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए जाने लगे। 

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आतंकियों की फांसी पर भी पॉलिटिक्स
संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर भी कांग्रेस ने पॉलटिक्स की थी। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा था कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देना गलत था और उसे गलत तरीके से दिया गया। इतना ही नहीं यही कांग्रेस है जिनके नेताओं ने याकूब मेनन की फांसी पर भी आपत्ति जताई थी। जाहिर है यह सब पाकिस्तान को खुश करने के लिए था।

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