क्या आज की सोनिया गांधी-राहुल गांधी की कांग्रेस वही कांग्रेस पार्टी है जो देश को आजादी दिलाने का श्रेय लेती है? स्वतंत्रता आंदोलन के समय देशवासियों में एक जोश भर देने वाले वंदे मातरम को आज कांग्रेस बोलने से भी परहेज क्यों कर रही है? आज कांग्रेस के कुछ नेताओं के बोल देशविरोधी क्यों हो रहे हैं? आजादी के बाद पचास साल से ज्यादा समय तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस आज देश के गौरव से खुद को क्यों दूर कर रही है? आज ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि हिंदी त्यागने की कोशिश में लगी कांग्रेस पार्टी के नेता अब साफ-साफ कहने लगे हैं कि चाहे जो हो जाए वे वंदे मातरम नहीं कहेंगे।
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने वंदे मातरम को लेकर विवादित बयान दिया है। किशोर उपाध्याय ने साफ कहा है कि एक महीने तक अपने किसी भी कार्यक्रम में ना तो वह वंदे मातरम खुद बोलेंगे और न ही कार्यक्रम में कोई वंदे मातरम बोलेगा। ये बोल उसी कांग्रेस पार्टी के नेता की है जहां आजादी के पहले से ही पार्टी कार्यक्रमों में वंदेमातरम की परंपरा रही है।
कांग्रेस पार्टी के लिए ये कोई नई बात नहीं है। पार्टी के सीनियर लीडर दिग्विजय सिंह नफरत फैलाने वाले जाकिर नाईक को ‘शांति दूत’ बता चुके हैं। दिग्विजय आतंकी संगठन अल-कायदा के मुखिया ओसामा बिन लादेन को ‘ओसामाजी’ और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जमात-उद-दावा के चीफ हाफिज सईद को ‘साहेब’ कहकर संबोधित कर चुके हैं। यह उनकी पार्टी की मानसिकता और विचारधारा प्रदर्शित करती है।
हाल ही में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट में कहा कि राहुल गांधी ने एक बार फिर राह दिखाई है। हिंदी को देवनागरी त्यागने और रोमन लिपि अपनाने की जरूरत है। इस ट्वीट के साथ ही दिग्विजय सिंह ने ना सिर्फ हिंदी का मजाक उड़ाया, बल्कि इस गुलामी की मानसिकता को भी प्रदर्शित किया कि अगर सोनिया गांधी और राहुल गांधी अब तक हिंदी नहीं सीख पाए हैं तो हिंदी ही बदल डालो।
देखिए कांग्रेस नेता की इस बेशर्मी पर सोशल मीडिया में क्या चल रहा है –
For once Rahul Gandhi shows the way: Hindi needs to discard Devanagri and adopt the Roman script
Interesting reading https://t.co/D8ipOVleqC— digvijaya singh (@digvijaya_28) April 12, 2017
पढ़िए-
राहुल-सोनिया के लिए हिंदी ही खत्म कर देना चाहती है कांग्रेस!
इतना ही नहीं पार्टी के नेता जेएनयू और दूसरी जगहों पर देशविरोधी नारे लगाने वाले लोगों के पक्ष में दिखते हैं। हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज ने कश्मीर घाटी में मौजूदा हालातों के लिए पाकिस्तान की बजाय भारत को जिम्मेदार ठहराया। नई दिल्ली में एक समारोह में इस कांग्रेसी नेता ने साफ-साफ कहा कि कश्मीर की मौजूदा समस्या भारत की देन है न कि पाकिस्तान की।
सत्ता से दूर होते ही कांग्रेसी नेता बहकी-बहकी बातें करने लगते हैं। वोटबैंक के लिए विकास की जगह तुष्टिकरण की बात करते हैं। लेकिन जब विकास के लिए जनता उनकी नीति को नकार देती है तो ईवीएम पर दोष देने लगते हैं। पार्टी के अंग्रेजी दा नेता हिंदी नहीं बोल पाने के कारण लोगों से सही से संप्रेषण नहीं कर पाते हैं तो हिंदी त्यागकर रोमन लागू करने की बात करने लगते हैं।
पार्टी में सही प्रतिभा को आगे ना बढ़ाकर परिवार को प्राथमिकता देते हैं और जब वहीं नेता बाहर जाकर अपना दमखम दिखाते हैं तो उससे तालमेल करते हैं। दूरदृष्टि की जगह घिसी-पिटी परिपाटी को जारी रखना चाहते हैं। साफ है सोशल मीडिया के जमाने में देश की जागरूक जनता अब और इनके बहकावे में नहीं आने वाली। अब देश की जनता हर चीज को तोल-मोल कर देखती है कि देश के लिए क्या बेहतर है।