Home चुनावी हलचल जीत के बाद कैसे बदल जाती है भाजपा और कांग्रेस, फर्क देखिए

जीत के बाद कैसे बदल जाती है भाजपा और कांग्रेस, फर्क देखिए

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कांग्रेस पार्टी 2014 आम चुनाव में मिली करारी हार के बाद से ही हर चुनाव में मिली शिकस्त के लिए ईवीएम मशीन को जिम्मेदार ठहराती रही है, लेकिन जीत मिलने पर पार्टी चुप्पी साध लेती है। हार मिलने पर कांग्रेस जनाधार को स्वीकार नहीं करती। हार मिलने पर कांग्रेस शिकायत का पिटारा लेकर चुनाव आयोग के पास पहुंच जाती है, जबकि भाजपा जनता के फैसले को विनम्रता के साथ स्वीकार करती है। विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हार और जीत जीवन का अहम हिस्सा है। उसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह विनम्रता से हार स्वीकार करते हैं।

आइए हम आपको दिखाते हैं कि जीत के बाद कैसे बदल जाती है कांग्रेस-

2014 चुनाव में हार के लिए कांग्रेस ने ईवीएम को जिम्मेदार ठहराते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की थी, जबकि 2018 में विधानसभा चुनावों में हार के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘हम जनाधार को विनम्रता से स्वीकार करते हैं। मैं छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान की जनता को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने हमें राज्य की सेवा का मौका दिया। इन राज्यों में बीजेपी सरकारों ने लोगों की भलाई के लिए जीतोड़ मेहनत की है।’

इसी तरह पिछले साल 2017 में भी मिली हार के लिए कांग्रेस ने ईवीएम को जिम्मेदार ठहराया था, जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस, केसीआर और मिजोरम में एमएनएफ को जीत के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस को जीत के लिए बधाई। तेलंगाना में प्रचंड बहुमत के लिए केसीआर को बधाई और मिजोरम में जीत के लिए एमएनएफ को बधाई।’

फर्क साफ है, जहां भारतीय जनता पार्टी अपनी हर विनम्रता से स्वीकार कर लेती है, वहीं इसके उलट हारने पर कांग्रेस सारा ठीकरा ईवीएम पर फोड़ देती है।

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