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मुख्य न्यायाधीश को राजनीतिक मोहरा बनाकर देशहित को दांव पर लगा रही कांग्रेस

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अपने सख्त निर्णयों के लिए विख्यात मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को कांग्रेस पार्टी काफी दिनों से उनके पद से हटाने में लगी हुई है। इसी कड़ी में कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने मिलकर चार न्यायाधीशों से सुनियोजित ड्रामा भी करवाया था, ताकि दीपक मिश्रा पर दबाव बनाया जा सके। हालांकि अपनी इस साजिश में कांग्रेस जब सफल नहीं हो पाई तो उसने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के विरुद्ध महाभियोग लगाने की तैयारी कर ली है। अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो कांग्रेस पार्टी चीफ जस्टिस पर महाभियोग प्रस्ताव लेकर आ गई।

राम जन्मभूमि की सुनवाई का दिया आदेश
5 दिसंबर, 2016: कांग्रेस पार्टी के नेता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राम जन्मभूमि मामला सियासी हो चुका है, इसलिए 2019 के आम चुनावों तक इसकी सुनवाई रोक देनी चाहिए। उन्होंने दलील दी कि राम मंदिर एनडीए के घोषणा पत्र का हिस्सा है। हालांकि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सिब्बल की इस अपील को ठुकरा दिया। गौरतलब है कि कांग्रेस और लेफ्ट अयोध्या में राम मंदिर की जगह किसी भी कीमत पर बाबरी मस्जिद बनवाना चाहते हैं। इसी कड़ी में वो अयोध्या मसले को लटकाए रखना चाहते हैं।

जज लोया मौत मामले में राजनीति EXPOSE
19 अप्रैल, 2018: मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने जज लोया की मृत्यु को लेकर दायर सारी जनहित याचिकाएं खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि कहा कि न्यायाधीश की स्वाभाविक मृत्यु हुई थी और इन याचिकाओं में न्याय प्रक्रिया को बाधित करने और बदनाम करने के गंभीर प्रयास किए गए। ऐसी खबरे है कि कांग्रेस और लेफ्ट के इशारे पर ही 12 जनवरी, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कांफ्रेंस की, ताकि जस्टिस लोया मामले में मुख्य न्यायाधीश पर दबाव बनाकर अपने पक्ष में फैसला करवाया जा सके।

आतंकवादी याकूब मेमन को सुनाई थी फांसी की सजा
30 जुलाई 2015: मुख्य न्यायाधीश आतंकियों पर भी सख्त रहे हैं और ये उनके फैसलों में भी दिखता है। गौरतलब है कि कांग्रेस के इशारे पर 1993 के मुंबई ब्लास्ट के आरोपी याकूब मेमन की फांसी रोकने के लिए वकील प्रशांत भूषण जस्टिस दीपक मिश्रा के घर के बाहर आधी रात को पहुंच गए। रात को मामले की दोबारा सुनवाई हुई, लेकिन जस्टिस मिश्रा समेत तीन जजों ने याकूब मेमन की फांसी रोकने की अपील याचिका को ठुकराते हुए फांसी की सजा बरकरार रखी।

सिनेमाघरों में राष्ट्रगान को किया था अनिवार्य
30 नवंबर 2016 : अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि पूरे देश में सिनेमा घरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान चलाया जाए। उन्होंने यह आदेश भी दिया कि इस दौरान सिनेमा हॉल में मौजूद तमाम लोग राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े होंगे। जाहिर है जिस कांग्रेस पार्टी का इतिहास ही देश विरोध का रहा हो भला उसे राष्ट्रगान का सम्मान कहां से अच्छा लगेगा।

1984 में सिख विरोधी दंगों की जांच के दिए आदेश
10 जनवरी, 2018 : अपने आदेश में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि एसआईटी द्वारा बंद किये गये 186 मामलों की जांच फिर से होगी। जाहिर है ये निर्णय कांग्रेस के विरूद्ध जाते हैं और उनकी वोट बैंक की राजनीति को प्रभावित करते हैं।

मुस्लिम बहुविवाह, मुताह और हलाला पर चल रही सुनवाई
26 मार्च, 2018: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निकाह हलाला और निश्चित अवधि के लिए किए गए निकाह यानि मुताह और मिस्यार को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले की बड़ी बेंच में सुनवाई करने की सिफारिश की। यानि अब पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले को सुनेगी। जाहिर है इस निर्णय से कांग्रेस की मुस्लिम परस्त राजनीति को झटका लगा है।

जम्मू-कश्मीर के विशेष स्टेटस पर कर रहे सुनवाई
संविधान के अनुच्छेद 35 (ए) के तहत जम्मू एवं कश्मीर को दिए गए विशेष दर्ज़े का मामला कोर्ट के सामने है। इस प्रावधान को संविधान संशोधन के बजाय राष्ट्रपति के आदेश के तहत शामिल किया गया था। ये हो सकता है कि जस्टिस दीपक मिश्र इस मामले पर जल्द ही एक संविधान पीठ का गठन करें। जाहिर है अगर ऐसा होता है तो यह कांग्रेस की राजनीति को एक और झटका होगा।

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