Home विचार समाज को जातियों में बांटने पर उतरे राहुल गांधी

समाज को जातियों में बांटने पर उतरे राहुल गांधी

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बिहार कांग्रेस ने पटना में होर्डिंग्स लगाए हैं, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेताओं की तस्वीरों के नीचे नाम के साथ उनकी जाति भी लिखी है। दरअसल कांग्रेस ने बिहार प्रदेश कार्य समिति की नयी टीम बनाई है और ऐसे होर्डिंग्स उसी के बाद सामने आए हैं। अब जरा इसकी फेहरिस्त देखिये कि कौन किस जाति से हैं – राहुल गांधी ब्राह्मण, बिहार कांग्रेस के गुजराती प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल राजपूत, अखिलेश सिंह भूमिहार, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा ब्राह्मण, साथ में अनुसूचित जाति, पिछड़ी जाति, मुस्लिम! जाहिर है कांग्रेस जिस तरह जातिवादी राजनीति में खुलकर उतर आई है वह ‘कास्टिस्ट पॉलिटिक्स’ के लिए बदनाम रही क्षेत्रीय पार्टियों को भी शरमा देने वाले हैं।

दरअसल कांग्रेस सात दशकों से जातिवाद और बंटवारे की राजनीति करती आई है और अब भी वह यही कर रही है। विभाजन की राजनीति के बूते वह देश की सत्ता पर साठ वर्षों तक विराजमान भी रही है और वर्ष 2019 के चुनाव को लेकर भी कांग्रेस ने यही ‘गेम प्लान’ बनाया है। हिंदुओं को जातियों में बांटकर और मुसलमानों को बरगलाकर जो जातिवादी-सांप्रदायिक समीकरण बनता है, उसी के सहारे कांग्रेस एक बार फिर से सत्ता का स्वाद चखने की योजना बना चुकी है। कांग्रेस का बस चले तो गुप्ता, शर्मा, यादव, सक्सेना,  श्रीवास्तव, सिंह, मलहोत्रा, मलिक, चौरसिया… सबको अलग-अलग धर्म की भी मान्यता दे सकती है। हैरत की बात यह भी है हिंदू समुदाय लगातार कांग्रेस की इन चालों का शिकार भी होता रहा है।

20 मार्च को एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग को रोकने से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने जो डबल गेम खेला, उसका तो अंदाजा मोदी सरकार भी नहीं लगा सकी। कोर्ट ने इस एक्ट के दुरुपयोग पर उंगली उठाई, तो मोदी सरकार को दलित-विरोधी घोषित कर दिया। जब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया तो उसके खिलाफ सवर्णों को भड़का दिया। यानि चित भी मेरी, पट भी मेरी।

आपको बता दें कि कांग्रेस बारी-बारी से वह सबको ठगती है और सबको धोखा देती है। कांग्रेस को पता है कि सवर्ण आम तौर पर बीजेपी के साथ हैं और सीधे तौर पर वह उन्हें साथ नहीं ला सकती। इसलिए NOTA का शिगूफा छेड़ दिया। दरअसल कांग्रेस की इसी तरह की ‘शातिराना’ सियासत ने हिंदू एकता के टुकड़े-टुकड़े कर दिए हैं।

विभाजन की राजनीति पर उतरी कांग्रेस

वर्ष 2018

कर्नाटक में लिंगायत-वीरशैव को भरमाया

वर्ष 2018

SC/ST एक्ट पर दलितों समुदाय को उकसाया

वर्ष 2018

SC/ST एक्ट पर सवर्ण जातियों को भड़काया

वर्ष 2017

गुजरात में पटेल समुदाय को गुमराह किया

वर्ष 2016

हरियाणा में जाटों को आरक्षण पर उकसाया

वर्ष 2016

रोहित वेमुला के नाम पर ‘झूठ’ की साजिश

वर्ष 2016

महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन में लगाई आग

वर्ष 2016

झारखंड में पत्थलगड़ी से आदिवासियों को उकसाया

वर्ष 2015

राजस्थान में गुर्जरों को आरक्षण पर बरगलाया

कांग्रेस ने एक स्तर पर ही साजिश नहीं रची है बल्कि हिंदू धर्म को बदनाम करने के साथ ही ईसाईयत को बढ़ावा देना भी उसका मकसद है। 

दलितों को उकसाकर बौद्ध बनाने की साजिश रची
साल 2016 के जुलाई में गुजरात के ऊना में वशराम, रमेश, अशोक और बेचार नाम के व्यक्ति को कथित गौरक्षकों ने पीटा था। इसमें कांग्रेस की साजिश के सबूत भी सामने आए थे, लेकिन इसे अब सियासत का जरिया बनाकर कांग्रेस आपनी वोट बैंक की राजनीति साधने में लगी है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि ये चारों लोग 14 अप्रैल को बौद्ध धर्म अपना लेंगे। हालांकि इन सबके बीच यह जानना जरूरी है कि जो लोग इन्हें भड़का रहे हैं उन्होंने बौद्ध धर्म अपनाने का एलान नहीं किया है, लेकिन कांग्रेस इन चारों को प्रतीक के तौर पर दिखाना चाह रही है कि हिंदू धर्म में काफी भेदभाव है।

ईसाई धर्म को बढ़ाने के लिए साजिश रच रहे राहुल
कांग्रेस के कार्यकाल में ईसाई धर्म का लगातार विस्तार होता जा रहा है। देश में ईसाइयों की आबादी 2.78 करोड़ है। कभी चंद हजार ईसाई की संख्या थी परन्तु आज 2.80 करोड़ से अधिक ईसाई हैं। दरअसल कांग्रेस ने हमेशा से ईसाई धर्म को बढ़ाने के लिए कार्य किए हैं और हिंदुओं का विभाजन कर इस कार्य को अंजाम देते रहे हैं। राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल से ही सोनिया गांधी ने पूर्वोत्तर में ईसाई मिशनरियों के फैलने में मदद की जिसने उन क्षेत्रों में आबादी का संतुलन ही बिगाड़ दिया। इसी का परिणाम है कि आज मेघालय में 75 प्रतिशत, मिजोरम में 87 प्रतिशत, नागालैंड में 90 प्रतिशत, सिक्किम में 8 प्रतिशत और त्रिपुरा में 3.2 प्रतिशत ईसाई आबादी हो गई है। इस साजिश को अंजाम देने के लिए कांग्रेस ने कभी माफी नहीं मांगी। वहीं केरल में भी करीब 24 प्रतिशत आबादी ईसाईयों की है। 

भगवा रंग को आतंकवाद से जोड़कर किया अपमान
जिस हिंदू संस्कृति और सभ्यता की सहिष्णुता को पूरी दुनिया सराहती है, उसे भी बदनाम करने में कांग्रेस ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। 2007 में हुए समझौता एक्सप्रेस धमाके के संदिग्ध पाकिस्तानी आरोपी को साजिश के तहत छोड़ दिया गया और उनके स्थान पर निर्दोष हिन्दुओं को गिरफ्तार किया गया। समझौता विस्फोट में कांग्रेस को राजनीतिक लाभ पहुंचाने के लिए सोनिया गांधी, अहमद पटेल, दिग्विजय सिंह, शिवराज पाटिल और सुशील कुमार शिंदे ने हिंदू आतंकवाद का जाल बुना और एक पूरे के पूरे समुदाय को बदनाम किया।

जाहिर है कांग्रेस हिंदुओं को टुकड़ों में बांटकर और अपमानित कर अपनी राजनीति तो चमका ही रही है, साथ ही हिंदुओं को इस देश से जड़ मूल से सफाये का बड़ा षडयंत्र भी रच रही है। हिंदुओं को जातियों और समुदाय में बांटने का कांग्रेस का यह षड्यंत्र कामयाब हो गया तो राजनीति तो अवश्य जीत जाएगी, लेकिन सनातन धर्म और भारत देश जरूर हार जाएगा।

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