कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आखिर मान लिया है कि उनके पिता राजीव गांधी की सरकार में किया गया बोफोर्स तोपों का सौदा एक घोटाला था। दरअसल कांग्रेस पार्टी के माउथपीस नेशनल हेरॉल्ड अखबार ने रविवार को एक स्टोरी प्रकाशित की है, जिसकी हेडिंग है Rafale: Modi’s Bofors. इस स्टोरी में राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते-साधते बोफोर्स डील को एक घोटाला बताया गया है। आपको बता दें कि बोफोर्स घोटाले के चलते ही 1989 में राजीव गांधी की सरकार चली गई थी।
जाहिर है कि राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधने के चक्कर में सेल्फ गोल कर दिया है। नेशनल हेरॉल्ड अखबार को जो कंपनी प्रकाशित करती है उसके प्रमोटर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी हैं और इसे कांग्रेस पार्टी का माउथपीस माना जाता है। बोफोर्स घोटाले पर कांग्रेस के इस कबूलनामे को लेकर सोशल मीडिया पर राहुल गांधी की खूब खिंचाई की गई है।
To attack @narendramodi they attacked all chaiwalas & poor people
To attack @narendramodi they attacked Army & India itself
And today to attack @narendramodi they even attacked their deity, the Gandhi dynasty!
Hatred for @narendramodi can really make one lose their mind! pic.twitter.com/EbtOPiK2Dx
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) 31 July 2018
Pappu @RahulGandhi self Goal. Rafale is scam or not but Pappu party accepted
accepted Bofors is a scam & Rajiv Gandhi is Criminal pic.twitter.com/DSmCdxzO2X— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) 30 July 2018
Newspaper owned by sonia and @RahulGandhi calls Bofors a scam. ??? pic.twitter.com/FhkpkCmn49
— अंकित जैन (@indiantweeter) 30 July 2018
Finally.
In this lifetime only. ? https://t.co/i4uWgbhiFv— Yashwant Deshmukh (@YRDeshmukh) 30 July 2018
बग्गा जी क्या इसी को कहा जाता है।
*खुद अपने पैर पे कुल्हाड़ी मारना*
और एक कमाल की बात देखिये खबर भी उस अखबार में निकली है , जिसकी संपत्ति हड़पने के मामले में माँ बेटे जमानत पर हैं।
?????????— ?? P Rishabh Shukla ??? (@hindustaniladka) 30 July 2018
How many self goals he will make???
its like a rich boy who owns Bat and ball (cong)
will not let play any one else even he is bowled a 100 times @Shehzad_Ind— Ravi Rana (@raviranabjp) 30 July 2018
They Accepted #Bofors is a Big Scam… Govt reopen the case and must arrest Sonia for detail investigation….. Big Self goal for @INCIndia
Thanks to the #Editor of national herald…??
— விசுவாசமான கோகுல் ??? (@GokulTalks) 30 July 2018
पप्पू के हाथ पर लिखा है
“मेरा बाप चोर है”— Sanjay hindu (@SanjayS18116768) 30 July 2018
Pappu Apni ijjat utarwane Ke liye hi paida hua hai kya? Kuch bhi bolta hai.
— Aman Kumar?? (@AskAman45) 30 July 2018
जानिए क्या है बोफोर्स घोटाला ?
1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में भारत सरकार ने 1986 में स्वीडिश कंपनी बोफोर्स से 1,437 करोड़ में 400 तोप खरीदने का फैसला किया था। 16 अप्रैल 1987 को स्वीडिश रेडियो ने दावा किया कि बोफोर्स ने भारत के कई नेताओं और अफसरों को दलाली दी। इस घोटाले में ओटावियो क्वात्रोची का नाम सामने आया था। क्वात्रोची राजीव गांधी और सोनिया गांधी का मित्र था और इसे ही इस सौदे में मुख्य बिचौलिया बताया गया था। उस वक्त राजीव गांधी ने दावा किया था कि किसी बिचौलिए को पैसा नहीं दिया गया। इस घोटाले ने भारत की राजनीति का रुख बदल दिया था और 1989 के आम चुनाव में राजीव गांधी को संत्ता गंवानी पड़ी थी।
राफेल डील पर ‘झूठ’ फैलाकर देश को गुमराह कर रहे राहुल गांधी, जानिये सच्चाई
राफेल डील को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार झूठ बोल रहे हैं। गत 20 जुलाई को संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने राफेल डील पर एक बार फिर ‘झूठ’ बोला और देश को गुमराह करने की कोशिश की। हालांकि उनके इस गलत बयानी को फ्रांस की सरकार ने पकड़ लिया और वक्तव्य जारी कर तुरंत इसका खंडन कर दिया। दरअसल राहुल गांधी इस सौदे को लेकर लगातार भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि मोदी सरकार के दौरान हुई यह डील यूपीए सरकार की तुलना में प्रति विमान 59 करोड़ रुपये सस्ती है। गौरतलब है कि यूपीए सरकार के दौरान 36 राफेल विमान का सौदा 1.69 लाख करोड़ में किया गया था, जबकि मोदी सरकार ने यही सौदा 59, 000 हजार करोड़ रुपये कम में किया है।
मोदी सरकार की डील यूपीए सरकार द्वारा किए गए सौदे से अधिक असरदार और तकनीकी रूप से भी ज्यादा सक्षम भी है। डील के तहत भारत के लिए खास तौर पर 13 नई विशेषताएं बढ़ाई गई हैं, जो दूसरे देश को नहीं दी जाती।
10 प्वाइंट्स में समझिए कैसे यूपीए से सस्ती और बेहतर है राफेल डील
कम कीमत पर खरीदे गए विमान
मोदी सरकार ने एक राफेल विमान का सौदा 1646 करोड़ रुपये में किया है, जबकि मनमोहन सिंह के कार्यकाल में प्रति विमान कीमत 1705 करोड़ थी।
बिचौलियों को नहीं दिया गया मौका
प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने दो सरकारों के बीच राफेल करार किया। इससे कीमतें कम हुईं और बिचौलियों को मौका नहीं मिला।
भारत के रक्षा मानकों पर खरी है डील
राफेल के साथ ही भारत ऐसे हथियारों से लैस हो जायेगा जिसका एशिया महाद्वीप में कोई सानी नहीं। राफेल METEOR , SCALP और MICA मिसाइल से भी लैस है।
टेकनोलॉजी ट्रांसफर पर भी हुआ करार
रिलायंस के साथ जॉइंट वेंचर के माध्यम से डेसॉल्ट कंपनी भारत में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कर रहा है। ये संयुक्त उद्यम पहले स्पेयर पार्ट्स बनाएगा, फिर एयरक्राफ्ट बनाएगा।
इन्फ्लेशन का लाभ भारत को मिलेगा
यूपीए ने 3.9 प्रतिशत इन्फ्लेशन रखी थी, लेकिन मोदी सरकार ने इसे 3.5 करवा दिया। अब डेसॉल्ट की जिम्मेदारी है कि फ्लीट का 75 प्रतिशत हर हाल में ऑपरेशनल रहे।
वारंटी पर यूपीए से बेहतर पारदर्शिता
‘रेडी टू फ्लाई’ राफेल डील के तहत 5 साल की वारंटी है। इसके साथ ही अगर 36 महीने में राफेल विमान को देने में देरी हुई तो कंपनी पर पेनल्टी भी लगेगी।
समझौते में ऑफसेट का प्रावधान
50 प्रतिशत ‘ऑफसेट’ प्रावधान के कारण छोटी-बड़ी भारतीय कंपनियों के लिए न्यूनतम तीन अरब यूरो का कारोबार के साथ हजारों रोजगार सृजित किए जा सकेंगे।
‘मेक इन इंडिया’ को मिल रहा बढ़ावा
सरकार ने रक्षा क्षेत्र में बिना पूर्व अनुमति के 49 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी है। इस कारण राफेल सौदा ‘मेक इन इंडिया’ को भी गति प्रदान करेगा।
अनुभवी कंपनी को दिया गया ठेका
डेसॉल्ट एविएशन ने रिलायंस डिफेंस) को इसलिए चुना कि वह नौसैनिक गश्ती जहाज बनाने के साथ कोस्टगार्ड के लिए 14 गश्ती पोतों का निर्माण भी कर रहा है।
एफडीआई के तहत समझौते की स्वतंत्रता
एफडीआई में कंपनियों को समझौता करने की स्वतंत्रता है। रिलायंस और डेसॉल्ट ने समझ बूझ कर आपस में ये समझौता किया है और इसमें पूरी पारदर्शिता है।
अब आपको बताते हैं गांधी परिवार के घोटालों के बारे में, नेहरू के समय से लेकर आज के राहुल के वक्त तक किन-किन घोटालों को अंजाम दे चुका है देश का सबसे भ्रष्ट राजनीतिक परिवार पढ़िए-
मूंदड़ा स्कैंडल
कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे घोटाले के तौर पर याद किया जाता है। इसके छींटें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी पड़े। दरअसल 1957 में मूंदड़ा ने एलआईसी के माध्यम से अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपये का निवेश कराया था। यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इंवेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया। जब तक एलआईसी को पता चला, उसे कई करोड़ का नुकसान हो चुका था। इस केस को फिरोज गांधी ने उजागर किया, जिसे नेहरू ख़ामोशी से निपटाना चाहते थे। उन्होंने तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णामाचारी को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें अंतत: पद छोड़ना पड़ा।
मारुति घोटाला
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। वर्ष 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए जरूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। बताया जा रहा है कि कंपनी को सरकार की ओर से टैक्स, फंड और कई छूटें मिलीं थी।
बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स कंपनी ने 1437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी। आरोप है कि इसमें दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने बतौर कमीशन 64 करोड़ रुपये दिये थे। इस सौदे में गांधी परिवार के करीबी और इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के अर्जेंटीना चले जाने पर सोनिया गांधी पर भी आरोप लगे।
नेशनल हेराल्ड मामले में करोड़ की हेराफेरी
गांधी परिवार पर अवैध रूप से नेशनल हेराल्ड की मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्ति हड़पने का आरोप है। वर्ष 1938 में कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई थी। यह कंपनी नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज नाम से तीन अखबार प्रकाशित करती थी। एक अप्रैल, 2008 को ये अखबार बंद हो गए। मार्च 2011 में सोनिया और राहुल गांधी ने ‘यंग इंडिया लिमिटेड’ नाम की कंपनी खोली और एजेएल को 90 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन दिया। एजेएल यंग इंडिया कंपनी को लोन नहीं चुका पाई। इस सौदे की वजह से सोनिया और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया को एजेएल की संपत्ति का मालिकाना हक मिल गया। इस कंपनी में मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के 12-12 प्रतिशत शेयर हैं, जबकि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के 76 प्रतिशत शेयर हैं। गांधी परिवार पर अवैध रूप से इस संपत्ति का अधिग्रहण करने के लिए पार्टी फंड का इस्तेमाल करने का आरोप लगा। इस मामले में सोनिया और राहुल के विरुद्ध संपत्ति के बेजा इस्तेमाल का केस दर्ज कराया गया। अब इसी मामले में आयकर विभाग ने प्रियंका गांधी की संलिप्तता भी पाई है।
एक नजर कांग्रेस की सरकारों में हुए कुछ प्रमुख घोटालों पर-
कोयला घोटाला (2012) | 1.86 लाख करोड़ रुपये |
2जी घोटाला (2008) | 1.76 लाख करोड़ रुपये |
महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला | 70,000करोड़ रुपये |
कामनवेल्थ घोटाला (2010) | 35,000 करोड़ रुपये |
स्कार्पियन पनडुब्बी घोटाला | 1,100 करोड़ रुपये |
अगस्ता वेस्ट लैंड घोटाला | 3,600 करोड़ रुपये |
टाट्रा ट्रक घोटाला (2012) | 14 करोड़ रुपये |