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मोदी राज में शोध को बढ़ावा, देश में खुलेंगे अटल सामुदायिक शोध केंद्र

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान से ही नए भारत के निर्माण का सपना साकार होगा। विज्ञान से जुड़ी संस्थाओं को भविष्य की जरूरतों के हिसाब से खुद को ढालना होगा। प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान का असर भी दिखाई देने लगा है। देश में शोध को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग ने अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर (एसीआईसी) मिशन की शुरुआत की है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय इस मिशन के तहत अटल सामुदायिक शोध केंद्र स्थापित करने जा रहा है। यह केंद्र इंजीनियरिंग और तकीनीकी विषयों के विशेषज्ञों को ऐसा मंच प्रदान करेगा जहां से वह न सिर्फ अपने शोध को और बेहतर कर सकेंगे,बल्कि समाज के हित में उसके प्रयोग को बढ़ावा देंगे।

शोध के लिए 8,800 स्कूलों और 100 उच्च संस्थानों का चयन

पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि अटल इनोवेशन मिशन के तहत अटल टिंकरिंग लैब के लिए 8,800 स्कूलों का चयन किया गया है जबकि अटल इनक्यूबेटर प्रोग्राम के लिए 100 उच्च संस्थानों का चयन किया गया है। इस अभियान से देश में शोध के क्षेत्र में बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।

देश के छोटे शहरों में स्थापित होंगे केंद्र

खास बात यह है कि यह केंद्र देश के उन छोटे शहरों में प्राथमिकता के साथ शुरू किए जाएंगे जो शैक्षणिक एवं शोध गतिविधियों के लिहाज से अब तक सुविधा विहीन रहे हैं। मंत्री ने कहा कि उत्तर पूर्व से लेकर जम्मू एवं कश्मीर के छोटे जिलों में इनकी स्थापना लोकतंत्र की विकासशील अवधारणा को मजबूत करेगा। समाज के निचले स्तर तक तकनीक के जरिए विकास की राह में कैसे आगे बढ़ा जा सकता है यह निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की परस्पर सहभागिता से एसीआईसी सिद्ध करेगा। चार सेंटर ऑफ एक्सलेंस की स्थापना

यही नहीं इस्पात मंत्रालय ने आईआईटी मुंबई, चेन्नई, खड़गपुर, और बीएचयू में चार सेंटर ऑफ एक्सलेंस की स्थापना की है। इससे एमटेक और पीएचडी करने वाले शोधार्थियों को उत्कृष्ट शोध के लिए आकर्षित करने में मदद मिलेगी। शोध कार्यों से मिलने वाले परिणाम स्टील सेक्टर के लिए मददगार साबित होंगे। तकनीक की उत्कृष्टता से योजनाओं को न सिर्फ प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जा सकता है बल्कि समय और संसाधनों की भी बचत होती है।

पीएम मोदी की जीरो बजट खेती की अवधारणा होगी सफल

इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित स्टील रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी मिशन ऑफ इंडिया (एसआरटीएमआई) जैसे स्वायत संस्थान ने हाल ही में इसी क्रम में इंडियन एग्रिकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर कृषि की लागत को स्टील के जरिए कम बनाने पर काम शुरू किया है। शोध और विकास के बिना यह संभव नहीं होगा। यह जीरो बजट खेती को लेकर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रस्तुत अवधारणा को भी सफल बनाएगा।

शोध क्षेत्रों की पहचान और सामाजिक अनुप्रयोग पर जोर

केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि ऐसे सभी उदाहरण प्रस्तुत करने का मेरा मकसद सिर्फ यह है कि हम शोध के क्षेत्र की संभवनाओं को पहचानते हुए उसके सामाजिक अनुप्रयोग को समझें। समाजिक मूल्य से युक्त शोध से समाज के जीवन स्तर को बढ़ाते हैं। इस मौके पर नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि हम भारत को विश्व का सबसे नवोन्मेषी देश बनाना चाहते हैं।

5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद

पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि भारत बिना नवोन्मेष के पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था नहीं बन सकता है। नीति आयोग की इस मुहिम को समर्थन देने के बारे में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उन्होंने सरकारी तेल एवं गैस कंपनियों को अपने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत इस मुहिम की मदद करने का निर्देश दिया है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि इस मुहिम को देश के 484 जिलों में शुरू किया जाएगा।

आइए एक नजर डालते हैं पिछले 5 सालों में मोदी सरकार द्वारा शोध के क्षेत्र में उठाए गए कदमों पर…

शोध को बढ़ावा देने के लिए पीएम रिसर्च फेलोशिप

केंद्र सरकार ने आईआईटी में रिसर्च को बढ़ावा देने और ब्रेनड्रेन रोकने के लिए एक 1 फरवरी, 2018 को प्रधानमंत्री शोधवृत्ति (पीएम रिसर्च फेलोशिप) की घोषणा की। इस फेलोशिप को और समावेशी बनाने के लिये मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसके दिशानिर्देशों में संशोधन किया। अब इसके तहत आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईएसई, आईआईएसईआर, आईआईईएसटी के अलावा भारत में मान्यता प्राप्त संस्थान या विश्वविद्यालय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संकाय के एमटेक एवं पीएचडी करने वाले छात्र भी आवेदन कर सकेंगे ।

80,000 रूपये प्रति माह तक मिलेगी फेलोशिप 

प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप योजना के तहत पात्रता मानदंड पूरा करने वाले छात्रों को पहले 2 वर्षों के लिए 70,000 रूपये प्रति माह, तीसरे वर्ष के लिए 75,000 रूपये प्रति माह तथा चौथे और 5वें वर्ष में 80,000 रूपये प्रति माह की फेलोशिप प्रदान की जाएगी । इसके अलावा प्रत्‍येक अध्‍येता को अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलनों और सेमिनारों में शोध पत्र प्रस्‍तुत करने के लिए उनकी विदेश यात्रा से संबंधित खर्च को पूरा करने के लिए 5 वर्ष की अवधि के लिए 2 लाख रूपये का शोध अनुदान दिया जाएगा।

‘टेक्नोलॉजी विजन 2035’
मैसूर में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अधिवेशन में 03 जनवरी, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को ‘टेक्नोलॉजी विजन 2035’ दिया। ये 2035 तक देश को जिस तरह की तकनीक और वैज्ञानिक दक्षता की आवश्यकता होगी उसे प्राप्त करने की एक विस्तृत रूपरेखा है। इस विजन में 12 क्षेत्रों पर विशेष रूप से काम किये जाने पर जोर दिया गया है, इनमें से प्रमुख हैं- शिक्षा, चिकित्सा और स्वास्थ्य, खाद्य और कृषि, जल, ऊर्जा, पर्यावरण और यातायात। इसी विजन को ध्यान में रखते हुए कई सारी योजनाओं और नीतियों को सरकार लागू कर रही है।

National Initiative for Development and Harnessing Innovations (NIDHI)
ये देश में स्टार्टअप के तहत नवाचार के तंत्र को मजबूत करने के लिए खोज से लेकर उत्पाद को बाजार में लाने तक की पूरी प्रक्रिया में मदद करता है। इसके लिए 90 करोड़ रुपये की लागत से आईआईटी गांधीनगर में एक अनुसंधान पार्क की स्थापना की गई है।

Visiting Advanced Joint Research
देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मानित फैक्लटी को सहायक या विजटिंग फैक्लटी के रूप में भारतीय संस्थानों में छात्रों को गाइड करने की योजना है। ये साल में एक से तीन महीने के लिए हो सकता है। यह योजना जनवरी 2017 में शुरू की गई। इसके तहत फैक्लटी को देश के संस्थानों से जोड़ने का प्रावधान है। इस योजना को विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB) ने शुरु किया।

Pravasi doctoral fellowship scheme
SERB ने देश के युवा शोध छात्रों को रिसर्च में प्रशिक्षण के लिए विदेशी संस्थान में भेजने के लिए यह योजना तैयार की है। इसके लिए छात्रों को एक साल की फेलोशिप देने की योजना है।

KIRAN (Knowledge Involvement in Research Advancement through Nurturing)
देश में महिला वैज्ञानिकों को सही माहौल देने और उन्हें शोध में आगे बढ़ाने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई। महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों को आधारभूत या अप्‍लाइड साइंस में शोध करने के अवसर देने के लिए 227 परियोजनाओं का चुनाव किया गया है। इस योजना के तहत महिला वैज्ञानिकों को 29 परियोजनाओं में सहायता दी जा रही है।

जेके अरोमा आरोग्य ग्राम
CSIR ने जेके अरोमा आरोग्य ग्राम परियोजना शुरू की है। इसके तहत किसानों को जड़ी-बूटियों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के 14 गांवों में ये परियोजना चल रही है।

SATYAM
योग एवं ध्यान के क्षेत्र में रिसर्च शुरू करने के लिए 2015-16 में एक नया कार्यक्रम science and technology of yoga and meditation (SATYAM) शुरू किया गया। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के निपटारे के लिए योग और ध्यान को बेहतरीन उपचार के रूप में स्वीकार किया गया है। SATYAM इसी दिशा में काम कर रहा है। इसके अलावा इस परियोजना के तहत शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर योग और ध्यान के प्रभाव पर भी रिसर्च हो रहा है।

हायर ऐजुकेशन फाइनेंसिंग एजेंसी (HEFA) 

12 सितंबर 2016 को केंद्रीय कैबिनट ने HEFA के स्थापना को मंजूरी दी। यह एजेंसी उच्च शिक्षण संस्थाओं में अन्तराष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशालाओं एवं अन्य साधनों को उपलब्ध कराने के लिए धन की व्यवस्था करेगी। केनरा बैंक को सरकार ने इसका प्रमोटर बनाया है। इसमें सरकार की 1000 करोड़ रुपये कि हिस्सेदारी है। सभी उच्च शिक्षण संस्थान इससे लोन लेने के लिए योग्य होंगे। सरकार लोन के ब्याज का भार उठाएगी, जबकि शिक्षण संस्थाओं को केवल मूलधन चुकता करना होगा।

शोध के क्षेत्र में भारत का बढ़ा कद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शोध के क्षेत्र में भारत का कद दुनिया में बढ़ा है। शोध के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाते हुए भारत शीर्ष पांच देशों में शामिल हो गया है। जापान, फ्रांस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और इटली जैसे देशों को पीछे छोड़ते हुए भारत पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। इससे पहले इस सूची में भारत नंबर सात पर था। दुनिया भर के शोध कार्यों पर नजर रखने वाली स्कोपस एजेंसी की इस रैंकिंग में भारत से आगे अमेरिका, चीन, इंग्लैंड और जर्मनी है।

 

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