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आर्थिक प्रगति के लिए 2019 में भी पीएम मोदी का जीतना जरूरी- CLSA

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। अर्थव्यवस्था में यह मजबूती कायम रहे इसके लिए जरूरी है कि 2019 में भी देश में मोदी सरकार बने। हांगकांग स्थित इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी CLSA का कहना है कि भारत की आर्थिक प्रगति के लिए 2019 में फिर से नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना जरूरी है। CLSA का कहना है कि अगर फिर से नरेंद्र मोदी की सरकार नहीं बनी तो यह भारत के लिए अच्छा नहीं होगा। CLSA के मुख्य रणनीतिकार क्रिस्‍टोफर वूड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोबारा सत्‍ता में न आने से देश की आर्थिक प्रगति बाधित होने की बात कही है। उन्‍होंने अपने साप्‍ताहिक न्‍यूजलेटर ‘ग्रीड एंड फीयर’ में लिखा है कि, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिर से चुनाव न जीतने पर भारत की कहानी (आर्थिक स्थिति) को जबरदस्‍त नुकसान पहुंच सकता है।’

क्रिस्‍टोफर वूड

वूड के अनुसार, बांड मार्केट में बिकवाली और रुपये की कमजोरी के कारण वर्ष 2018 अब तक भारत के लिए उतना अच्‍छा नहीं रहा है, लेकिन अभी भारत की स्टॉक मार्केट से काफी उम्मीदें हैं। तेल की कीमतों में उछाल और करेंट अकाउंट डेफिसिट में वृद्धि के कारण ऐसा हो रहा है। इसके बावजूद एशियाई बाजार में लंबी अवधि में भारत की स्थिति बेहतर बनी रहेगी। इसके साथ ही बैंकों के नॉन परफॉर्मिंग लोन का मामला निपटने के बाद नए निवेश की संभावना और बढ़ेगी। इसके पहले ‘ब्‍लूमबर्ग’ ने एक रिपोर्ट में वर्ष 2024 तक नरेंद्र मोदी के मजबूत बने रहने की संभावना जताई थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने देश की कमान संभालते ही कहा था कि उनकी सरकार का हर कदम राष्ट्रहित के लिए होगा और उनकी नीति सबका साथ-सबका विकास की होगी।

केंद्र सरकार के करीब चार साल पूरे हो चुके हैं और इस दौरान यह साफ दिखा है कि उन्होंने जहां गरीबों के हित का ध्यान रखा है, वहीं व्यापारी वर्ग की तमाम परेशानियों को भी दूर किया है।

23 जनवरी, 2018 को शेयर बाजार ने इतिहास रच दिया। 50 शेयरों के एनएसई सूचकांक निफ्टी ने पहली बार 11000 का आंकड़ा पार किया तो 30 शेयरों का बीएसई सूचकांक सेंसेक्स भी 36,000 का ऐतिहासिक स्तर पार कर गया। रोज रिकॉर्ड तोड़ता शेयर बाजार इस बात का सबूत है कि कॉरपोरेट वर्ल्ड का प्रधानमंत्री मोदी पर पूरा भरोसा है। गौरतलब है कि जब यूपीए सरकार ने सत्ता छोड़ी थी तो शेयर बाजार 25 हजार के स्तर पर था।

आइये हम सिलसिलेवार जानते हैं कि उन्होंने व्यापारी वर्ग के लिए क्या-क्या महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं-

  • सरकार बनते ही बेहतर कारोबारी माहौल बनाने की पहल की और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति को बढ़ावा दिया जो देश में कारोबार को गति देने के लिए एक बड़ी पहल है।
  • बड़े, छोटे, मझोले और सूक्ष्म सुधारों सहित कुल 7,000 उपाय (सुधार) किए गए। सबसे खास यह है कि केंद्र और राज्य सहकारी संघवाद की संकल्पना को साकार रूप दिया गया है।
  • कोयला ब्लॉक और दूरसंचार स्पेक्ट्रम की सफल नीलामी प्रक्रिया अपनाई गई। इस प्रक्रिया से कोयला खदानों (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के तहत 82 कोयला ब्लॉकों का पारदर्शी आवंटन किया गया।
  • जीएसटी, बैंक्रप्सी कोड, ऑनलाइन ईएसआइसी और ईपीएफओ पंजीकरण जैसे कदमों कारोबारी माहौल को और भी बेहतर किया है।
  • ‘वन नेशन, वन टैक्स’ यानि GST ने सभी के माध्यम से व्यापारियों और उपभोक्ताओं को दर्जनों करों के मकड़जाल से मुक्त कर एक कर के दायरे में लाया गया।
  • जीएसटी में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार ने लगातार कदम उठाए। जीएसटी दरों में बदलाव किया गया और टैक्स स्लैब की सीमा दो स्तरों तक सीमित की गई।

कॉरपोरेट वर्ल्ड के सहयोग से देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। देश की अर्थव्यवस्था अभी 2.5 लाख करोड़ डॉलर की है, लेकिन 2025 तक इसके दोगुने हो जाने के अनुमान हैं। इतना ही नहीं विश्व की सभी रेटिंग एजेंसियों ने अगले वर्ष भारत की अर्थव्यस्था के विकास की गति 7.4 से 8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया है जो यह साबित करता है कि कॉरपोरेट वर्ल्ड पीएम मोदी की नीतियों से प्रसन्न है।

बीते चार वर्षों में भारत ने जिस गति से प्रगति की है और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता में लगातार वृद्धि हुई है, इससे तो स्पष्ट है कि एक बार फिर देश का नेतृत्व प्रधानमंत्री मोदी ही संभालेंगे। आइए जानते हैं 10 कारण-

नंबर-1
लोकप्रियता में सबसे ऊपर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता के समक्ष देश में कोई दूसरा नेता नहीं है। हाल में भी कई समाचार चैनलों और अखबारों ने सर्वे प्रकाशित किए हैं जिनमें ये बात स्पष्ट हो जाती है कि 10 में से 9 व्यक्ति पीएम मोदी के बारे में अच्छी राय रखते हैं। देश के 83 प्रतिशत लोगों की पसंद भी पीएम मोदी ही हैं। सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात ये कि पीएम मोदी ऐसे नेता बनकर उभरे हैं जिनकी संम्पूर्ण भारत में लोकप्रियता है।

नंबर- 2
राजनीति की धुरी हैं पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने खुद को देश में राजनीति की धुरी के रूप में स्थापित कर लिया है और उसे किसी दल से कोई बड़ी चुनौती मिलती नहीं दिख रही है। विधानसभाओं के हालिया चुनावों के बाद बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ देश के भौगोलिक क्षेत्र के 75 प्रतिशत हिस्से पर सत्ता स्थापित कर ली है और देश की 68 प्रतिशत से अधिक आबादी पर भाजपा और उनके सहयोगी दलों का शासन है।

नंबर- 3
परफॉरमेंस में सबसे बेहतर
बीते चार वर्षों में सरकार के प्रदर्शन को भी पैमाना माना जाए तो मोदी सरकार ने बेहतर कार्य किए हैं। एक ओर जहां देशहित में बड़े और कड़े फैसले लेने में नहीं हिचकी, वहीं भारत की अर्थव्यवस्था को नई गति दी। बीते साढ़े तीन वर्षों में 7.1 की औसत गति से इकोनॉमी मजबूत हो रही है। पूंजी निवेश बढ़ा है और मेक इन इंडिया को भी लगातार ताकत मिल रही है।

नंबर- 4
समयबद्ध परिणाम देने में बेजोड़
प्रधानमंत्री मोदी ने एक ओर जहां पुरानी लटकी पड़ी परियोजनाओं का काम पूरा किया है वहीं वर्तमान सरकार द्वारा शुरू किए गए कार्यों को भी ससमय किया है। मधेपुरा, छपरा रेल कारखाना को शुरू किया जाना हो या फिर गोरखपुर, बरौनी जैसी पांच जगहों पर खाद कारखाना की शुरुआत हो। पूर्वोत्तर में 73 रणनीतिक सड़कों का निर्माण हो या फिर साठ सालों से अटके पड़े नर्मदा डैम की शुरुआत हो… ऐसे अनेकानेक कार्य हैं जो मोदी सरकार ने समयबद्ध तरीके से किए हैं।

नंबर- 5
पीएम मोदी का दृृढ़ निश्चय
प्रधानमंत्री मोदी लोगों को इसलिए भी सबसे अधिक पसंद हैं क्योंकि वे चुनाव परिणामों की चिंता किए बिना देशहित में निर्णय लेते हैं। नोटबंदी का निर्णय हो या फिर पूरे देश में जीएसटी लागू करने का फैसला, सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर डोकलाम में चीन के सामने अड़ जाने का साहस… प्रधानमंत्री मोदी को अन्य किसी भी नेता से अलग करता है। देश ने लंबे अर्से के बाद ऐसा प्रधानमंत्री देखा है जो अपना या अपनी पार्टी के हित से ऊपर देशहित को रखता है। 

नंबर- 6
पीएम मोदी पर पब्लिक का भरोसा
प्रधानमंत्री मोदी की ‘पहल’ पर यदि सवा करोड़ लोग गैस सब्सिडी लेना छोड़ दें तो यह लोगों का उनपर भरोसा ही दिखाता है। बीते साढ़े तीन वर्षों में भी यह भरोसा कायम है। प्रधानमंत्री का एक आह्वान आज भी पूरा वातावरण बदल देता है। पूर्वोत्तर में ‘चोलो पल्टाई’ नारे का कितना असर हुआ यह सबके सामने है। त्रिपुरा में 25 वर्षों से सत्ता पर काबिज वाम दलों का किला लोगों ने इसी आह्वान की बदौलत ढाह दिया।  

नंबर- 7
संगठन शक्ति में बीजेपी अव्वल
विपक्ष और भारतीय जनता पार्टी में बड़ा अंतर संगठन शक्ति का है। अब पूरे देश में पार्टी की प्रभावशाली मौजूदगी है और दस करोड़ से अधिक सदस्य हैं। पिछले वर्ष ही पार्टी ने तीन श्रेणियों में पूर्णकालिक स्वयंसेवकों को सामने आने को कहा। 15 दिन, 6 महीने और सालभर के लिए। पार्टी को 15 दिनों के लिए करीब चार लाख फुल टाइम वॉलंटियर मिले और छह महीने से सालभर के लिए करीब 4600 कार्यकर्ता सामने आए। करीब चार लाख विस्तारकों ने 9 लाख से ज्यादा बूथ कमेटियों में से 6 लाख 13 हजार 917 कमेटियों से संपर्क किया। इनके अतिरिक्त पन्ना प्रमुख बनाए गए हैं, जो वोटर लिस्ट के हर पेज के इंचार्ज होते हैं।

नंबर- 8
21 राज्यों में भाजपा सरकार
2014 में जब पीएम नरेन्द्र मोदी सत्ता में आए थे, तो एनडीए का शासन केवल सात राज्यों में था और बीजेपी के केवल चार मुख्यमंत्री थे। 2014 से हुए 21 राज्यों के चुनावों में एनडीए ने 15 में जीत दर्ज की और बीजेपी को 11 और मुख्यमंत्री मिले। बिहार और दिल्ली के चुनावों में हार हुई लेकिन दूसरे नंबर की पार्टी वही रही। प्रदेश के चुनावों में भी पीएम मोदी का प्रभाव स्पष्ट दिखता है।

नंबर- 9
गरीबों के नेता पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने जब से केंद्र की सत्ता संभाली है तब से ही खुद की सरकार को गरीब-गुरबों की सरकार कहा है। उनकी इस सोच का परिणाम है कि 12 रुपये सालाना में जीवन बीमा का लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री जन धन योजना के माध्यम से देश के 30 करोड़ से अधिक गरीबों का बैंक खाता खुलवाना भी बड़ा कार्य था। इसी तरह उज्ज्वला योजना और सौभाग्य बिजली योजना जैसी योजनाएं भी देश के गरीबों को ही ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। हर गरीब को 12 हजार रुपये देकर शौचालय बनाने का अभियान हो या फिर मातृत्व योजना के लिए 6000 रुपये का अनुदान, सभी योजनाएं गरीबों के लिए ही बनाई गई हैं। इसका परिणाम ये है कि पीएम मोदी गरीबों के दिल में बसते हैं।

नंबर- 10
भाजपा में सर्वमान्य हैं पीएम मोदी
इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी भाजपा के सर्वमान्य नेता हैं। आज पार्टी में उनके कद का कोई नहीं है। आज कई राज्यों के चुनाव परिणामों में पीएम मोदी का खासा असर दिखता है। हाल में ही पूर्वोत्तर राज्यों के चुनाव परिणाम ये साबित करते हैं कि देश उनपर भरोसा करता है और पार्टी में उनके कद का कोई नेता अब तक नहीं उभर सका है। जाहिर है पार्टी में भी दूसरा कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं है।  

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