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प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति का असर, चीन ने जताई साथ काम करने की इच्छा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति का असर दिखने लगा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व बिरादरी में भारत की बढ़ती साख का परिणाम है कि चीन भारत के साथ मिलकर काम करना चाहता है। पिछले हफ्ते सिंगापुर के शांग्री-ला डायलॉग में भारत-चीन रिश्तों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सकारात्मक टिप्पणी का चीन ने स्वागत किया है। इसके साथ ही चीन ने दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमति को ध्यान में रखते हुए द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने और गति देने के लिए भारत के साथ काम करने की इच्छा भी जताई है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनइंग ने प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी का स्वागत करते हुए कहा कि हमने चीन-भारत संबंधों पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गई सकारात्मक टिप्पणियों पर ध्यान दिया है। हम इस तरह की सकारात्मक टिप्पणियों की काफी सराहना करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि चीन इस सकारात्मक वातावरण में अपने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।

चीन ने भी माना भारत को महाशक्ति
इसके पहले जनवरी 2018 में चाइना इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (सीआईआईएस) के उपाध्यक्ष रोंग यिंग ने कहा कि पिछले तीन साल से ज्यादा समय में भारत की कूटनीति काफी मजबूत हुई है। इस दौरान भारत ने एक अलग ‘मोदी डॉक्ट्रीन’ बनाई है। इसकी वजह से भारत एक महाशक्ति के तौर पर उभरा है। तभी से लग रहा था कि चीन भारत के साथ संबंधों को आगे ले जाने का इच्छुक है। 

दरअसल मोदी सरकार पर यह अब तक चीनी थिंक टैंक का अपनी तरह का पहला लेख था। सीआईआईएस के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी के तीन वर्षों के कार्यकाल के दौरान भारत और चीन के संबंधों में सधी हुई मजबूती आई है। लेख में कहा गया था कि, ‘चीन और भारत के बीच सहयोग तथा प्रतिस्पर्धा दोनों की स्थितियां हैं। चीन के लिए भारत काफी महत्वपूर्ण पड़ोसी और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में सुधार के लिए अहम साझेदार है।’ लेख में कहा गया है कि, ‘पुराने प्रशासन की तुलना में मोदी डॉक्ट्रीन ने दक्षिण एशिया में भारत के प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश की। पाकिस्तान को लेकर भारत सख्त है। मोदी सरकार को पीओके से भारत के खिलाफ काम कर रहे आतंकियों के बेस पर हमला करने में थोड़ी भी हिचकिचाहट नहीं हुई।’

दावोस में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की भी चीन ने की तारीफ
जनवरी महीने में ही चीन ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच में दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का स्वागत किया था। चीन ने खुलकर प्रधानमंत्री के भाषण को सराहा। दावोस में प्रधानमंत्री मोदी ने संरक्षणवाद को आतंकवाद की तरह ही खतरनाक बताया। भाषण की प्रशंसा करते हुए चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुवा चुनयिंग ने कहा, ”हमने प्रधानमंत्री मोदी ने संरक्षणवाद के खिलाफ भाषण सुना। बयान से पता चलता है कि वैश्वीकरण समय का ट्रेंड है और यह विकासशील देशों के साथ सभी देशों के हितों को पूरा करता है। संरक्षणवाद के खिलाफ लड़ने तथा वैश्वीकरण का समर्थन करने की जरूरत है। इसके लिए चीन भारत और अन्य देशों के साथ काम करना चाहता है।’’

2017 को ‘ब्रांड मोदी’ का साल बताया
चीन की सरकारी प्रेस एजेंसी जिन्हुआ ने साल 2017 को ब्रांड मोदी का साल घोषित किया था। एजेंसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उनकी नेतृत्व क्षमता को आकर्षित करने वाला बताया। इस लेख का शीर्षक था ‘Modi wave works magic for India’s ruling BJP in 2017’। भारत में मोदी लहर का जिक्र करते हुए इस लेख में कहा गया है कि, इस वर्ष जितने भी राज्यों में चुनाव हुए हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी के स्टार प्रचारक, भीड़ को खींचने वाले और विरोधियों के हमलों को कुंद करने वाले नेता साबित हुए हैं।

पीएम मोदी का करिश्माई नेतृत्व बेजोड़
चीनी मीडिया के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी 2014 में सत्ता में आने के बाद ज्यादातर राज्यों में सरकार बनाने में सफल हुई है। इनमें से इसी वर्ष उत्तर प्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी ने सत्ता हासिल की है। आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में नवंबर, 2016 में नोटबंदी के प्रधानमंत्री मोदी के फैसले के तुरंत बाद चुनाव हुए थे। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियां नोटबंदी के लिए केंद्र सरकार की आलोचना कर रही थीं, ऐसे में बीजेपी को 312 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत मिलना, सिर्फ पीएम मोदी के करिश्मे का ही नतीजा था। उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने किसी को भी मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया था, और पूरा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर लड़ा गया, और ऐसे में जनता का अप्रत्याशित समर्थन दर्शाता है कि लोगों के बीच किस तरह पीएम मोदी का जादू है।

साहसिक और निर्णायक फैसले लेने वाले नेता हैं मोदी
चीनी मीडिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बीजेपी के तरकश का ऐसा हथियार करार दिया, जिसे परास्त करने का हौसला फिलहाल किसी में नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी की छवि साहसिक और निर्णायक फैसले लेने वाले नेता की है। लेख के मुताबिक पीएम मोदी ने विमुद्रीकरण का फैसला लिया, पूरे देश में एक समान कर के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू किया। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने कालेधन के खिलाफ अभियान छेड़ा है, और जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार है वहां भ्रष्टाचार के खिलाफ जोरशोर से अभियान भी चलाया जा रहा है।

भारत बना विदेशी कंपनियों के लिए पसंदीदा जगह- चीन
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा था कि भारत विदेशी कंपनियों के लिए खूब आकर्षण बन रहा है। अखबार ने एक लेख में कहा है कि कम लागत में उत्पादन धीरे-धीरे चीन से हट रहा है। अखबार ने लिखा कि भारत सरकार ने देश के बाजार के एकीकरण के लिए जीएसटी लागू किया है। यह अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने वाला है। इस नई टैक्स व्यवस्था से मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है क्योंकि इसमें राज्य और केंद्र के विभिन्न करों को मिला दिया गया है। लेख में कहा गया है कि आजादी के बाद के सबसे बड़े आर्थिक सुधार जीएसटी से फॉक्सकॉन जैसी बड़ी कंपनी भारत में निवेश करने के अपने वादे के साथ आगे बढ़ेंगी।

भारत की कूटनीतिक ताकत के आगे बेबस चीन
एक दौर वह भी था जब भारत विश्व की महाशक्तियों के भरोसे रहता था। आज भारत बोलता है तो दुनिया सुनती है। बीते साढ़े तीन सालों में कई चीजें ऐसी हुई हैं जिससे यह बात साबित होती है कि भारत को कोई हल्के में नहीं ले सकता। विशेषकर चीन को अब यह समझ आ गया है कि जब तक प्रधानमंत्री मोदी हैं, तब तक वह भारत पर अपनी शर्तें थोप नहीं सकता। चीन को यह भी स्पष्ट संदेश दिया जा चुका है कि भारत अपने हित को सर्वोपरि मानता है और देश हित से वह कतई समझौता नहीं करने जा रहा है। 

अरुणाचल में पेट्रोलिंग से बढ़ी चीन की टेंशन
अरुणाचल के सीमाई इलाके में 1962 युद्ध के बाद से अब तक कोई गोली नहीं चली है। इसके साथ एक सच यह भी है कि चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत मंसूबा पाले बैठा है और अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता रहा है। हालांकि मोदी सरकार ने चीन के इस दावे को सख्ती से खारिज किया है। मोदी सरकार के दृढ़ निश्चय के कारण प्रदेश में जहां विकास कार्यों में तेजी आई है, वहीं सीमा सुरक्षा पर भी बल दिया गया है। चीन के सुबानसीरी इलाके में भारतीय सेना ने पेट्रोलिंग की तो चीन ने ऐतराज जताया, लेकिन भारत ने चीन की इस हिमाकत का जवाब में वहां सेना की गश्ती और तेज कर दी। गौरतलब है कि चीन ने आसफिला सेक्टर में 21, 22 और 23 दिसंबर को सेना की पट्रोलिंग पर विरोध जताया था।

पैंंगोंग झील से चीनी सैनिकों को खदेड़ा
चीन ने उत्तरी पैंगोंग झील के पास गाड़ियों के जरिये 28 फरवरी, 7 मार्च और 12 मार्च 2018 को घुसपैठ की। कहा जा रहा है कि चीनी सैनिक 6 किलोमीटर तक अंदर घुस आए थे।  लेकिन ITBP ने चीन के इस घुसपैठ पर विरोध जताया और चीनी सैनिकों को वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया। दरअसल पैंगोंग का ये वही इलाका है, जहां पर 2017 के अगस्त महीने में चीनी सैनिकों ने भारतीय सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी की थी। इस साल भी चीनी सैनिकों ने पैंगोंग झील के पास उत्तरी पैंगोंग में ITBP के साथ बहस करने की कोशिश की थी, जिसको ITBP ने नाकाम कर दिया और उन्हें वापस अपनी सीमा में खदेड़ दिया।

डोकलाम में चीनी आर्मी को पीछे धकेला
वर्ष 2017 के जून महीने में चीन भारत-चीन-भूटान की सीमा के पास बने ट्राइ जंक्शन डोकलाम में घुसपैठ की थी। भूटान के इलाके में पड़ने वाला यह इलाका सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है, परन्तु भारत ने चीनी सैनिकों को वापस उसकी सीमा में धकेल दिया। हालांकि 73 दिनों के आसपास तक चले इस प्रकरण में जिस तरह के मौखिक आक्रामकता और गीदड़ भभकी का प्रदर्शन चीन ने किया और उसके जवाब में जिस राजनीतिक परिपक्वता और टेंपरामेंट का परिचय भारत ने दिया उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का कद बढ़ा दिया। जिस तरह प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सेना और कूटनीतिज्ञों ने डोकलाम प्रकरण पर चीन को पछाड़ लगाई इससे दुनिया की नजरों में यह संदेश गया है कि भारत केवल अपने हित के लिए नहीं बल्कि अपने पड़ोसी देशों के हितों की रक्षा के लिए भी तत्पर रहता है।

ओबीओआर पर चीन को धमकाया
चीन द्वारा PoK से वन रोड वन बेल्ट इनीशिएटिव का भारत ने प्रतिकार किया है और उसकी काट भी खोज ली है। दरअसल वन रोड, वन बेल्ट इनीशिएटिव चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जो चीन को साठ से अधिक देशों से जोड़ेगा। इसी के तहत ये परियोजना चीन को मध्य एशिया के देशों से सीधे सड़क द्वारा जुड़ने के लिए भी एक विकल्प देता है।

दरअसल, वन बेल्ट-वन रोड उस चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कोरिडोर यानि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से गुज़रता है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पड़ता है। भारत इसे अपना हिस्सा मानता है और इस इलाके में आर्थिक गतिविधियों में चीन के शामिल होने पर ऐतराज जताया है। भारत ने इस मसले पर स्पष्ट रुख अख्तियार किया है और कहा है- ”कोई भी देश ऐसे प्रोजेक्ट को स्वीकार नहीं कर सकता जो संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की उसकी चिंताओं को नकारता हो।” मोदी सरकार के इस रुख से चीन परेशान है। दरअसल चीन यह जानता है कि चीन के इस इनीशिएटिव में बिना भारत के शामिल हुए सफल नहीं हो सकती है।

श्रीलंका के हंबनटोटा पर चीन को घेरा
दिसंबर, 2017 में श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह को चीन को 99 साल के पट्टे पर दे दिया है। चीन का दावा है वह इसका व्यावसायिक उपयोग करेगा, लेकिन चीन की नीयत पर संदेह इसलिए है कि साल 2014 में चीन की एक पनडुब्बी कोलंबो के पास हम्बनटोटा बंदरगाह के पास आ गई थी। लेकिन भारत सरकार ने चीन की इस चाल से बिना घबराए चीन को मात देने की तैयारी कर ली है।  इसके तहत वह हम्‍बनटोटा से मात्र 18 किलोमीटर की दूरी पर मथाला एयरपोर्ट का अधिग्रहण करेगा। मतलब साफ है कि बंदरगाह से मात्र 18 किलोमीटर की दूरी पर भारत की मौजूदगी हमेशा रहेगी। ऐसे में वह किसी भी परिस्थिति में चीन की हरकत पर नजर रख सकेगा।

मालदीव में चीन की दखल को नकारा
मालदीव में भारत के प्रति बढ़ते समर्थन को देखते हुए चीन चिढ़ा हुआ है। चीन भारत को धमकी भी देता है कि अगर भारत वहां दखल देगा तो चीन चुप नहीं बैठेगा। लेकिन मोदी सरकार की नीति से घिरा बैठा चीन इस मामले में सिवाय छटपटाने और धमकी देने के कुछ नहीं कर सकता है। दरअसल मालदीव में चीन के प्रति लोगों का गुस्सा भड़क रहा है और भारत के प्रति समर्थन बढ़ रहा है। इतना ही नहीं वहां का सुप्रीम कोर्ट और लोकतांत्रिक ताकतें भी भारत की तरफ उम्मीद लगाए बैठी है।

दलाईलामा को समर्थन देकर समझाया
केंद्र सरकार ने  2 मार्च को यह साफ किया है कि पड़ोसी देश चीन को खुश करने के लिए दलाई लामा को लेकर उसके स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आया है। यह भी कहा कि दलाई लामा देश में कहीं भी धार्मिक आयोजन के लिए स्वतंत्र हैं। जाहिर है यूपीए सरकार के समय तो चीन की एक घुड़की से कांग्रेस सरकार परेशान हो जाती थी। इतना ही नहीं वह चीन के मान-मानऔव्वल में भी विश्वास करते थे। लेकिन अब परिस्थिति बदल गई है। दलाईलामा ने मोदी सरकार के राज में ही अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया जिससे चीन चिढ़ गया, लेकिन भारत सरकार ने अपने स्टैंड में कोई बदलाव नहीं किया।

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