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पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की ताकत को चीन ने किया महसूस

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चीन के प्रति जिस तरह का आक्रामक रुख भारत ने इस बार अख्तियार कर रखा है वैसा पहले कभी नहीं दिखा। चीन ने भूटान की सीमा में पड़ने वाले डोकलाम के हिस्से में सड़क निर्माण शुरू किया था। इससे भारत की संप्रभुता भी खतरे में पड़ सकती थी..इसलिए भारत ने ना सिर्फ चीन की इस हिमाकत का कड़ा विरोध किया..बल्कि चीन के नापाक इरादों पर पानी फेरने के लिए भारतीय सैनिक भी मोर्चे पर जा डटे। अब चीन की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई है। शायद वो ये बात भूल गया कि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उभर रहा ताकतवर भारत है जो किसी भी तरह के दबाव में नहीं आने वाला है।

सीमा पर भारतीय सेना ने डाला डेरा

चीन की चेतावनी को दरकिनार करते हुए भारतीय सेना ने भारत-चीन-भूटान से जुड़े इलाके यानी ट्राईजंक्शन में डेरा डाल दिया है। हमारी सेना ने वहां अपने तंबू तान दिए हैं और अब वो तब तक वहां रुकेगी, जब तक चीनी सेना इस क्षेत्र से रुखसत ना करे। चीन ने भारत से अपनी सेना पीछे हटाने पर ही ताजा विवाद को लेकर चर्चा की शर्त रखी थी। लेकिन, डोकलाम पर भारत के कदम से चीन को कड़ा संदेश मिला है। सूत्रों के मुताबिक, डोकलाम में मौजूद सैनिकों को लगातार रसद और दूसरे जरूरी सामानों की सप्लाई की जा रही है, जो इस बात का संकेत है कि भारतीय सेना चीन के किसी दबाव में नहीं झुकेगी।

जंग से अपने नुकसान को भांप चुका है चीन

सीमा पर मौजूदा गतिरोध को तीन हफ्ते से ज्यादा समय हो चुके हैं। डोकलाम में जिस जगह गतिरोध पैदा हुआ है, वह भारत-चीन सीमा के पास 10,000 फीट की ऊंचाई पर है। यहां दोनों देशों की सेनाएं मोर्चे पर हैं। चीन डोकलाम से डोका ला तक  सड़क बनाना चाहता है और भारतीय सैनिक बीच में अगर नहीं आते तो चीन ये सड़क निर्माण कर भी लेता। डोकलाम में चीनी सैनिकों को सिर्फ भूटान के सैनिकों द्वारा प्रतिक्रिया की उम्मीद रही होगी, जिन पर हावी होने का उन्हें पूरा भरोसा रहा होगा। लेकिन भारत की प्रतिक्रिया के बाद से चीन के कदम जहां थे वहीं अटक गए हैं। बौखलाहट में वो सिर्फ धमकी पर धमकी दिये जा रहा है। चीन की लगातार गीदड़भभकी से पता चलता है कि वो ये मानता है कि भारत के साथ जंग आज उसके पक्ष में नहीं है।

कश्मीर के जिक्र के साथ चीन का नया पैंतरा

वैसे ड्रैगन दबाव बनाने की नई-नई चाल चलने में जरूर लगा है। अब वो ये कह रहा है कि जिस तरह डोकलाम में भारत की सेना है उसी तरह कश्मीर में भी किसी तीसरे देश की सेना तैनात हो सकती है। उसने भड़काऊ बयान देते हुए कहा है कि पाकिस्तान के आग्रह पर कश्मीर में तीसरे देश की सेना उसी तरह घुस सकती है..जिस तरह से डोकलाम में भारतीय सेना घुसी है। चीन का ये पैंतरा सामने आया है उसके सरकारी समाचार पत्र में छपे एक आलेख के जरिए। ये पहला मौका है जब चीनी मीडिया में कश्मीर को लेकर ऐसी बात कही गई है। भारत-चीन मामलों पर करीब से नजर रखने वाले भारतीय जानकारों का मानना है कि चीन के ऐसे हर इरादे पर पानी फिरेगा क्योंकि मौजूदा दौर में चीन भी जानता है कि ऐसी कोई भी जुर्रत उस पर भारी पड़ेगी।

मालाबार युद्धाभ्यास से डरा चीन

चीन लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि मौजूदा विवाद उसके और भूटान के बीच का है जिसे दोनों देश मिलकर सुलझा लेंगे। वो कहता आ रहा है कि भारत को भूटान की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए लेकिन इतिहास हमें आगाह करता है कि चीन का ये बयान एक खतरनाक दांव से ज्यादा कुछ नहीं। वैसे चीन के माथे पर आज इसलिए भी बल पड़ा है क्योंकि हिंद महासागर में भारत-जापान-अमेरिका युद्धाभ्यास शुरू हो गया है। मालाबार अभ्यास के नाम से हो रहा ये ऑपरेशन पूरी दुनिया में सबसे बड़ा नौसैनिक युद्धाभ्यास होता है। चेन्नई के तट के पास शुरू हुए इस युद्धाभ्यास में तीनों देशों के जंगी बेड़े और लड़ाकू विमान शामिल हैं। वैसे तो ये अभ्यास हर साल होता है लेकिन इस बार सिक्किम से लगी सीमा पर नया तनाव पैदा करने वाले चीन को ये सख्त संदेश दे रहा है। चीन हिंद महासागर में हमेशा अपना दबदबा बनाने की कोशिश करता रहा है और पड़ोसी देशों के साथ उसके जमीनी और समुद्री सीमाओं के विवाद होते रहते हैं, इसलिए इस अभ्यास को लेकर चीन के अंदर एक डर भी घुस चुका है।

संवेदनशील स्थिति में जिम्मेदारी दिखाए विपक्ष

पीएम मोदी की अगुआई में भारत के रुख से चीन को अपने चकनाचूर होने की भयावह तस्वीरों को आभास होने लगा है। पहली बार चीन भारत के सामने खुद को पस्त पा रहा है लेकिन लगता है मोदी सरकार के विरोधियों को शायद चीन की इस हालत से सहानुभूति है। ये बात तब जेहन में घूमने लगती है जब सीमा पर बनी इस संवेदनशील स्थिति के बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी चीनी राजदूत से मिलते हैं। क्या ऐसे कदम से चीन पर भारतीय आक्रामकता में खलल नहीं पैदा होगी? कांग्रेस ने ऐसी मुलाकात की खबर को फर्जी बताया था लेकिन चीनी दूतावास के WeChat अकाउंट ने 8 जुलाई को राहुल की बैठक की पुष्टि की है। अब ये बताना राहुल की जिम्मेदारी है कि अपनी इस मुलाकात में उन्होंने क्या-क्या बात की?

पीएम मोदी के नेतृत्व में भयरहित है भारत

बहरहाल चीन भारी दबाव में है। चीन जिस तरह से बयानबाजी और आलेखों की रणनीति में लगा है उससे ये साफ हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की ताकत को चीन ने महसूस कर लिया है। भारत ने चीन से दो टूक कहा है कि डोकलाम के विवादित क्षेत्र से पहले चीन की सीमा हटेगी। चीन को भारत से ऐसे प्रतिरोध की उम्मीद ही नहीं रही होगी। चीन आगे तो बढ़ गया लेकिन अगले कदम का रास्ता उसे अब नहीं सूझ नहीं रहा।

 

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