क्या एक बार फिर जेल जाएंगे लालू यादव? क्या इस बार तेजस्वी यादव भी उनके साथ होंगे? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि पिता-पुत्र दोनों ही सीबीआई की नोटिस की अनदेखी कर रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि सीबीआई के नोटिस की अधिक अनदेखी करना इन्हें महंगा पड़ सकता है।
जारी हो सकता है गिरफ्तारी वारंट
रेलवे टेंडर घोटाले में आरोपी लालू यादव और तेजस्वी यादव को सीबीआई अब तक तीन बार नोटिस भेज चुकी है। लेकिन पिता-पुत्र ने दोनों ही बार बहाने बनाकर सीबीआई से अतिरिक्त समय मांग लिया। अब तीसरी बार सीबीआई ने 3 और 4 अक्टूबर को दोनों को पेश होने के लिए कहा था। लेकिन इस बार भी उन्होंने असमर्थता जताई है। अब नई तारीख 5 और 6 अक्टूबर को दी गई है। ऐसा माना जा रहा है कि अगर इस तारीख को भी पेश नहीं हुए तो इन दोनों के विरूद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी हो सकता है।
Railway hotel tender case: After their inability to come to CBI HQ, CBI summons Lalu Yadav on Oct 5 and Tejashvi Yadav on Oct 6.
— ANI (@ANI) October 3, 2017
जिम्मेदार पदों पर रहे, लेकिन जिम्मेदारी का अहसास नहीं
दरअसल हर नागरिक का यह कर्तव्य बनता है कि वे जांच एजेंसियों के साथ पूरी तरह से सहयोग करे। लेकिन, जो शख्स खुद शक के दायरे में होता है और उसे जब बुलाया जाता है तो उसके लिए जांच एजेंसियों के सामने हाजिर होना और भी आवश्यक हो जाता है। लालू यादव बिहार के सीएम रह चुके हैं, केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। उनके पुत्र तेजस्वी यादव भी बिहार के डिप्टी सीएम रह चुके हैं। लेकिन लगता है कि उन्हें न तो पद की गरिमा का ख्याल है और न ही नागरिक कर्तव्यों का।
नोटिस पर तीन बार मांग चुके हैं मोहलत
सीबीआई ने लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को रेलवे टेंडर स्कैम में पहली बार 11 और 12 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया था। तब पटना में 27 अगस्त को राजद की रैली कहकर मोहलत मांगी थी। दूसरी नोटिस के जरिये 25 और 26 सितंबर को दोनों को पेश होने को कहा था। फिर दोनों ने पूछताछ में शामिल न होकर अपने वकील के मार्फत एजेंसी को सूचित किया कि वे अपनी व्यस्तता के कारण 25 और 26 सितंबर को भी उपस्थित होने में असमर्थ हैं। फिर 3 और 4 अक्टूबर को पेश होने को कहा गया लेकिन इस तारीख को भी असमर्थता जता दी।
सबूतों को नष्ट करने का लग सकता है आरोप
सीबीआई ने रेलवे टेंडर घोटाला मामले में अभियुक्त बनाए गए राजद सांसद प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता, रांची और पुरी के होटलों को लीज पर लेने वाले विनय कोचर और विजय कोचर के साथ आइआरसीटीसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक पीके गोयल से पहले ही पूछताछ की है। अब बारी लालू और तेजस्वी की है। लेकिन ऐसा लगता है कि वे पूछताछ से बचना चाह रहे हैं। ऐसे में आइआरसीटीसी के होटलों को लीज पर दिए जाने में हुए भ्रष्टाचार की जांच में सहयोग न करने तथा सुबूतों को नष्ट करने की शिकायत सीबीआई दर्ज करा सकती है।