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खुलासा: कांग्रेस ने कैंब्रिज एनालिटिका से मिल कर रची जातिगत विद्वेष फैलाने की साजिश!

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डेटा लीक के मामले में बुरी तरह फंसी हुई कांग्रेस के बारे में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। कैंब्रिज एनालिटिका मामले के व्हिसल ब्लोअर क्रिस्टोफर विली के एक ट्वीट से स्पष्ट होता है कि बीते कई वर्षों से कांग्रेस ने देश में जातिगत विद्वेष फैलाने के लिए कैंब्रिज एनालिटिका के डेटा की सहायता ली थी।

क्रिस्टोफर विली ने ट्वीट किया कि 2010 बिहार चुनाव और 2012 यूपी चुनाव में उसने राजनीतिक पार्टियों के कहने पर जाति के आधार पर सर्वे किया। इस सर्वे के आधार पर पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति तैयार की गई।


क्रिस्टोफर विली ने ट्वीट में लिखा, “कई भारतीय पत्रकारों ने मुझसे भारतीय चुनावों में CA/SCL की भूमिका को लेकर जानकारी मांगी है। मैं भारत के कुछ प्रोजेक्ट्स की जानकारी शेयर कर रहा हूं। इसके साथ ही मैं यहां सबसे ज्यादा पूछे गए सवाल का जवाब देना चाहूंगा- हां SCL/CA भारत में भी काम करता है और इसके वहां कई ऑफिस हैं।”

इससे पहले क्रिस्टोफर विली ने 27 मार्च को को ब्रिटिश संसद में कहा था, ”कंपनी भारत में बड़े पैमाने पर काम करती थी और शायद इसकी क्लाइंट कांग्रेस पार्टी भी थी और कंपनी का भारत में दफ्तर भी था।”

28 मार्च को क्रिस्टोफर विली ने भारत का एक नक्शा शेयर करते हुए बताया है कि यहां गाजियाबाद के इंदिरापुरम में एससीएल/कैम्ब्रिज एनालिटिका का हेड ऑफिस है। वहीं 10 शहरों अहमदाबाद, बैंगलोर, पुणे, कटक, गाजियाबाद, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोलकाता और पटना में इसके क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।

दरअसल क्रिस्टोफर विली ने 27 मार्च को ब्रिटिश संसद में दिए अपने बयान में दावा करते हुए कहा, ”मैं मानता हूं कि कांग्रेस कंपनी की क्लाइंट थी, लेकिन मुझे पता है कि वे सभी प्रकार के प्रोजेक्ट लेते थे। मुझे कोई नेशनल प्रोजेक्ट याद नहीं है, लेकिन मुझे क्षेत्रीय प्रोजेक्ट याद हैं। भारत इतना बड़ा देश है कि वहां का एक राज्य भी ब्रिटेन से बड़ा है।”

बहरहाल इस मामले का जैसे-जैसे खुलासा होता जा रहा है कांग्रेस पार्टी बुरी तरह फंसती हुई दिख रही है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने वर्ष 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में जातिगत विद्वेष फैलाकर जीतने की योजना इसी कैंब्रिज एनालिटिका के डेटा विश्लेषण के आधार पर तैयार किया था।

दरअसल SCL इंडिया की सेवा के जरिए उसके क्लाइंट अपने टारगेट ग्रुप का चुनाव करते थे और अपने मतलब की बातों के जरिए वे मनचाहा परिणाम हासिल करते थे। कंपनी अपने क्लाइंट को रिसर्च के जरिए सही कम्यूनिकेशन चैनल का इस्तेमाल कर मजबूत डेटा मुहैया कराती थी।

जाहिर है यह मामला बहुत बड़ा है और कांग्रेस ने देश की जानकारी विदेशी कंपनी को बेच दी है। गौरतलब है कि SCL इंडिया ने भारत में बड़े पैमाने पर जाति गणना समेत चुनावी विश्लेषण का काम किया है। ये काम उसे देश के कई राजनीतिक दलों द्वारा दिए गए थे। ट्वीट में 2010 के बिहार चुनाव में एक पार्टी द्वारा इस कंपनी के इस्तेमाल की बात साफ तौर पर कही गई है। बता दें कि विली ने 27 मार्च को ब्रिटिश संसद में दिए अपने बयान में दावा किया था कि कैंब्रिज एनालिटिका का भारत में भी ऑफिस था और इसने यहां काफी काम किया था।

ट्वीट के साथ क्रिस्टोफर विली ने जो तीन ग्राफिक तस्वीरें भी शेयर की हैं, इनमें से एक तस्वीर में साल 2003 से 2012 तक भारत के अलग-अलग राज्यों में हुए चुनावों का जिक्र है। इसमें लिखा है कि 2011-2012 में एक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के लिए एससीएल ने उत्तर प्रदेश में जातिगत जनगणना की। इस दौरान घर-घर जाकर जाति के आधार पर वोटरों की पहचान की। इस रिसर्च में प्रदेश की जातिगत संरचना की स्टडी की गई। इसके जरिए पार्टी के समर्पित वोटरों और अपना वोट बदलने वाले वोटरों की पहचान की गई।

बहरहाल क्रिस्टोफर विली के खुलासे से साफ है कि कांग्रेस सत्ता पाने के लिए इस कदर बेचैन है कि उसने आम लोगों का निजी डेटा लीक कर देश का ‘चैन’ बेच दिया है। 

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