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प्रधानमंत्री मोदी के बजट से राहुल गांधी हुए परेशान

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक नए संकल्प के साथ नया बजट पेश किया। संकल्प है कि देश में सभी वर्गों को विकास का फायदा मिले और अर्थव्यवस्था का हर क्षेत्र तेजी से रोजगार सृजन करे। बजट ने किसानों से लेकर सैनिकों तक, मध्यम वर्ग से मध्यम व छोटे उद्यमियों तक, बड़े उद्यमियों से लेकर मजदूरों तक सभी को विकास का लाभांश दिया है। लेकिन 2019 के बजट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी परेशान हैं क्योंकि उनको प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करने का मौका ही नहीं मिल रहा है। संसद में बजट जब पेश हो रहा था तो राहुल गांधी के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं। वह अपने गालों पर हाथ रखकर चिंता में डूबे हुए थे कि चुनावी राजनीति में अब उनके पास चलाने के लिए कोई तीर बचा ही नहीं है।

लोकप्रिय बजट देख राहुल मूर्च्छित!
ऐसा पहली बार हुआ है, जब प्रमुख विपक्षी दल के अध्यक्ष ने बजट पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बजट को लोगों ने ऐसे हाथों-हाथ लिया कि राफेल डील को लेकर झूठ पर झूठ बोलने वाले राहुल गांधी को कुछ सूझा ही नहीं कि वे क्या कहें, क्या ना कहें। कांग्रेस अध्यक्ष पिछले कुछ महीनों से प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाकर भाग जाते थे, लेकिन बजट के दिन कोई भी आरोप लगाने की मनःस्थिति में नहीं थे। बजट के जरिए राहुल गांधी के आरोपों का जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी ने जवाब देकर राजनीतिक सर्जिकल स्ट्राइक की है, वह उनको किंकर्तव्यविमूढ़ कर देने वाली है।

किसानों के खाते में छः हजार रुपये
राहुल गांधी पिछले कई विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाते रहे कि प्रधानमंत्री मोदी को किसानों की दिक्कतों का कोई अहसास नहीं है। अपने किसान प्रेम को दिखाने के लिए उन्होंने प्रचार के दौरान किसानों के ऋण माफ करने का वादा कर दिया। ऋण माफी का आसान तरीका उनकी सतही राजनीति के लिए उपयुक्त था। जिन राज्यों में कांग्रेस एक महीने के अंदर ऋण माफी के वादे के साथ सत्ता में आयी थी, वहां आज तक ऋण माफी पर कोई काम ही नहीं हो सका है। किसानों को अभी तक कोई फायदा नहीं मिला है। सभी किसान आस लगाये बैठे हैं।

भोले-भाले किसान, कांग्रेसी छल से सावधान!
प्रधानमंत्री मोदी का हमेशा से मानना रहा है कि ऋण माफी देश और किसान, दोनों की ही सेहत के लिए ठीक नहीं है। इससे दोनों को ही भविष्य में परेशानी होगी इसलिए वह राहुल गांधी के इस राजनीतिक छल से भोले-भाले किसानों को सावधान करते रहे। प्रधानमंत्री मोदी को किसानों की चिंता थी इसलिए उन्होंने बजट के जरिए किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए सबसे उपयुक्त मार्ग चुना। दो एकड़ के खेत पर खेती करने वाले 12 करोड़ किसानों को छः हजार रुपये सालाना देने का प्रावधान कर दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक तीर से दो शिकार कर दिए। पहला तो ये कि किसानों को सीधे आर्थिक सहायता पहुंचा दी। दूसरा, राहुल गांधी की हवा-हवाई किसान ऋण माफी योजना को ध्वस्त कर दिया।

गरीब मजदूरों को 3000 रुपये मासिक पेंशन
प्रधानमंत्री मोदी ने बजट से राहुल गांधी के मिनिमम बेसिक इनकम के हवा- हवाई वादे को भी पंचर कर दिया। राहुल गांधी ने हाल ही में रायपुर में कहा कि वह गरीबों को मिनिमम बेसिक इनकम देंगे, जिससे देश का कोई गरीब भूखा नहीं रहेगा। लेकिन वह यह नहीं बता सके कि गरीबों को मासिक आय देने के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपये लाएंगे कहां से। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने बजट में गरीब मजदूरों को तीन हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन देने की घोषणा करके दिखाया। इससे पहले गरीबों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए उनकी सरकार आयुष्मान भारत के तहत उन्हें 5 लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त में कराने की सुविधा दे चुकी है। अब तक सात लाख से अधिक लोग इस योजना का लाभ उठाते हुए गंभीर बीमारियों का इलाज करवा चुके हैं। इस योजना से देश के 10 करोड़ परिवारों को सीधा फायदा होने वाला है।

देश के 50 करोड़ गरीब और 12 करोड़ छोटे किसानों को लाभ देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से योजनाएं लागू की हैं और उन पर काम किया है, उससे राहुल गांधी के चेहरे पर हवाइयां उड़ना स्वाभाविक ही है।

युवाओं के लिए रोजगार के करोड़ों अवसर
राहुल गांधी कांग्रेस की डूबती नाव को बचाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी पर गरीबों, किसानों और बेरोजगारों के लिए कुछ नहीं करने का आरोप लगाते  रहे हैं। लेकिन सच ये है कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के साथ ही गरीबों, युवाओं व किसानों को भी हर तरह से सशक्त बनाने का काम किया है। उन्होंने मुद्रा और स्टार्ट अप योजना के तहत मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए 59 मिनट में 1करोड़ रु तक का लोन बैंकों से मिलना सुनिश्चित कर दिया। कंपनियों को रजिस्टर करने के लिए सारे अनावश्यक कागजों और दस्तावेजों को खत्म करते हुए मोबाइल के जरिए कंपनी को रजिस्टर करना सुलभ कर दिया। इतना ही नहीं, छोटे उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा इनके उत्पादों की खरीदारी को भी अनिवार्य बनाया।

मुद्रा में ही अब तक करीब 13 करोड़ लोगों को ऋण मिला है जिनमें 7.5 करोड़ महिलाओं ने अपने रोजगार के लिए ऋण लिए हैं। जाहिर है, ऐसे कदमों ने मोदी सरकार पर दो करोड़ रोजगार न दे पाने के राहुल गांधी के आरोपों की हवा निकालकर रख दी है।

GST से भी राहुल गांधी की बोलती बंद
आजादी के बाद, इनडायरेक्ट टैक्स व्यवस्था में परिवर्तन करने का काम जो कांग्रेस 56 सालों में भी नहीं कर सकी उसे प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के तीसरे साल में लागू करके, सफल भी बना दिया। 1 जुलाई,  2017 को लागू हुए इस ऐतिहासिक कदम का माखौल उड़ाते हुए राहुल गांधी ने इसे गब्बर सिंह टैक्स का नाम दे दिया औऱ आरोप लगाते रहे कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक टैक्स की जगह चार टैक्स लगा दिए हैं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दो सालों में जीएसटी में लोगों के सुझावों के आधार पर बदलाव किया और इसे सरल बनाते गये क्योंकि उनकी मंशा थी कि जीएसटी सफल हो और देश में व्यापार करना भी सरल बने। इस तरह से काम करने का परिणाम यह आया कि 2019 के बजट में हर माह मिलने वाला जीएसटी एक लाख करोड़ के ऊपर पहुंच गया है।

जीएसटी में आने वाले धन से स्पष्ट है कि लोगों को जीएसटी से कोई दिकक्त नहीं हो रही है और व्यापार करना आसान और पारदर्शी हो गया है। जीएसटी की सफलता ने राहुल गांधी के तमाम झूठों पर से भी परदा उठाकर जनता के सामने तस्वीर साफ कर दी है।

इसमें कोई शक नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी के 2019 का बजट ऐतिहासिक है। इस बजट ने देश के गरीबों, किसानों और बेरोजगारों की समस्या पर ही सर्जिकल स्ट्राइक नहीं की है बल्कि कांग्रेस के छलावे की राजनीति का खात्मा कर दिया है, इसलिए राहुल गांधी के चेहरे पर संसद में हवाइयां उड़ रही थीं। इस लोकप्रिय बजट ने उनके माथे में ऐसी खलबली मचा दी कि  बाद में अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी वे बजट की बात न कर ईवीएम के मुद्दे पर घिसी-पिटी बात करते रहे।

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