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अपने पहले दिन से कालेधन पर लगातार प्रहार करती आ रही है मोदी सरकार, देखिए कार्रवाई के 10 रंग

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर थामने के साथ ही काले धन पर जोरदार प्रहार के अपने संकल्प को जता दिया था। पिछले चार वर्षों में उनके नेतृत्व में मौजूदा सरकार ने ऐसी कई कार्रवाई को अंजाम देकर दिखाया है जिसने काले धन की काली व्यवस्था में खलबली मचा रखी है। एक नजर सरकार की ऐसी 10 कार्रवाई पर:

1.अघोषित संपत्ति पर सर्च अभियान – सरकार का ये कदम काले धन पर बड़ी चोट करने वाला रहा है। आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 2017-18 तक 2,726 कंपनियों पर सर्च अभियान चलाकर 3,900 करोड़ रु की अघोषित संपत्ति जब्त की। वित्त वर्ष 2010-11 से लेकर 2013-14 की तुलना में पिछले चार वर्षों में जहां सर्च की कार्रवाई में 25% की तेजी दिखी, वहीं जब्त हुई संपत्ति में 28% की बढ़ोतरी दर्ज हुई। इतना ही नहीं मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 में सितंबर तक सर्च की कुल 341 कार्रवाई की गई और 680 करोड़ रुपये की संपत्ति सीज की गई।

2. अघोषित आय पर सर्वे की कार्रवाई दोगुनी रफ्तार से – वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 2017-18 तक अघोषित आय से जुड़े 35,530 मामलों का सर्वे किया गया जिससे 45,848 करोड़ रु की अज्ञात आय का पता चला। वित्त वर्ष 2010-11 से लेकर 2013-14 के मुकाबले सर्वे की कार्रवाई में पिछले चार वित्त वर्षों में 100% की बढ़ोतरी हुई है। इतना ही नहीं मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 के सितंबर तक 2,093 सर्वे किए जा चुके हैं जिसमें 1,623 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला है।

3. इनकम डिक्लेरेशन स्कीम से आए हजारों करोड़ – 1 जून 2016 से 30 सितंबर 2016 तक Income Declaration Scheme (IDS)के तहत करीब 71,726 डिक्लेरेशन हुए और 67,382 करोड़ रु सरकार के खाते में आए। 2016 के बजट में घोषित हुई इस स्कीम में सरकार ने 45 प्रतिशत टैक्स, सरचार्ज और पेनल्टी  के साथ अघोषित आय की घोषणा करने की छूट दी थी।

4. अघोषित नकदी पर सख्ती – 31 मार्च 2017 तक के लिए खोली गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) के तहत 21,000 लोगों ने 4,900 करोड़ रु की अघोषित नकदी की घोषणा की। इसमें 2,451 करोड़ रु टैक्स के रूप में संग्रह किए गए। PMGKY में लोगों को 50% टैक्स, सरचार्ज और पेनल्टी देकर अघोषित नकदी की घोषणा करने की छूट दी गई थी। बाकी कैश की 25% राशि बैंकों में 4 साल तक बिना ब्याज के जमा रखने को अनिवार्य बनाया गया था।

5. बेनामी संपत्ति की कुर्की – बेनामी संपत्ति लेनदेन के निषेध से जुड़े कानून के तहत सितंबर 2018 तक ऐसे 1700 से अधिक मामलों में संपत्तियों का provisional attachment किया गया। इनमें जमीन, फ्लैट, दुकान, ज्वेलरी, लग्जरी गाड़ियां, बैंक खातों में जमा से लेकर फिक्स्ड डिपॉजिट तक शामिल हैं। अटैच की गई संपत्ति 5,000 करोड़ रु से ज्यादा की है, जिसमें 3800 करोड़ से अधिक की अचल संपत्ति है। 

6. विदेशी बैंकों में अघोषित जमा पर चोट – भारत और फ्रांस के बीच Double Taxation Avoidance Convention (DTAC) के तहत स्विटजरलैंड के HSBC बैंक में कुछ खास भारतीय लोगों के एकाउंट को लेकर जानकारियां हासिल की गईं। उसकी पड़ताल के आधार पर 8,448 करोड़ रुपये की अघोषित रकम को टैक्स के दायरे में लाया गया, जिसमें से 5,447 करोड़ रु का टैक्स बनता है।

7. कोर्ट में अघोषित विदेशी खातों के मामले – International Consortium of Investigative Journalists (ICIJ) द्वारा जिन मामलों का खुलासा किया गया, उनकी गहन पड़ताल से अघोषित विदेशी खातों में 11,010 करोड़ रु से अधिक की जमा राशि का पता चला। क्रिमिनल कोर्ट में ऐसे 34 मामलों में 75 शिकायतें दर्ज करवाई जा चुकी हैं।

8. पनामा पेपर्स लीक्स में सर्च और सीजर – इस केस से जुड़े 55 मामलों में अब तक तलाशी और जब्ती दोनों ही कार्रवाई की जा चुकी है और 12 में सर्वे की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। इनमें से 19 मामलों में आपराधिक मुकदमा चलाने की अर्जी दी जा चुकी है, जबकि 45 मामलों में ब्लैक मनी ऐक्ट के सेक्शन 10 के तहत नोटिस जारी किया गया है। अब तक की कार्रवाई में करीब 1,542 करोड़ रु के अघोषित विदेशी निवेश का पता चला है।

9. पैराडाइज पेपर्स मामले में भी त्वरित कार्रवाई – International Consortium of Investigative Journalists (ICIJ) ने 17 नवंबर 2017 को अपनी वेबसाइट पर Paradise Papers database जारी किया था। इसकी गहन पड़ताल के आधार पर अब तक 17 मामलों में सर्च और सीजर की कार्रवाई की जा चुकी है। ब्लैक मनी ऐक्ट, 2015 के तहत 27 मामलों में नोटिस भी जारी किया चुका है। अब तक करीब 15 करोड़ की अघोषित जमा का पता चला है।

10. विदेशों में अघोषित संपत्ति पर शिकंजा – 1 जुलाई 2015 से सरकार ने काले धन पर पहले से कहीं अधिक सख्त कानून को लागू किया – Black Money (Undisclosed Foreign Income and Assets) and Imposition of Tax Act, 2015. सरकार ने नए कानून की सख्ती से दूर रहने के लिए लोगों को विदेशों में अघोषित संपत्ति की घोषणा करने के लिए तीन महीने का समय दिया था। 30 सितंबर 2015 तक 4,164 करोड़ रु के करीब 648 डिक्लेरेशन दर्ज हुए, जिनमें 2,476 करोड़ रु टैक्स और पेनल्टी के रूप में संग्रह किए गए।

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