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Modi Vision: गुजरात और यूपी की तर्ज पर दो नवाचारों को लागू करेगी भजनलाल सरकार, समीक्षा के बाद गहलोत सरकार के फैसलों में भी होगा बदलाव

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर सत्ता में थे तो उनका विजन था कि जहां भी कुछ अच्छा हो रहा हो, जिसका फायदा जनता को और सरकार चलाने में हो, उसका एम्प्लीमेंटेशन जल्द से जल्द राज्य में किया जाए। पीएम मोदी के इसी विजन पर चलते हुए राज्य की भजनलाल सरकार दो डबल इंजन सरकारों के जन कल्याणकारी कामों को प्रदेश में लागू करने का मन बना रही है। इसमें एक है उत्तर प्रदेश की वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट योजना। मूल रूप से केंद्र की इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक उद्योगों को प्रोत्साहन और रोजगार की उपलब्धता बढ़ाना है। दूसरा फैसला गुजरात सरकार की तर्ज पर डिस्टर्ब एरिया जोन पॉलिसी लागू करना है। ताकि दो अलग-अलग धर्म-मजहब के लोग जब किसी सम्पत्ति को खरीदते-बेचते हैं, तो उसके लिए जिला कलेक्टर की इजाजत लेनी अनिवार्य हो सके। इसके अलावा वर्तमान भाजपा सरकार, पिछली गहलोत सरकार की योजनाओं की समीक्षा भी कर रही है, गहलोत की कुछ योजनाओं और कार्यों में फेरबदल के लिए सरकार कदम आगे बढ़ा सकती है।यूपी की तर्ज पर सभी जिलों में वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट योजना लागू होगी
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने पीएम मोदी के विजन वाली वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट योजना को बखूबी लागू किया है। डबल इंजन सरकार ने सभी जिलों का एक पहचान चिह्न बनाते हुए किसी न किसी उत्पाद को जिला उत्पाद (डिस्ट्रिक्ट प्रोडक्ट) घोषित किया हुआ है। उसके उत्पादन के संबंध में बहुत सी प्रशासनिक व करों संबंधी छूट भी दी हुई है। इससे रोजगार, कृषि, उद्योग और पर्यटन में खासी बढ़ोतरी हुई है। अगले माह पेश होने वाले बजट में इस योजना को लागू करने की घोषणा भजनलाल सरकार कर सकती है। इससे मिसाल के तौर पर अलवर के प्याज, मजमेर के गुलाब, जयपुर में हस्तशिल्प, बीकानेर में भुजिया, नागौर में मेथी, भरतपुर में सरसों, बारां में लहसुन, बाड़मेर में अनार, बूंदी में मुरमुरे, चित्तौड़गढ़ में गुड़, चूरू में मूंगफली और जालौर में इसबगोल आदि शामिल किये जा सकते हैं। इससे राजस्थान में हर जिले का एक खास उत्पाद तय कर उसे सरकारी स्तर पर नई पहचान दी जाएगी। उस प्रोडक्ट का उत्पादन बढ़ाने पर विशेष काम हो सकेगा।

दो-दो नगर निगम हटाकर अन्य शहरों में निगम बढ़ाने की कवायद
विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद ही लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग जाने के कारण राज्य की भाजपा सरकार की योजनाओं को ब्रेक लग गया था। अब नरेन्द्र मोदी के लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने और आचार संहिता हट जाने से भजनलाल सरकार एक्शन मोड में आ गई है। पिछली सरकार की योजनाओं और कार्यों की समीक्षा बड़े स्तर पर की जा रही है। खासकर गहलोत सरकार के अंतिम साल में चुनावी लाभ के कारण लिए गए लोकलुभावन फैसलों पर फोकस किया जा रहा है। कांग्रेस सरकार ने जयपुर, जोधपुर व कोटा में स्थापित नगर निगमों को बांटकर दो-दो कर दिया था। इससे न सिर्फ जनता को अपने काम कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा, बल्कि सरकार का खर्च भी बढ़ा। अब प्रदेश की बीजेपी सरकार फिर से इन तीनों शहरों के नगर निगमों को एक-एक करने का फैसला किया है। इसके साथ ही भीलवाड़ा, अलवर, पाली, बांसवाड़ा, सीकर, नागौर और श्रीगंगानगर में से तीन-चार शहरों में नगर निगम स्थापित करने की तैयारी भी सरकार कर रही है। इसके लिए स्वायत्त शासन विभाग के स्तर पर आबादी के आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। निगम बनाने के लिए 5 लाख की आबादी शहरी क्षेत्र में चाहिए, हालांकि राज्य सरकार चाहे तो वो विशेष परिस्थितियों में छूट भी दे सकती है।महिलाओं के लिए आरक्षण का दायरा सभी नौकरियों में बढ़ाने की तैयारी
राजस्थान सरकार ने तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में महिलाओं के लिए तय आरक्षण 30 प्रतिशत को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की घोषणा की है। यह प्रयोगात्मक आधार पर किया जा रहा है। सरकार महिलाओं के आरक्षण को लेकर विधिक परीक्षण करवा रही है। जल्द ही सभी तरह की सरकारी नौकरियों में तय आरक्षण की सीमा महिलाओं के लिए बढ़ाई जा सकती है। इसकी शुरुआत पुलिस भर्तियों में महिला आरक्षण की सीमा 30 से बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दी गई है। आरक्षण सीमा बढ़ाने पर गुरुवार को महिलाओं ने सीएम का आभार जताया। उन्होंने युवाओं का आश्वस्त किया कि वे पूरी तरह से निश्चिंत होकर परीक्षा की तैयारी में जुट जाएं। सरकार जल्द ही बहुत सारी वैकेंसी लाने वाली है। बताते हैं कि अगली कड़ी में शिक्षा विभाग के विभिन्न पदों (द्वितीय श्रेणी अध्यापक व व्याख्याता आदि) से की जाएगी।गुजरात की तर्ज पर संपत्ति खरीदने-बेचने के लिए डिस्टर्ब एरिया जोन पॉलिसी
भाजपा ने वर्ष 2018 और 2023 के विधानसभा चुनावों में राजधानी जयपुर इस बात को लगातार मुद्दा बनाया था कि परकोटे में स्थित तीन विधानसभा क्षेत्रों हवामहल, आदर्शनगर और किशनपोल में हिंदुओं की संपत्तियों को दबाव बनाकर खरीदा-बेचा जा रहा है। कई बार परकोटे में हिंदुओं की संपत्ति को खरीदने-बेचने के लिए दबाव बनाने के पोस्टर-बैनर भी लगे। बीते सप्ताह भी जयपुर की भट्टा बस्ती इलाके में इस तरह के पोस्टर-बैनर नजर आए थे। हवामहल और किशनपोल विधानसभा क्षेत्र पिछले 11 में से 8 बार भाजपा ने जीते हैं, लेकिन अब दो बार से लगातार वो वहां से हार रही है। पार्टी की राजनीतिक समीक्षा में क्षेत्र में लगातार घटते हिन्दुओं की संख्या को चिंताजनक माना गया है। ऐसे में अब भाजपा सरकार इन विधानसभा क्षेत्रों सहित प्रदेश में मालपुरा, मकराना, तिजारा, कामां, मसूदा, पुष्कर, पोकरण, जैसलमेर, नागौर, अजमेर आदि क्षेत्रों में डिस्टर्ब एरिया जोन पॉलिसी लागू कर सकती है। यह पॉलिसी गुजरात में लागू है। इसके तहत ऐसे इलाकों में दो अलग-अलग धर्म-मजहब के लोग जब किसी सम्पत्ति को खरीदते-बेचते हैं, तो उसके लिए जिला कलेक्टर की इजाजत लेनी पड़ती है। साथ ही आस-पड़ोस में रहने वालों से भी नो-ऑब्जेक्शन (अनापत्ति) प्रमाण पत्र लेना पड़ता है। यह पॉलिसी अब यहां राजस्थान में भी लागू हो सकती है।

गहलोत ने बिना मानदंड के बनाए जिले, सरकार समीक्षा के बाद बदलाव करेगी
अभी प्रदेश में 50 जिले हैं। गहलोत सरकार ने अपने अंतिम साल में बिना किसी मानदंड के, सिर्फ चुनाव में दिखाने भर के लिए कई नए जिलों की घोषणा कर दी थी। कुछ जिले तो सिर्फ कांग्रेस विधायकों और मंत्रियों की जिद पूरी करने के लिए बनाए गए। गहलोत सरकार में बनाए गए नए जिलों की समीक्षा के राज्य सरकार ने आदेश दिए हैं। कुछ समय पहले राज्य सरकार को भेजी एक समीक्षा रिपोर्ट में पुलिस विभाग ने दूदू और खैरथल-तिजारा से जिले का दर्जा हटाने की मांग की थी। क्योंकि इन दोनों जिलों का कार्यक्षेत्र बहुत छोटा है। यह केवल दो-तीन पुलिस थाना क्षेत्रों तक सीमित है। यहां एक वृत्ताधिकारी (सीओ-डिप्टी एसपी) का पद ही पर्याप्त है। एएसपी और एसपी का कार्यक्षेत्र बनता ही नहीं है। इसे देखते हुए भजनलाल सरकार इसमें से 10 जिले कम कर सकती है। सरकार जिलों की संख्या 35-40 के बीच ही रखना चाहती है। ऐसे में किन्हीं 10 जिला मुख्यालयों को फिर से उपखंड मुख्यालयों में बदला जाएगा। भाजपा सरकार ने हाल ही में 5 मंत्रियों की एक कैबिनेट सब कमेटी बनाकर जिलों के स्टेटस पर रिपोर्ट भी मांगी है।

सरकार रिव्यू के बाद इन जिलों से जिलों का दर्जा वापस ले सकती है
नए जिलों के रिव्यू के पीछे एक कारण यह भी माना जा रहा है कि कांग्रेस सरकार ने जो नए जिले बनाए थे, उनमें से कई क्षेत्रों में तो कभी जनता के स्तर पर जिला बनाने की मांग तक नहीं की गई थी। नए जिलों के गठन के लिए रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में जो कमेटी बनाई थी, उस कमेटी ने कभी भी जिला बनाने का आधार-मापदंड तक सार्वजनिक नहीं किए थे। भाजपा सरकार जल्द ही जिला बनाने के संबंध में मापदंडों को सार्वजनिक करेगी। राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार 10-12 नए जिलों का सीमांकन व आबादी जिला बनाने के पैमाने पर फिट नहीं बैठ रही। ये नए जिले हैं… दूदू (जयपुर), खैरथल-तिजारा (अलवर), शाहपुरा (भीलवाड़ा), सांचौर (जालोर), डीग (भरतपुर), गंगापुर सिटी (सवाईमाधोपुर), कोटपूतली-बहरोड़ (जयपुर), सलूम्बर (उदयपुर), नीमकाथाना (सीकर), केकड़ी (अजमेर), अनूपगढ़ (बीकानेर) और फलोदी (जोधपुर) आदि जिलों से जिलों का दर्जा वापस लिया जा सकता है।

 

 

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