सत्ता की लालच में लालू यादव और उनका परिवार बेशर्म हो चुका है। उनपर जनता की कमाई को लूटकर हजारों करोड़ की संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। लेकिन, वो जनता के सीधे सवालों का जवाब देने के बजाय उनकी आंखों में धूल झोंक रहे हैं। अब लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने भी पिता की तरह ही टुच्ची बातें करनी शुरू कर दी हैं। लालू-राबड़ी के साथ बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ भी सीबीआई ने भ्रष्टाचार के एक गंभीर मामले में एफआईआर दर्ज की है। लेकिन वो जनता के सामने तथ्य रखने के बजाय मुद्दे को इधर-उधर भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। शायद इन्हें अभी भी लगता है कि समाज को जाति और धर्मों में बांटकर ये जनता की ऐसी की तैसी कर सकते हैं।
बेवकूफों वाली दलीलें दे रहे हैं नीतीश के डिप्टी
हिंदी समाचार पोर्टल नवभारत टाइम्स के अनुसार अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में तेजस्वी का कहना है कि, बीजेपी उनके नाम पर पूरे बिहार को बदनाम कर रही है। उनकी ये भी दलील है कि वो पिछड़े परिवार से हैं, इसीलिए उन्हें सजा दी जा रही है। हद तो ये हो गई कि उन्होंने कहा कि जब 2004 में रेलवे में टेंडर घोटाला हुआ तो उनकी मूंछें भी नहीं आई थीं।
उस मनगढ़ंत मामले में फंसाया जा रहा है जब मेरी उम्र 14 साल थी। उस वक़्त मेरी दाढ़ी-मूँछ भी नहीं आयी थी।14साल का बच्चा घोटाला कर सकता है क्या?
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 12, 2017
Can Lalu dare to disown 3 acre land of Tejaswi in Patna on which 750 Cr biggest Mall is being constructed ?
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) July 12, 2017
तथ्यों पर सफाई देने से भाग गए तेजस्वी
गौर करने वाली बात है कि तेजस्वी ने अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में कोई तथ्यात्मक सफाई नहीं दी है। एक तो उनपर टेंडर घोटाले का मामला नहीं बन सकता। उनपर तो टेंडर में मिले रिश्वत के पैसों से ली गई बेनामी संपत्ति रखने के आरोप हैं। आरोपों के अनुसार घोटाले के बदले रिश्वत में जो बेनामी जमीन मिली उसे लालू परिवार के नाम आते-आते करीब 10 साल लग गए। इसीलिए तेजस्वी की दलीलें पूरी तरह बकवास लगती हैं।
At the age of 27 Tejaswi owner of 17 prime properties & owning 4 Cos having Crs of land & playing victim card
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) July 12, 2017
सीएम ने तथ्य रखने को कहा है
बड़ी बात ये है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इशारों में तेजस्वी को एफआईआर से जुड़े सारे तथ्य सामने रखने को कहा है। लेकिन फिर भी तेजस्वी पिता की तरह मुद्दे को भटकाने की कोशिशें कर रहे हैं। हालांकि इस मामले में नीतीश ने अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, सिर्फ इधर-उधर से लालू और उनके बेटे को चेताने की कोशिश कर रहे हैं। मसलन जेडीयू के एक प्रवक्ता अजय आलोक ने तेजस्वी पर फिर से निशाना साधकर कहा है कि, “कोई आरोप नहीं लगा है, सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कराई है। इसका जवाब अदालत और जनता दोनों को देना होता है।”
चोरी और सीनाजोरी करते हैं लालू
लालू यादव को अदालत ने राहत नहीं दी होती तो चारा घोटाले के जुर्म में जेल की चक्की पीस रहे होते। ये भी अजीब विडंबना है कि उनके चुनाव लड़ने पर तो कानूनी पाबंदी है, लेकिन जमानत पर जेल से बाहर रहकर जनता को गुमराह करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि रेलवे टेंडर घोटाले से लेकर उसके बदले बेनामी संपत्ति अर्जित करने के मामले में भी उनके खिलाफ भारी-भरकम सबूत हैं। लेकिन फिर भी लालू खुलेआम घूमते हैं। चुनाव नहीं लड़ सकते लेकिन संसद परिसर में घुसकर भ्रष्ट नेताओं के साथ सियासी साजिशें रचते हैं।
मुद्दे को भटकाते हैं
अपने घोटालों और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए लालू हमेशा से जाति और धर्म की राजनीति करते आए हैं। जब भी उनके खिलाफ घोटाले का कोई बड़ा मामला उजागर होता है वो धर्म और जाति का कार्ड खेलकर चोरी छिपाने की कोशिश करते हैं। वो जब भी फंसते हैं बीजेपी-आरएसएस की साजिश बताकर बच निकलने की ताक में जुट जाते हैं। अबकी बार भी वो अपनी पुरानी चाल ही चल रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लालू ने कहा है कि जिस समय के घोटाले की बात की जा रही है उस वक्त उनका बेटा तेजस्वी नाबालिग था और क्रिकेट खेलता था। लालू ने ये भी कहा कि वो बीजेपी को नेस्तनाबूद कर देंगे। लेकिन लालू की ये कहने की हिम्मत नहीं है कि उनके खिलाफ हुई एफआईआर गलत है और वो इसे कोर्ट में चुनौती देंगे।
कानून की नजर में चोर हैं लालू
लालू यादव चारा घोटाले के एक मामले में सजायाफ्ता मुजरिम हैं। कोर्ट से उन्हें 5 साल की सजा मिली हुई है। अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देकर वो जमानत पर बाहर हैं। 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले में उनके खिलाफ कई और मामलों की सुनवाई चल रही है। एक मामले में सजा मिलने के बाद ही उनसे चुनाव लड़ने का अधिकार छीन लिया गया था।
देश का सबसे कुख्यात भ्रष्ट परिवार
लालू समेत उनके परिवार के 5 सदस्य इस समय भ्रष्टाचार के बड़े मामलों में फंसे हुए हैं। लालू की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पर करोड़ों की बेनामी संपत्ति रखने के आरोप हैं। उन में से पटना की वो तीन एकड़ की जमीन भी है जो कथित रूप से टेंडर घोटाले में रिश्वत के तौर पर लिखाने का आरोप है। इसी मामले में लालू-राबड़ी के छोटे बेटे तेजस्वी यादव भी आरोपी हैं। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। जबकि उनकी बड़ी बेटी मीसा भारती पर दिल्ली के पॉश इलाकों में कई बेशकीमती बेनामी संपत्ति रखने की भी जांच हो रही है। प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग इनकी जांच में जुटा है। ये अवैध संपत्तियां जब्त भी की जा चुकी हैं। वहीं लालू के बड़े बेटे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव पर भी एक जमीन के शेयर में गड़बड़ी और गलत ढंग से पेट्रोल पंप आवंटित करवाने के आरोप हैं।
कहां से आई हजारों करोड़ की दौलत?
राजनीति के शुरुआती दिनों से ही लालू यादव अपने को एक गरीब व्यक्ति बताते रहे हैं। उन दिनों बचपन में भैंस की चरवाही का जिक्र करके वो खूब तालियां भी बटोर चुके है। लेकिन तकरीनब तीन दशकों की राजनीति ने उन्हें जमीन से उठाकर देश के सबसे धनवान नेताओं में शुमार कर दिया है। आरोपों के मुताबिक आज लालू परिवार के पास हजारों करोड़ की अवैध संपत्ति है। चारा घोटाले से साबित हो चुका है कि उन्होंने जनता के खजानों पर कैसे डाका डाला है। लगता है कि अब उनका परिवार भी उन्हीं के दिखाए मार्ग पर चल पड़ा है।
सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता। ये दोनों वो शब्द हैं जिनका दोहन भारतीय राजनीति के इतिहास में लालू से बढ़कर किसी राजनेता ने नहीं किया है। लालू अपने सारे कुकर्मों को इन्हीं दोनों शब्दों की चासनी में लपेटकर अरबपति बने हैं। उन्हें इन दोनों शब्दो पर पूरी भरोसा है। उनको लगता है कि वो कितना भी घोटाला करें, जनता की पेट पर लात मारते रहें, लेकिन इन शब्दों का झुनझुना गरीबों को फुसला ही लेगा। लालू अबतक अपनी इस भ्रष्ट रणनीति में सफल रहे हैं। लेकिन अब जनता जाग रही है। बड़ा सवाल है कि जैसे लालू ने अबतक गरीबों-शोषितों को छला है क्या अब उनके परिवार के लोग भी चल सकेंगे?