देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी और सबसे ज्यादा वक्त तक देश पर शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी, आज सत्ता में नहीं रहने पर राष्ट्रविरोधी हरकतों पर उतर आई है। कोई राजनीतिक दल हो, देश के भीतर सरकार से कितना भी उलझे, लेकिन विदेश की धरती और विदेशी मामलों पर एक जुट रहते हैं, क्योंकि वहां सवाल देश की अस्मिता और स्वाभिमान का होता है। लेकिन कांग्रेस पार्टी का डीएनए ही ऐसा है कि उसे सिर्फ सत्ता चाहिए, अगर नहीं मिली तो राष्ट्रविरोध से भी उसे कोई परहेज नहीं है। आपको आगे बताते हैं किस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरी दुनिया में लोकप्रियता से परेशान कांग्रेस पार्टी बेहूदगी पर उतर आई है।
पीएम नेतन्याहू की यात्रा से पहले कांग्रेस ने शेयर किया बेहूदा वीडियो
रविवार, 15 जनवरी को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपनी 6 दिवसीय ऐतिहासिक यात्रा पर भारत आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर, हवाईअड्डे पर उनकी अगवानी की। पीएम मोदी और नेतन्याहू के संबंध दोस्ताना है, यह पूरी दुनिया जानती है, भारत की धरती पर उतरने पर पीएम मोदी ने नेतन्याहू से गले मिलकर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक लोकप्रियता से जलीभुनी बैठी कांग्रेस पार्टी और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी को यह कहां हजम होने वाला था। जब इजरायल के प्रधानमंत्री देश की सरजमीं पर कदम रख रहे थे, उसी वक्त कांग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर प्रधानमंत्री मोदी के बारे में एक बेहूदा वीडियो शेयर किया। इस ट्वीटर में पीएम मोदी को तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ गले मिलते हुए दिखाया गया था, और पीएम मोदी की गले मिलने की कूटनीति का मजाक उड़ाया गया था। कांग्रेस पार्टी ने इस शर्मनाक वीडियो में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, तुर्की के राष्ट्रपति रज्जब, फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वां ओलांद के साथ पीएम मोदी के गले मिलने के दृश्यों को दिखाया था। यहां सवाल यह उठता है कि अगर प्रधानमंत्री दुनियाभर के नेताओं के साथ गले मिलकर, भारत के साथ उन देशों के संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा रहे हैं, तो इसमें कांग्रेस पार्टी के पेट में दर्द क्यों हो रहा है?
कांग्रेस की ओर से जारी इस वीडियो पर भारतीय जनता पार्टी ने सख्त नाराजगी जाहिर की है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा है कि इस तरह का वीडियो कांग्रेस की अपरिपक्वता और संवेदनशीलता की कमी को दिखाता है, साथ ही उसकी मानसिकता को भी दिखाता है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ देश के प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि भारत के मेहमान का भी अपमान है। जाहिर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हाल ही के एक सर्वे में विश्व का तीसरा सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बताया गया है।
राहुल गांधी ने बहरीन में उठाए थे मोदी सरकार की नीतियों पर सवाल
यह कोई पहली बार नहीं था कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेता राहुल गांधी ने विदेशी मेहमान के सामने या फिर विदेशी जमीन पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ जहर उगला हो। इससे पहले भी राहुल गांधी कई मौके पर ऐसी राष्ट्रविरोधी शर्मनाक हरकतें कर चुके हैं। हाल ही में 8 जनवरी को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बहरीन के दौरे पर गए थे। वहां आर्गनाइजेशन ऑफ पीपुल ऑफ इंडियन ओरिजिन की एक बैठक में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार के विरोध में कई बातें कही थीं। विदेशी धरती पर अपने देश की सरकार की आलोचना, राष्ट्रविरोध की श्रेणी में ही आती है। राहुल ने रोजगार संकट, गिरती जीडीपी, नोटबंदी के गलत आंकड़े पेश कर और असहिष्णुता का मुद्दा उठाकर अपनी तुच्छ मानसिकता का परिचय दिया था। जाहिर है कि देश में तो राहुल गांधी और कांग्रेस के इन झूठे दावों पर कोई यकीन नहीं करता, तो उन्होंने विदेशी धरती पर ही देश को बदनाम करने की ठान ली।
अमेरिका में भी राहुल ने किया था भारत को बदनाम
विदेशी धरती पर देश के प्रधानमंत्री और देश की सरकार को बदनाम करना, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की आदत सी बन गई है। पिछले वर्ष सितंबर में जब राहुल गांधी अमेरिका दौरे पर थे, तो उन्होंने यूएस की बर्कले यूनिवर्सिटी में भाषण देते समय, तमाम नीतियों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। उस वक्त भी राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार पर झूठे आरोप लगाकर, विदेश में भारत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। राहुल गांधी की इस हरकत का देश में काफी विरोध भी हुआ था, मीडिया ही नहीं आम लोगों ने भी राहुल गांधी को इस राष्ट्रविरोधी हरकत पर आड़े हाथ लिया था।
इनके अलावा भी कई और ऐसी घटनाएं हैं, जिनसे साबित होता है कि कांग्रेस पार्टी विदेशी नीति पर हमेशा सरकार के विरोध में खड़ी दिखती है। एक नजर डालते हैं कांग्रेस की कुछ ऐसी ही राष्ट्रविरोधी मानसिकता को दर्शाती हरकतों पर।
सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध
वर्ष 2016 में 28-29 सितंबर की रात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में किया गया सर्जिकल स्ट्राइक शायद पहला ऐसा मौका था जब भारत में सेना और राजनीति एक पंक्ति में आ खड़ी हुई। दिलचस्प यह रहा कि लगभग हर विचारधारा और पार्टी के नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर किसी प्रकार का विरोध नहीं किया, लेकिन कांग्रेस ने अपनी कुत्सित राजनीति का परिचय यहां भी दे दिया। पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे तो दिग्विजय सिंह ने भी सेना की इस घोषणा को कटाक्ष के अंदाज में कठघरे में खड़ा कर दिया। कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने तो भारतीय सेना की पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की कार्रवाई को फर्जी बता दिया था। निरूपम ने ट्वीट किया था, ‘प्रत्येक भारतीय पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक्स चाहता है लेकिन भाजपा द्वारा राजनीतिक फायदे के लिए फर्जी वाली नहीं। देश के हितों पर राजनीति।’
Every Indian wants #SurgicalStrikesAgainstPak but not a fake one to extract just political benefit by #BJP.
Politics over national interest pic.twitter.com/4KN6iDqDo5— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) October 4, 2016
रोहिंग्या मुसलमान के मुद्दे पर सरकार का विरोध
रोहिंग्या मुसलमान आज पूरी दुनिया के लिए समस्या हैं। ये रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार के लिए जहां आतंकवाद की समस्या हैं तो बांग्लादेश के लिए बढ़ती आबादी की चिंता का सबब हैं। वहीं दुनिया के कई देशों के लिए ये मानवाधिकार का मुद्दा हैं। भारत के लिए मानवाधिकार के साथ आंतरिक सुरक्षा से भी जुड़ा मामला है। मोदी सरकार का संकल्प रहा है कि वो ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना से खिलवाड़ नहीं होने देगी। एक ओर रोहिंग्या को लेकर तमाम शंकाएं हैं दूसरी ओर कांग्रेस रोहिंग्या पर राजनीति कर रही है। इसके पैरोकार इस विसंगति से आंखें मूंदे रह जाते हैं कि रोहिंग्या जिन देशों के नागरिक हैं वही इन्हें आतंकी मानते हुए अपने यहां रखना नहीं चाहते। म्यांमार के दूसरे पड़ोसी देश बांग्लादेश, इंडोनेशिया, थाइलैंड भी रोहिंग्या को शरण देने को तैयार नहीं। ये सुरक्षा संबंधी चिंता ही है जो बांग्लादेश में रोहिंग्या समुदाय के लोगों को फोन कनेक्शन देने पर रोक लगा दी गई है। करीब 50 मुस्लिम देशों ने आतंक से रोहिंग्या का नाता देखकर इन्हें शरण देने से मना कर रखा है। ऐसे में फिर भारत में इनके प्रति हमदर्दी को आने वाले समय के लिए वोट बैंक के इंतजाम की कोशिश के रूप में क्यों ना देखा जाए?
कश्मीर में आतंकियों पर कार्रवाई का विरोध
”कश्मीर के लोग जब ‘आजादी’ की मांग करते हैं तो इसका मतलब और अधिक ‘स्वायत्तता’ है।’‘…कांग्रेस के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम के इस बयान ने शांत होते कश्मीर को एक बार फिर सुलगा दिया। पी चिदंबरम के इस बयान से साफ है कि कांग्रेस कश्मीर में आतंकियों की मांग को समर्थन कर रही है। स्पष्ट है कि भारत से अलग होने और पाकिस्तान में मिलने की ख्वाहिश रखने वालों को पी चिदंबरम एक बार फिर से उकसा रहे हैं। आजादी मांग रहे लोगों के साथ स्वर मिला रहे हैं। दरअसल कांग्रेस इस हद तक गिर चुकी है कि उसे सत्ता में वापसी का कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। ऐसे में केंद्र सरकार की कोशिशों को विफल करना ही कांग्रेस का एक मात्र उद्देश्य लगता है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने तो आर्मी चीफ को गली का गुंडा तक कह दिया था, वहीं कई कांग्रेसी नेता आर्मी को रेपिस्ट बताती रही है।
डोकलाम मामले पर सरकार के स्टैंड का विरोध
भारत-चीन के बीच 73 दिनों तक सिक्किम से सटे डोकलाम क्षेत्र जबर्दस्त तनातनी का माहौल रहा। इस कूटनीतिक और सैन्य तनाव पर दुनिया भर की नजरें गड़ी थीं। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जिन हालातों में चोरी-छिपे भारत में मौजूद चीन के राजदूत लिओ झाओहुई से मिलने पहुंच गए उसने सारे देश को हैरान कर दिया। इन हालातों में राहुल के चीनी राजदूत से मुलाकात करना कई तरह के सवाल खड़े कर गए। कांग्रेस पार्टी पर वो भले ही माई-बाप बनकर शासन करते हैं, लेकिन उनकी सियासी और कूटनीतिक समझ पर अभी देश का भरोसा नहीं जम पाया है। अगर राहुल और अन्य कांग्रेसी नेताओं के मन में कुछ भी गलत नहीं था तो उनकी पार्टी को पहले इस मुलाकात पर झूठ क्यों बोलना पड़ा ? राजनीतिक मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन देश को धोखा देकर दुश्मन देश से गोपनीय बातें करना कई आशंकाओं को जन्म देती हैं।
पीएम मोदी को हटाने के लिए पाकिस्तान से लगाई थी गुहार
सत्ता के वियोग में कांग्रेसी इतने बिलबिलाए रहते हैं कि न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली देते हैं, बल्कि मोदी जी को हटाने के लिए भारत विरोधी ताकतों से भी हाथ मिलाने के लिए भी तैयार हो जाते हैं। गौरतलब है कि कांग्रेसी और उसके सहयोगी नेता आतंकियों और संदिग्ध संगठनों से साठगांठ और सहानुभूति रखने के लिए हमेशा से ही चर्चित रहे हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान एक रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को आईना दिखाया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पीएम मोदी ने पाकिस्तान में दिए गए मणिशंकर के बयान का जिक्र करते हुए बताया कि, “वह ऐसे नेता हैं, जो पाकिस्तान में जाकर कहते हैं कि पीएम मोदी को रोको। सोशल मीडिया पर भी ऐसा वीडियो आया था। रास्ते से हटाने का मतलब क्या है? क्या वह पाकिस्तान को मोदी की सुपारी दे रहे थे?
#WATCH: PM Narendra Modi addresses an election rally in Banaskantha’s Bhabhar #GujaratElection2017 https://t.co/RxHBh2nErn
— ANI (@ANI) December 8, 2017
मणिशंकर ने कहा था- हमें ले आइए इनको हटाइए
दरअसल करीब ढाई साल पहले मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान जाकर पीएम मोदी को हटाने के लिए उसकी मदद मांगी थी। एक पाकिस्तानी चैनल के सामने उन्होंने इसके लिए लगभग पाकिस्तानी शासकों से गुहार तक लगाई थी। आप भी सुनिए, दरअसल मणिशंकर ने कहा क्या था-
अहमद पटेल पर भी लग चुके हैं आतंकियों से रिश्तों के आरोप
गुजरात कांग्रेस के सबसे बड़े नेता और सोनिया गांधी के सबसे खासम-खास राजनीतिज्ञ अहमद पटेल के तार भी आईएसआईएस आतंकियों से जुड़े होने के आरोप लग चुके हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने खुद कहा था कि जांच एजेंसियों के हत्थे चढ़ा आईएसआईएस का एक संदिग्ध आतंकी अहमद पटेल से जुड़ी एक संस्था के लिए काम करता था। हालांकि अहमद पटेल ने इन आरोपों को गलत बताया था, लेकिन सोचने वाली बात है कि इन आरोपों में थोड़ा भी दम है तो सोनिया-राहुल की सरकार के दौरान देश की सुरक्षा से किस खिलवाड़ किया गया था ? क्योंकि सोनिया के राजनीतिक सचिव होने के नाते अहमद पटेल कई बार तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी अधिक प्रभावी नजर आते थे।
आंतकवादियों की जो फैक्ट्री पहले पाकिस्तान में चलती थी अब कांग्रेस के नेता अहमद पटेल अपने अस्पताल में चला रहे हैं। #ArrestAhmedMiya
— Puneet Sharma (@iSharmaPuneet) October 27, 2017
#ArrestAhmedMiya आपकी मासूमियत भरी शक्ल के पीछे देश के साथ गद्दारी ?
— vishvas bafna (@vishvas_bafna) October 27, 2017
कांग्रेसियों ने हाफिज सईद, लादेन और अफजल को सम्मान दिया
कांग्रेस के नेता कभी ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी कहते रहे हैं, तो कभी हाफिज सईद को हाफिज जी और अफजल गुरु को अफजल गुरु जी कहकर पुकारा है। दिग्विजय सिंह ने ओसामा बिन लादेन और हाफिज सईद को जी कहा तो रणदीप सुरजेवाला ने अफजल गुरु को जी कहा। बाटला हाउस एनकाउंटर में जब आतंकियों को मार गिराया गया तो कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया ने कथित रूप से आंसू तक बहाया।
कांग्रेसी नेताओं का ‘जहरीले’ जाकिर नाइक से नाता
इस्लामी कट्टरपंथी धर्म प्रचारक जाकिर नाइक से कांग्रेसी नेताओं के ताल्लुकात रहे हैं। जाकिर नाइक ने कई देशविरोधी कार्य किए, कई देशविरोधी भाषण दिए, लेकिन कांग्रेसी सरकारें उस पर कार्रवाई से कतराती रही। एक बार दिग्विजय सिंह ने जाकिर नाइक को ‘मैसेंजर ऑफ पीस’ बताया था। वाकया साल 2012 का है, जब एक इवेंट के दौरान उन्होंने नाइक के साथ मंच साझा किया था। इस इवेंट में दिग्विजय को जाकिर नाइक की तारीफों के पुल बांधते हुए सुना जा सकता है। दिग्विजय सिंह ने नाइक को दुनिया भर में शांति का संदेश देने वाला बताया था, लेकिन जब वहीं पर बांग्लादेश में आतंकी हमलों में शामिल आतंकियों ने खुद को जाकिर नाइक से प्रेरित बताया तो वे बगलें झांकने लगे थे। हालांकि तब भी कांग्रेस नेतृत्व ने दिग्विजय सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं की थी।
जाकिर नाइक ने राजीव गांधी ट्रस्ट को 50 लाख रुपये दिए
इस्लामी धर्म प्रचारक जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउडेंशन ने 2011 में राजीव गांधी चैरिटेबुल ट्रस्ट को 50 लाख रुपये चंदे के रूप में दिया था। इसका खुलासा सिंतबर, 2016 में तब हुआ जब जाकिर नाईक के खिलाफ सरकारी एजेंसियां जांच कर रही थीं। जैसे ही जनता को इस बात का पता चला, सोनिया गांधी और राहुल गांधी, जो राजीव गांधी चैरिटेबल संस्था के संचालक हैं, उन्होंने 50 लाख रुपये चुपके से जाकिर नाइक को वापस कर दिए।
जेएनयू में राहुल ने दिया देशद्रोहियों का साथ
देश के भीतर भी कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी हमेशा देशद्रोहियों के साथ खड़े नजर आते हैं। जेएनयू में देशद्रोही लगाने वाले छात्र नेताओं की पूरे देश में आलोचना हो रही थी, लेकिन राहुल गांधी उनके समर्थन में खड़े थे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर जिस तरह की बातें कहीं वह कभी जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या राजीव गांधी ने भी नहीं कही थी। यह देश का दुर्भाग्य ही है कि राहुल गांधी ने उनका समर्थन किया जो देश को तोड़ने और उसके टुकड़े-टुकड़े करने के नारे लगाए थे।
आतंकियों की फांसी पर भी पॉलिटिक्स
संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर भी कांग्रेस ने पॉलटिक्स की थी। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा था कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देना गलत था और उसे गलत तरीके से दिया गया। इतना ही नहीं यही कांग्रेस है जिनके नेताओं ने याकूब मेनन की फांसी पर भी आपत्ति जताई थी।