दिल्ली हाईकोर्ट ने सिख विरोधी दंगा मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक सरेंडर करना होगा। हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को दिल्ली कैंट इलाके में 5 लोगों की हत्या के मामले में आपराधिक साजिश और भीड़ को उकसाने का दोषी पाया है। सज्जन कुमार पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
सज्जन कुमार के अलावा नौसेना के रिटायर्ड अधिकरी कैप्टन भागमल, पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर और गिरधारी लाल को भी दोषी करार दिया गया है। इन तीनों को निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इनके अलावा पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर को भी दोषी करार पाया गया, जिन्हें निचली अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई थी। अब हाई कोर्ट ने इन सभी पांचों दोषियों को 10-10 साल की सजा सुनाई है।दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि साल 1947 के विभाजन के दौरान सैंकड़ो लोगों का नरसंहार हुआ था, 37 साल बाद दिल्ली में वैसा ही मंजर दिखा और आरोपी राजनीतिक संरक्षण के चलते ट्रायल से बचते रहे।
राजीव गांधी ने कहा था- जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है
दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी हिंसा का यह कहकर बचाव किया था कि, ‘जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो आसपास की धरती हिलती है।’
Rajiv Gandhi, the father of mob lynching, justifying the 1984 Sikh bloodletting… How could Rahul even attempt to whitewash this genocide unleashed by the Congress party? pic.twitter.com/0hMNibHQXK
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 24, 2018
सच्चाई ये भी है कि कांग्रेस की इस हरकत के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने माफी भी मांगी थी। 34 साल पहले दिए गए राजीव गांधी के उस बयान को हाल ही में उनकी जयंती पर पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर स्वीकार भी किया था। लेकिन विवाद होने के डर से बाद में उसे डिलीट कर दिया था।
कमलनाथ को सीएम बनाकर राहुल ने छिड़का सिखों के जख्मों पर नमक
1984 में सिखों का कत्लेआम करने वाले नेताओं को कांग्रेस लगातार बड़ी जिम्मेदारी देती जा रही है। मध्य प्रदेश के नव नियुक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ पर भी सिख विरोधी हिंसा में शामिल होने का आरोप है। इसके बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कमलनाथ को इतनी बड़ी जिम्मेदारी दे दी। इससे समुदाय भड़का हुआ है और कांग्रेस को नतीजे भुगतने की चेतावनी दे रहा है।
सिख विरोधी दंगों को लेकर भाजपा के दिल्ली प्रवक्ता तजिंदर सिंह बग्गा ने ट्वीट किया, ‘सुना है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 1984 में हुए सिख नरसंहार के हत्यारे कमलनाथ को बतौर सीएम नियुक्त करना चाहते हैं। यह वही शख्स हैं, जिन्होंने गुरुद्वारा रकाबगंज (हिंद दी चादर गुरु तेग बहादुर जी का दाह संस्कार स्थल) में आग लगा दी थी। यह चीज एक बार फिर से दर्शाती है कांग्रेस सिख विरोधी पार्टी है।’
. @capt_amarinder Then why you protested against Kamalnath appointment as Punjab Congress incharge at the time of election, Why Rahul Gandhi removed him from Punjab Cong incharge. After getting Sikh Votes in Punjab election you are backstabbing Sikhs. Shame https://t.co/moQGrBynh4
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) December 14, 2018
एक अन्य ट्वीट में बग्गा ने कहा, ‘जब राहुल गांधी ने 1984 के सिख हत्याकांड के जिम्मेदार कमलनाथ को पंजाब विधानसभा चुनाव का इंचार्ज बनाया था तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विरोध जताया था, जब तक की उन्हें हटा नहीं लिया गया। अगर राहुल गांधी सिखों के हत्यारे कमलनाथ को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त करते हैं तो कैप्टन अमरिंदर को विरोध जताया जताते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए।’
1984 के गुनहगार हैं कमलनाथ
कमलनाथ को सीएम बनाने का सबसे बड़ा विरोध पंजाब में हो रहा है। आम आदमी पार्टी के कंवर संधू और वरिष्ठ नेता एच एस फूलका ने भी विरोध करने का ऐलान किया है। संधू ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का दावा करने वाली कांग्रेस पार्टी को ये नहीं भूलना चाहिए कि 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर कमलनाथ के बारे में क्या आम राय है।
वहीं फूलका ने कहा कि भले ही कमलनाथ को 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर किसी कानूनी कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा हो लेकिन ऐसे गवाह हैं जिन्होंने कमलनाथ को दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज के पास भीड़ को उकसाते देखा है।
शिरोमणि अकाली दल ने भी कांग्रेस पर सिख दंगों के जिम्मेदार नेताओं को पुरस्कृत करने का आरोप लगाया है। दिल्ली में विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, ‘जब भी गांधी परिवार सत्ता में आता है तो ये लोग 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के जिम्मेदारों को बचाने का काम करते हैं। अब राहुल कमलनाथ को सीएम पद से नवाज रहे हैं। राहुल गांधी शायद ये संदेश देना चाहते हैं कि सिखों की हत्या में शामिल लोगों को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है, वे उनके साथ हैं और उन्हें ईनाम भी देंगे।’
कांग्रेस ने नहीं होने दी जांच
आम आदमी पार्टी के नेता और जाने माने वकील एचएस फूलका ने वर्ष 2006 में एक गवाह अदालत के सामने पेश किया जिसका नाम मुख्त्यार सिंह बताया जाता है। इस गवाह के बयान के आधार पर ही कमलनाथ का नाम सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामलों में शामिल किया। लेकिन कांग्रेस ने अपनी चालों से कमलनाथ को फंसने नहीं दिया। एनडीए शासनकाल में सिख विरोधी दंगों की जांच कर रहे नानावटी कमीशन के सामने कमलनाथ की पेशी भी हुई थी। रंगनाथ मिश्रा कमेटी के सामने भी कमलनाथ की पेशी हो चुकी है। तब पत्रकार संजय सूरी ने बतौर गवाह ने कमलनाथ की पहचान की थी।
मोदी सरकार ने दिलाया सिखों को इंसाफ
30 साल से इंसाफ के लिए तरस रहे 1984 सिख विरोधी हिंसा पीड़ितों को मोदी सरकार में 3 साल में इंसाफ मिल गया। पिछले महीने नवंबर में ही दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट ने दो सिख युवकों की नृशंस हत्या के मामले में यशपाल सिंह को फांसी और नरेश सहरावत को उम्र कैद की सजा दी है। हैरत की बात ये है कि 1994 में कांग्रेस सरकार के दबाव में दिल्ली पुलिस ने ये केस बंद कर दिया था। लेकिन मोदी सरकार ने 2015 में सिखों को इंसाफ दिलाने के लिए एसआईटी बनाई और एक केस में सजा भी दिला दी।
दरअसल 1984 की सिख विरोधी हिंसा देश के इतिहास में काला अध्याय है। इस हिंसा में देशभर में हजारों सिखों का कत्लेआम हुआ, हजारों मां-बहनों की आबरू से खिलवाड़ किया गया और अरबों रुपये की संपत्ति लूटी गई, लेकिन इसमें शामिल कांग्रेस नेताओं को सरकार लगातार बचाती रही। और तो और तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अमानवीय बयान देकर इस हत्याकांड को सही ठहराने की कोशिश भी की। बहरहाल सिख संगठनों और पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की सबसे गंभीर पहल वाजपेयी सरकार ने साल 2000 में शुरू की लेकिन 2004 में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही ये प्रक्रिया पटरी से उतर गई। नरसंहार के सबसे बड़े गुनहगार सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर को कांग्रेस ने 2004 में न केवल सांसद बनाया बल्कि सिखों के जख्मों पर नमक छिड़कने के लिए टाइटलर को 2005 में मंत्री भी बना दिया।
1984 दंगों से साजिश का सिलसिला !
31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई
एक नवंबर से पूरे देश में सिखों के खिलाफ हिंसा शुरू
कांग्रेस नेताओं ने लोगों को सिखों के खिलाफ भड़काया
वेद मारवाह कमीशन, रंगनाथ मिश्रा कमीशन के नाम पर लीपापोती
2013 में निचली अदालत ने सज्जन कुमार को किया बरी
एक और मुख्य आरोपी जगदीश टाइटलर को भी क्लीन चिट
21 साल बाद मनमोहन सिंह ने संसद में देश से माफी मांगी
मोदी सरकार में क्या हुआ ?
2015 में सिख हिंसा की जांच के लिए एसआईटी बनाई
एसआईटी ने दंगों के 280 केसों की छानबीन की
छानबीन के बाद 52 केस को अपने हाथ में लिया
शुरूआती तौर पर 5 केस की जांच तेजी से की