कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बजट को ‘‘जुमलों की सुनामी’’ करार दिया और कहा कि बजट में की गयी घोषणाएं और अर्थव्यवस्था के बारे में किए गये दावे हकीकत से कोसों दूर हैं। चिदंबरम ने मोदी सरकार के चौथे बजट को ‘‘जुमलों की सुनामी’’ करार दिया और सरकार से 12 सवाल पूछे।
सवाल पूछना तो किसी के लिए आसान है। वह चिदंबरम ही क्यों कोई भी पूछ सकता है, लेकिन सवालों में सच्चाई कितनी है और झूठ कितना, कम से कम पी चिदंबरम जैसे व्यक्ति को समझ जरूर आनी चाहिए। इन 12 सवालों में अधिकतर सवाल ऐसे हैं जो यूपीए सरकार को ही कठघरे में खड़े करते हैं। इसी यूपीए सरकार में वह गृह मंत्री और वित्त मंत्री जैसे अहम पदों पर रह चुके हैं। बहरहाल चिदंबरम के सवालों के आईने में हम सच और झूठ के फर्क को जानने की कोशिश करते हैं। हर सवाल के साथ उसकी सच्चाई सामने लाते हैं।
झूठ नंबर-1
पिछले चार सालों में आर्थिक वित्तीय घाटा बढ़ने की दर 3.2 से 3.5 प्रतिशत होने के बाद सरकार की देनदारियां बढ़कर 85 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गयी।
Question 1. Budget 2018-19 has made the fiscal deficit worse: 3.5 per cent against 3.2 per cent in 2017-18 and 3.3 per cent against 3.0 per cent in 2018-19. What are the estimates of the Current Account Deficit for 2017-18 and 2018-19?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 8, 2018
सच जानिए –
इसका सीधा और साफ मतलब यह है कि सरकार ने अपने घाटे की परवाह किए बगैर जनता के हित को सामने रखा है और आम लोगों को राहत देने के लिए वित्तीय घाटे को भी सहने को तैयार है। यह तो स्पष्ट है कि मोदी सरकार में देश की जीडीपी यूपीए की तुलना में तीन प्रतिशत से भी अधिक है। यह भी स्पष्ट है कि सरकार संवेदनशीलता के साथ जनता से जुड़े मुद्दों को तरजीह देती है, जिसमें सिर्फ लाभ ही नहीं देखती है।
झूठ नंबर-2
हर घाटे ने सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य का उल्लंघन किया है। क्या इन उच्च घाटे का प्रभाव मुद्रास्फीति हो सकता है? वर्तमान में, थोक मूल्य सूचकांक 3.6 प्रतिशत है और सीपीआई 5.2 प्रतिशत है। 2017-18 और 2018-19 के लिए औसत WPI और औसत CPI के अनुमान क्या हैं?
Question 2. Every deficit has breached the target set by the government. Will the impact of these high deficits be inflationary? Currently, WPI is 3.6 per cent and CPI is 5.2 per cent. What are the estimates of average WPI and average CPI for 2017-18 and 2018-19?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 8, 2018
सच जानिए-
क्या यह सच नहीं है कि यूपीए सरकार के दौरान जनवरी 2013 में थोक मूल्य सूचकांक 6.58 प्रतिशत था। इतना ही नहीं उपभोक्ता मूल्य सूचकांक उस समय 10.79 प्रतिशत के ऊपर था। इसके अलावा महंगाई दर भी 10 प्रतिशत के ऊपर थी, जो कि वर्तमान में 3.8 है। स्पष्ट है कि चिदंबरम साहब को सवाल पूछने के पहले अपनी सरकार का परफॉरमेंस भी देखना चाहिए और फिर तुलना करनी चाहिए।
झूठ नंबर-3
31 जनवरी 2018 को 10 साल के treasury bond 7.43 प्रतिशत था और यह कल 7.57 प्रतिशत पर था। क्या यह एक संकेत है कि सभी ऋण उपकरणों के ब्याज दर में वृद्धि होगी? क्या ब्याज दरों में वृद्धि से मुद्रास्फीति होगी?
Question 3. The yield on 10-year treasury bond on 31 January 2018 was 7.43 per cent and it stood yesterday at 7.57 per cent. Is this a signal that interest rates will rise across all debt instruments? Will the rise in interest rates be inflationary?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 8, 2018
सच जानिए –
क्या यह सच नहीं है कि यूपीए सरकार के दौरान बचत योजनाओं में लगातार ब्याज दरों में कटौती की गई। इतना ही नहीं ऋणों के मामले में लगातार ब्याज दरों में वृद्धि होती गई जिसके परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति की दर यूपीए सरकार के दौरान 10 प्रतिशत से अधिक ही रही। आज मुद्रास्फीति की दर अगर 4 प्रतिशत से कम है तो यह सरकार की सफलता है।
झूठ नंबर-4
मान लीजिए कच्चे तेल की कीमत 70 या 75 डॉलर तक बढ़ जाती है, तो यह आपके बजट अनुमानों को कैसे प्रभावित करेगी, विशेषकर घाटे को? क्या आप पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में वृद्धि करेंगे या आप पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क कम करेंगे?
Question 4. Suppose the price of crude oil rises to USD 70 or 75, how will it impact your budget estimates, especially the deficits? Will you raise the retail prices of petrol and diesel or will you cut the central excise duties on petrol and diesel?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 8, 2018
सच जानिए –
यूपीए सरकार के दौरान तेल की जितनी कीमतें थी लगभग उतनी ही कीमतें अभी भी हैं। सभी जानते हैं कि तेल के जरिए राजकोषीय घाटे की क्षतिपूर्ति की जाती है। यही यूपीए की सरकार भी करती थी। अब तो ढांचागत संरचना सुधार में सरकार ने रफ्तार दोगुनी कर दी है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों के बीच अब भी घरेलू बाजार में स्थिरता बनी हुई है। इतना ही नहीं सरकार इसे जीएसटी के दायरे में लाने का विचार कर रही है जिससे तेल की कम होने की उम्मीद है।
झूठ नंबर-5
2017-18 में कुल व्यय 71,000 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई, लेकिन राजस्व व्यय में 1,07,371 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई! क्या यह एक खर्चीली सरकार का सबूत नहीं है जिसने वित्तीय विवेक के सभी मानदंडों को छोड़ दिया गया है।
Total expenditure in 2017-18 increased by Rs 71,000 crore, but revenue expenditure increased by 1,07,371 crore! Is this not evidence of a spendthrift government that has abandoned all norms of fiscal prudence?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 8, 2018
सच जानिए-
क्या यह सच नहीं है कि मौजूदा सरकार ने मई 2014 में उस समय कार्यभार संभाला था जब राजकोषीय घाटा बहुत उच्च स्तर पर था। वित्त वर्ष 2013-14 का राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.4 प्रतिशत था। 2014 में लगातार राजकोषीय घाटा समेकन के पथ पर आगे बढ़ी है। राजकोषीय घाटा 2014-15 के 4.1 प्रतिशत से कम करके 2015-16 में 3.9 प्रतिशत तथा 2016-17 में 3.5 प्रतिशत पर लाया गया। वित्त वर्ष 2017-18 में संशोधित राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 3.5 प्रतिशत पर 5.95 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
झूठ नंबर-6
वित्त वर्ष 2017-18 में पूंजीगत व्यय 3,09,801 करोड़ रुपये का था, जिसे संशोधन के बाद 36,000 करोड़ घटाकर 2,73,445 करोड़ रुपये कर दिया गया। इससे किन स्कीमों व योजनाओं पर असर पड़ा?
Question 6. Capital expenditure was budgeted in 2017-18 for Rs 3,09,801 crore. The revised estimate is Rs 2,73,445 crore — a shortfall of Rs 36,000 crore. Which are the schemes and projects that took a hit in capital expenditure?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 8, 2018
सच जानिए-
पूंजीगत व्यय के बारे में सरकार का साफ मानना है कि फिजूलखर्ची पर लगाम लगाई जाए और सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग बंद किया जाए। इतना ही नहीं आधार कार्ड से कई योजनाओं के जुड़ने से हजारों करोड़ रुपये की बचत हो रही है जिससे शासन के खर्च में पारदर्शिता आ रही है जिससे सरकार ने पूंजीगत व्यय घटाया है। ऐसा मानना कि किसी योजना में कटौती की गई है यह सच नहीं है।
झूठ नंबर-7
सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 में मौद्रिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 11.5 फीसदी रहने का आकलन किया है, लेकिन क्या अतिरिक्त एक फीसदी ऊंची महंगाई दर या उच्च विकास दर के कारण थी?
Question 7. For 2018-19, Government has estimated nominal GDP growth at 11.5 per cent. Is the additional 1 per cent due to higher inflation or higher growth? What is your estimate of real GDP growth in 2018-19?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 8, 2018
सच जानिए-
क्या यह सच नहीं है कि मोदी सरकार में जीडीपी में लगातार वृद्धि हो रही है। इस वर्ष भी जीडीपी का अनुमान 7.1 से 7.5 के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। न सिर्फ भारत सरकार बल्कि कई वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने भी जीडीपी में ग्रोथ रहने का अनुमान लगया है। इतना ही नहीं आने वाले पांच वर्षों में भारत के दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन जाने का अनुमान है।
झूठ नंबर-8
दो करोड़ सालाना नौकरियां देने का दावा करने वाली सरकार ने पिछले चार साल में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के मानकों के अनुसार कितने लोगों को रोजगार दिया है?
Question 8. Before you assumed office, you promised 2 crore jobs a year. The ILO describes a proper job as employment that is certain, regular and reasonably secure. What is your definition of a job? How many ILO-described jobs were created in the four years of your government?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 8, 2018
सच जानिए-
केंद्र की मोदी सरकार युवाओं को जॉब सीकर नहीं जॉब क्रिएटर बनाने की नीति पर चल रही है। इसके लिए नए इनोवेशन और स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है। मुद्रा योजना से करीब 10 करोड़ लोगों को ऋण दिए गए हैं। अगर औसतन एक रोजगार भी मान लिया जाए तो यह साफ है कि एक साल में ढाई करोड़ लोगों ने तो सिर्फ स्वरोजगार को अपनाया। इतना ही नहीं आईटी सेक्टर से लेकर सर्विस सेक्टर में एक करोड़ से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार दिए गए हैं।
झूठ नंबर-9
2017-18 में, सीमा शुल्क का बजट अनुमान 2,45,000 करोड़ रुपये था। संशोधित अनुमानों में 1,35,242 करोड़ रुपये की गिरावट आई है। इसके पीछे की कहानी आपने अभी तक देश और लोगों को नहीं बताया है?
Question 9. In 2017-18, the budget estimates of customs duties was Rs 2,45,000 crore. The revised estimates show a drastic fall to Rs 1,35,242 crore. Is there a story there that you have not yet told the country and the people?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 8, 2018
सच जानिए-
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) का नाम बदल कर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) रखा जाएगा। कानून में आवश्यक बदलाव वित्त विधेयक में प्रस्तावित किए गए हैं।
झूठ नंबर-10
क्या वर्ष 2017-18 में जीएसटी से राजस्व संग्रह का 4,44,631 करोड़ रुपये का अनुमान पिछले आठ महीने का है या 9 महीने का या 11 महीने का।
Question 10. GST came into effect on
1 July, 2017. Your GST revenue collection for 2017-18 is estimated at Rs 4,44,631 crore. Is this collection for 8 months (excluding March 2018) or for 9 months or for 11 months (as you have said repeatedly)?— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 8, 2018
सच जानिए-
वित्त मंत्रालय के मुताबिक दिसंबर में 56.30 लाख जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल हुए। इसके तहत 8.10 लाख रिटर्न दाखिल किए गए जिससे 335.86 करोड़ रुपये का राजस्व मिला। हर महीने औसतन अस्सी हजार करोड़ रुपये से अधिक रिटर्न दायर किए जा रहे हैं। जुलाई, 2017 में जीएसटी के लागू होने के बाद का यह आंकड़ा इसकी सफलता की कहानी अपने आप कहता है।
झूठ नंबर- 11
2018-19 के लिए, आपने अनुमान लगाया गया है कि सकल कर राजस्व 16.7 प्रतिशत से बढ़ेगा, जब सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 11.5 प्रतिशत होगी। 16.7 प्रतिशत यथार्थवादी या महत्वाकांक्षी या आक्रामक कर विकास दर है?
Question 11. For 2018-19, you have projected that gross tax revenue will grow by 16.7 per cent when nominal GDP growth will be 11.5 per cent. Is the tax growth rate of 16.7 per cent realistic or ambitious or aggressive?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 8, 2018
सच जानिए-
पिछले साल 13.4 फीसदी रहने वाली सकल कर राजस्व वृद्धि के 16.7 फीसदी हो जाने का अनुमान है। वर्ष 2012 के बाद से ही अर्थव्यवस्था को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। हालांकि मोदी सरकार में संकेत अच्छे हैं। 2017 के अंतिम महीनों में हालात और बेहतर हुए हैं। अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में कुछ सूचीबद्ध कंपनियों का प्रदर्शन भी सुधरा है।
झूठ नंबर-12
2018-19 के लिए आपने निम्न विकास दर का अनुमान लगाया है:
कॉर्पोरेशन टैक्स: – 10.15 प्रतिशत
आयकर: – 19 .88 प्रतिशत
जीएसटी में 67.31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है
क्या वहां कराधान एक फिलॉसफी है जिसे आप भारत के लोगों के साथ साझा करना चाहते हैं?
Question 12. For 2018-19, you have projected the following growth rates:
Corporation tax :- 10.15 per cent
Income tax :- 19.88 per centGST a whopping 67.31 per cent
Is there a philosophy of taxation that you wish to share with the people of India?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 8, 2018
सच जानिए-
कोई भी सरकार योजना बनाती है और उसके पूरे होने का अनुमान लगाती है। इसी तरह अलग-अलग तरह के करों को लेकर भी इसी तरह से आंकलन किया जाता है। यूपीए सरकार के दौरान पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था को सही ट्रैक पर लाना ही इस सरकार की बड़ी उपलब्धि मानी जाती। लेकिन सरकार न सिर्फ देश की इकोनॉमी को ट्रैक पर लाई है, बल्कि उसे एक दिशा के साथ सही रफ्तार भी पकड़ा दी है। इसलिए पी चिदंबरम साहब आंखें खोलिए और कांग्रेस के चश्मे से देश की अर्थव्यवस्था को मत देखिए। आप भी वित्त मंत्री रहे हैं, सरकार के सही निर्णयों के साथ रहिए और सराहना करना भी सीखिए।