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पीएम मोदी के ‘गुड एंड सिंपल टैक्स’ का कमाल, देश का खजाना हुआ मालामाल

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31 जुलाई की रात संसद के सेंट्रल हॉल में वस्तु एवं सेवा कर यानि GST की लांचिंग के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों, दलों और नेताओं के प्रयासों को सराहते हुए जीएसटी को टीम इंडिया की शक्ति-सामर्थ्य की मिसाल बताया था। उन्होंने कहा, ”वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) एक प्रकार से सभी राज्यों के मोतियों को एक धागे में पिरोने का एक प्रयास है। यह सहकारी संघवाद की एक मिसाल है, जो हमें टीम इंडिया की शक्ति-सामर्थ्य का परिचय देती है।” उन्होंने इसे ‘गुड एंड सिंपल टैक्स’ और ‘ग्रोइंग स्ट्रॉन्गर टुगेदर’ के रूप में भी परिभाषित किया था। पीएम मोदी की कही ये सभी बातें आज सत्य साबित हो रही हैं। जुलाई महीने में जीएसटी कलेक्शन लक्ष्य से भी अधिक रहा है जो देश के शक्ति और सामर्थ्य को बढ़ा रहा है, वहीं टैक्स पेयर्स को जीएसटी भुगतान करना आसान साबित हो रहा है।

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लक्ष्य से भी अधिक रहा टैक्स कलेक्शन
जीएसटी लागू होने के बाद पहले महीने (जुलाई) में टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है। अनुमान के उलट लोगों ने टैक्स भुगतान में अपनी भागीदारी बढ़ाई और जुलाई में कुल जीएसटी कलेक्शन 92,283 करोड़ रुपये हो चुका है। दरअसल सालाना बजट के आधार पर सरकार ने जुलाई में केंद्रीय रेवेन्यू 48,000 और राज्यों का कलेक्शन 43,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया था। कुल मिलाकर यह रकम 91,000 करोड़ रुपये होती है। लेकिन यह कलेक्शन लक्ष्य को भी पार कर गया है।

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एक लाख करोड़ कलेक्शन का अनुमान
केंद्र और राज्यों को टैक्स से होने वाली कुल कमाई को अगर मिला दिया जाए तो पुराने टैक्स सिस्टम के तहत करीब 91,000 करोड़ रुपये की कमाई होती, जबकि जीएसटी लागू होने के बाद ये कमाई 92,000 करोड़ रुपये के पार कर गई है, और वो भी तब जब अभी साठ प्रतिशत टैक्सपेयर्स ही भुगतान कर पाए हैं। अनुमान है कि अगर सभी रजिस्टर्ड टैक्स देने वाले अगर टैक्स भुगतान कर देंगे तो जीएसटी की कुल रकम जुलाई के लिए एक लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगी।

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कंपनसेशन सेस से मिले 7,198 करोड़
कुल कलेक्शन में सेंट्रल जीएसटी 14,894 करोड़, स्टेट जीएसटी 22,722 करोड़ और इंटीग्रेटेड जीएसटी 47,469 करोड़ रुपये है। इसमें 20,964 करोड़ रुपये इंपोर्ट पर लगाए गए टैक्स से हासिल हुए हैं। जब सामान को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाया जाता है तो आईजीएसटी लगता है। इंपोर्ट पर भी यही टैक्स लगता है। कंपनसेशन सेस 7,198 करोड़ रुपये है, जिसमें से 499 करोड़ रुपये इंपोर्ट पर सेस से हासिल हुए हैं। हालांकि कंपनसेशन सेस को इस जीएसटी से हुई कमाई से हटा दें तो भी वास्तविक रकम 85 हजार करोड़ रुपये होगी।

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64 प्रतिशत ने किया टैक्स भुगतान
दरअसल जुलाई में 59.57 लाख लोगों को रिटर्न फाइल करना था। इसमें अगस्त में रजिस्ट्रेशन कराने वाले और कंपोजिशन स्कीम वाले टैक्सपेयर्स शामिल नहीं हैं। इनमें से 38.38 लाख ने रिटर्न फाइल कर दिया है, जो कुल अनुमानित रिटर्न का 64.42 पर्सेंट है। इससे संकेत मिलता है कि सभी टैक्सपेयर्स के रिटर्न फाइल करने के बाद कलेक्शन में और बढ़ोतरी हो सकती है। आईजीएसटी को सीजीएसटी और एसजीएसटी के बीच बांटा जाएगा।Image result for gst and modi

टैक्स कंप्लायंस से बढ़ेगी आमदनी
केंद्र और अलग-अलग राज्यों की आमदनी के सही आंकड़े इस महीने के अंत में इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद मिलेंगे। इसके बाद जीएसटीएन से मिलने वाले क्रॉस-यूटिलाइजेशन रिपोर्ट के आधार पर यह बंटवारा होगा। दरअसल टैक्स कंप्लायंस बढ़ने पर सरकार की आमदनी और बढ़ सकती है। 72.33 लाख टैक्सपेयर्स में से 58.53 लाख जीएसटीएन में शिफ्ट हो गए हैं, जबकि 13.80 लाख ने अभी तक प्रक्रिया संबंधी औपचारिकताएं पूरी नहीं की हैं। 29 अगस्त तक नए टैक्सपेयर्स की संख्या 18.83 लाख थी।

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पीएम ने कहा था ‘गुड एंड सिंपल टैक्स’
17 जुलाई को मानसून सत्र की शुरुआत के समय प्रधानमंत्री ने जीएसटी को गुड एंड सिंपल टैक्स करार दिया था। उन्होंने कहा कि गुड का मतलब टैक्स के ऊपर टैक्स न लगने की प्रक्रिया और सिंपल का मतलब पूरे देश में एक समान कर व्यवस्था और एक सरल फार्म के जरिये व्यापार का ब्योरा देना। उन्होंने जीएसटी को आर्थिक सुधार के साथ गरीबों के हित में सामाजिक सुधार भी करार दिया। उन्होंने जीएसटी को न्यू इंडिया, डिजिटल इंडिया, वे ऑफ डूइंग बिजनेस और वे ऑफ इजी बिजनेस का प्रतीक बताया था।

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