Home केजरीवाल विशेष …तो कांग्रेस के घोटालों का भी रिकॉर्ड तोड़ देगी केजरीवाल सरकार ?

…तो कांग्रेस के घोटालों का भी रिकॉर्ड तोड़ देगी केजरीवाल सरकार ?

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दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर के घोटालों के उजागर होने का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा है। जब से विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कपिल मिश्रा को सरकार से हटाया है, वो उनकी सारी करतूतों की पोल खोलने में लगे हुए हैं। ऐसा कोई दिन नहीं जा रहा है जब कपिल, केजरीवाल सरकार का एक नया घोटाला लेकर सामने नहीं आ रहे हों। अगर केजरीवाल और उनकी भ्रष्ट चौकड़ी की पोल खोल का सिलसिला बरकरार रहा तो वो बहुत जल्दी कांग्रेस के घोटालों की रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ देंगे। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की जनता के भरोसे का जिस तरह से कत्लेआम किया है, उसके बाद ईमानदार से ईमानदार व्यक्ति पर भी विश्वास करने से पहले भी लोगों को हजार बार सोचना पड़ेगा। ये बात केजरीवाल और उनका गैंग भी समझ चुका है। इसीलिए बाकी बचे शासन काल में अभी कितने घोटाले सामने और आएंगे कहना मुश्किल है।

दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल घोटाला और भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए राजनीति में आए थे। उन्होंने अपने गुरु अन्ना हजारे के मना करने पर यही तर्क दिया था कि वो राजनीति में रहकर राजनीति की गंदगी दूर करेंगे। लेकिन पिछले ढाई साल में उन्होंने ऐसे-ऐसे कारनामे किए हैं कि बड़ा से बड़ा भ्रष्टाचारी भी शर्मिंदगी महसूस करने लगेगा। वैसे तो सीएम केजरीवाल और उनकी सरकार के घोटाले और भ्रष्टाचार के खुलासे इनके सत्ता में आने के बाद से सामने आने लगे थे। लेकिन, जब से आम आदमी पार्टी में कपिल मिश्रा कांड हुआ है, समझ लीजिए कि इन लोगों ने ईमानदारी शब्द पर से ही जनता का भरोसा उठा दिया है। हद तो ये है कि अब पता चल रहा है कि ये लोग भ्रष्टाचार में इस हद तक लिप्त हैं कि उगाही के लिए लाखों जनता की जान का भी सौदा कर रहे हैं।

अब सामने आया सीएनजी घोटाला
केजरीवाल सरकार में मंत्री रह चुके कपिल मिश्रा ने दिल्ली सरकार के एक और बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। अंग्रेजी समाचार पोर्टल टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार कपिल मिश्रा ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में 10,000 कारों में जो सीएनजी किट लगावाए हैं, वो फर्जी कंपनी ने तैयार किए हैं। अब समझ लीजिए कि क्या केजरीवाल सरकार को पता नहीं है कि अपनी इस करतूत से वो जनता की जिंदगी के साथ कैसे खिलवाड़ कर रहे हैं। क्योंकि आरोप लग रहे हैं कि ये सीएनजी किट गुणवत्ता मानकों में संतोषजनक नहीं हैं। अगर इसके चलते कोई हादसा होता है तो क्या केजरीवाल इसकी जिम्मेदारी लेंगे ? ये सारे सीएनजी किट 10 महीनों के भीतक कारों में फिट किए गए थे। सबसे बड़ी बात ये है कि फर्जी सीएनजी किट कंपनी को इसका ठेका ऑड-इवन के फौरन बाद दिया गया था। जाहिर है कि इसके समय को लेकर भी दिल्ली सरकार की मंशा संदेहों से परे नहीं है। अपने आरोपों के समर्थन में कपिल ने कुछ दस्तावेज भी दिखाए हैं।

केजरीवाल सरकार का दवा घोटाला
केजरीवाल सरकार ने अपनी मोहल्ला क्लीनिक का खूब ढिंढोरा पीटा है। वो दावा करते रहे हैं कि गरीब जनता के स्वास्थ्य के ख्याल से उठाया गया ये कदम बहुत फायदेमंद साबित होगा। लेकिन अब पता चल रहा है कि केजरीवाल और उनके गैंग के लोग भले ही इसका फायदा उठा रहे हों, उनकी गंदी नीयत के चलते अब गरीबों की जान पर बन आई है। इसका खुलासा तब हुआ जब 1 जून, 2017 को एसीबी ने दवा प्रोक्योरमेंट एजेंसी के ताहिरपुर, जनकपुरी और रघुवीर नगर स्थित सेंटर के गोदामों पर छापा मारा। एसीबी को यहां से भारी मात्र में एक्सपाइरी मेडिसिन के साथ दवाओं की खरीद-फरोख्त के बिल भी मिले हैं। ये दवा घोटाला करीब 300 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि विवादित सीएम ने अपने खासम-खास और कई घोटालों के आरोपी स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के दबाव में ही दवाई खरीदने का काम मेडिकल सुपरिन्टेंडेन्ट से छीनकर, सेन्ट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी को दे दिया था। यानी लूट के लिए ऊपर से नीचे तक पूरी तैयारी की गई थी।

दिल्ली सरकार की अस्पतालों से दवा कहां गई ? 
हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में 50 प्रतिशत आवश्यक दवाइयां उपलब्ध ही नहीं हैं। मरीजों को एक-एक दवा के लिए गिड़गिड़ाना पड़ रहा है। अब बात समझ में आ गई है कि जिस विभाग को भ्रष्टाचार और काली कमाई का जरिया बना दिया गया हो, उसकी सूरत तो बिगड़ेगी ही। अब ये बात भी समझ में आ रही है कि अस्पतालों की बदहाली की बात सामने आने पर सीएम स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से हिसाब लेने के बजाय सीधे मुख्य सचिव पर क्यों भड़क गए थे। यहां ये बता देना भी बहुत जरूरी है कि सत्येंद्र जैन पर घोटाले और भ्रष्टाचार के गंभीर मामले दर्ज हैं। लेकिन सीएम को उनसे सवाल तक पूछने की हिम्मत नहीं है। क्योंकि केजरीवाल के पुराने साथियों के आरोपों के अनुसार आम आदमी पार्टी का हवाला कारोबार सत्येंद्र जैन के माध्यम से ही फलता-फूलता रहा है।

केजरीवाल पर रिश्वत लेने का आरोप
करीब ढाई साल पुराने अरविंद केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार का ये सबसे गंभीर आरोप है। जो आदमी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को भुनाकर मुख्यमंत्री बना उसके अपने ही कैबिनेट सहयोगी ने 2 करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। सबसे बड़ी बात ये है कि कपिल मिश्रा ने केजरीवाल से जिस व्यक्ति से रिश्वत लेने का आरोप लगाया, वो उन्हीं की सरकार में सीएम के चहते मंत्री सत्येंद्र जैन हैं। कपिल मिश्रा के आरोपों में कितना दम है ये तो जांच के बाद पता चलेगा। लेकिन कुछ तथ्य ऐसे हैं जिससे ईमानदारी का चोला ओढ़े केजरीवाल की कलई खुल जाती है। जैसे इतने गंभीर आरोप पर न तो उन्होंने ठीक से सफाई देने की जरूरत समझी और न ही कपिल मिश्रा के विरोध में किसी कानूनी कार्रवाई की ही हिम्मत जुटा पाए।

हवाला के जरिए पैसे जुटाने का आरोप

दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा दावा कर चुके हैं कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने फर्जी कंपनी बनाकर हवाला के जरिए पैसा जुटाया है। वो कह चुके हैं कि मोहल्ला क्लीनिक बहुत बड़ा घोटाला है। उन्होंने इसके संबंध में दस्तावेज होने के भी दावे दिए हैं। यही नहीं कपिल मिश्रा ने पार्टी के नेताओं के विदेश यात्राओं की फंडिंग को लेकर भी सवाल उठाए हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि केजरीवाल ने अबतक सार्वजनिक रूप से कपिल मिश्रा के एक भी सवाल का जवाब देने की हिम्मत नहीं दिखाई है।

स्वास्थ्य मंत्री का घोटाला छिपाया !
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ आयकर विभाग की जांच में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। उनपर पर हवाला के जरिए 16.39 करोड़ रुपये मंगाने का आरोप है। इन मामलों में उनकी सघन जांच हो रही है। इसके अलावा जैन पर अपनी ही बेटी को दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक परियोजना में सलाहकार बनाने का भी आरोप है। इस केस की जांच भी सीबीआई के जिम्मे है। शुंगलू कमेटी ने भी इस मामले में दिल्ली सरकार पर उंगली उठाई है। यहां ये बताना आवश्यक है कि कपिल मिश्रा ने इन्हीं पर केजरीवाल को पैसे देने के आरोप लगाए हैं। मिश्रा के अनुसार जैन ने अपनी करतूतों पर पर्दा डाले रखने के लिए केजरीवाल के किसी रिश्तेदार की 50 करोड़ रुपये की डील भी कराई है।

विज्ञापन घोटाला
केजरीवाल पर विज्ञापनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन का भी आरोप है। इसके लिए उनकी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूले भी जाने हैं। जांच में पाया गया है कि सरकारी विज्ञापनों के माध्यम से केजरीवाल ने अपनी और अपनी पार्टी का चेहरा चमकाने की कोशिश की है। इनमें से उनकी पार्टी की ओर से दिए गए कई झूठे और बेबुनियाद विज्ञापन भी शामिल हैं। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार भी केजरीवाल सरकार पर दूसरे राज्यों में अपने दल का प्रचार करने के लिए दिल्ली की जनता के खजाने पर डाका डालने का आरोप है। पहले साल के काम-काज पर तैयार रिपोर्ट कहती है कि पहले ही साल में केजरीवाल सरकार ने 29 करोड़ रुपये दूसरे राज्यों में अपने दल के विज्ञापन पर खर्च किए। 2015-16 में केजरीवाल ने जनता के 522 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च कर किए थे।

‘टॉक टू ए के’ घोटाला-
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ भी सीबीआई भ्रष्टाचार के मामले दर्ज कर जांच कर रही है। आरोपों के अनुसार सिसोदिया ने केजरीवाल के टॉक टू एके कार्यक्रम के प्रचार के लिए 1.5 करोड़ रुपये में एक पब्लिक रिलेशन कंपनी को काम सौंप दिया। जबकि मुख्य सचिव ने इसके लिए इजाजत नहीं देने को कहा था।

रिश्तेदार के साथ मिलकर घोटाला
दिल्ली के विवादास्पद सीएम केजरीवाल, उनके रिश्तेदार सुरेन्द्र कुमार बंसल और पीडब्ल्यूडी विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच हो रही है। इस केस में शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री के रिश्तेदार पर जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी कंपनियों के नाम से ठेके लेने और उसके लिए जाली बिल बनाकर सरकारी खजाना लूटने का आरोप भी लगाया है। सबसे गंभीर बात ये है कि इस केस को उजागर करने वाले पर हाल ही में जानलेवा हमला भी कराया गया है।

बीआरटी कॉरीडोर तोड़ने का घोटाला
केजरीवाल सरकार पर दिल्ली में बीआरटी कॉरीडोर को तोड़ने के लिए दिए गए ठेके में भी धांधली का आरोप लग चुका है। आरोपों के अनुसार इस मामले में दिल्ली सरकार ने ठेकेदार को तय रकम के अलावा कंक्रीट और लोहे का मलबा भी दे दिया, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये में थी। इस मामले में पिछले साल एसीबी छापेमारी करके कुछ दस्तावेज भी जब्त कर चुकी है।

स्ट्रीट लाइट घोटाला
आम आदमी पार्टी नेता राखी बिड़लान पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। आरोपों के अनुसार उन्होंने मंगोलपुरी में 15 हजार की सोलर स्ट्रीट लाइट को एक लाख रुपये और 10 हजार में लगने वाली सीसीटीवी कैमरों पर सरकार के 6 लाख रुपये उड़ा दिए। जब आम आदमी पार्टी में केजरीवाल की मर्जी के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता है तो फिर राखी पर लगे आरोपों की सही जांच होने देने से किसने रोका है ?

संसदीय सचिव घोटाला ?
13 मार्च, 2015 को आप सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया। ये जानते हुए भी कि यह लाभ का पद है, उन्होंने ये कदम उठाया। दरअसल उनकी मंशा अपने सभी साथियों को प्रसन्न रखना था। उनका इरादा अपने विधायकों को लालबत्ती वाली गाड़ी, ऑफिस और अन्य सरकारी सुविधाओं से लैस करना था, ताकि उनके ये भ्रष्ट साथी ऐश कर सकें। लेकिन कोर्ट में चुनौती मिली तो इनकी हेकड़ी गुम हो गई। हालांकि केजरीवाल सरकार ने ऐसा कानून भी बनाने की कोशिश कि जिससे संसदीय सचिव का पद संवैधानिक हो जाए। लेकिन हाई कोर्ट के आदेश से मजबूर होकर ये फैसला निरस्त करना पड़ा। अब उन विधायकों की सदस्यता पर चुनाव आयोग की तलवार लटकी हुई है।

सबसे बड़ी बात है कि केजरीवाल सत्ता मिलते ही शीला दीक्षित को जेल भेजने का दंभ भरते थे। वो उनके खिलाफ हजारों पन्नों का दस्तावेज भी रखने का दावा करते थे। लेकिन सत्ता में आते ही सारे सबूत और सारे आरोप हवा हो गए। शीला दीक्षित के खिलाफ कार्रवाई की बात तो दूर, उन्होंने खुद शीला की पार्टी की तरह ही भ्रष्टाचार और घोटालों को आत्मसात कर लिया। अब जब उनपर कपिल मिश्रा सबूतों-दस्तावेजों के साथ आरोप पर आरोप लगा रहे हैं तो उसका जवाब क्यों नहीं दे पा रहे? अगर कपिल झूठ बोल रहे हैं तो उनपर मुकदमा क्यों नहीं करते ? सत्येंद्र जैन को बचाने की कौन सी मजबूरी है? जैन उनका कौन सा राज जानते हैं ? आरोप सारे गंभीर हैं। लेकिन बिना सबूत दूसरों पर बड़े से बड़ा सनसनीखेज आरोप लगाने वाले केजरीवाल की अपने भ्रष्टाचारों पर बोलती बंद है। 

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