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आधार से लग रही भ्रष्टाचार पर लगाम, विरोधी चला रहे बदनाम करने का अभियान

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आधार कार्ड को लेकर चल रहे विवाद के बीच भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के पूर्व अध्यक्ष और इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि ने कहा है कि,आधार को बदनाम करने के लिए एक सोची-समझी रणनीति के तहत अभियान चलाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट इस पर फैसला करने वाला है। इसको देखते हुए ही आधार की छवि खराब करने का काम हो रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘अब कुछ नए फीचर आ गए हैं। अब कोई भी अपनी वर्चुअल आईडी बना सकता है। अब हर जगह अपना आधार नंबर देने की जरूरत खत्म हो गई है। वर्चुअल नंबर को अपने मुताबिक, कभी भी बदला जा सकेगा।’

आधार कार्ड की निजता और सुरक्षा को लेकर उठे सवाल के बाद इसकी सुरक्षा को और बेहतर करने के लिए कदम उठाए गए हैं। इसके लिए वर्चुअल आईडी से आधार को सुरक्षित करने की घोषणा की गई है। वर्चुअल आईडी की सुविधा 1 मार्च से मिलनी शुरू हो जाएगी।

क्या है वर्चुअल आईडी
वर्चुअल आईडी 16 अंको का एक कोड होगा जो आधार नंबर की जगह उपयोग किया जा सकेगा। अब आधार लिंक या सुविधा के लिए 12 अंकों वाला नंबर देना अनिवार्य नहीं होगा। इसके बदले वर्चुअल आइडी का इस्तेमाल कर सकेंगे। इससे लोगों की पहचान सुरक्षित रहेगी।

वर्चुअल आईडी कैसे करें जनरेट
*आधार की जगह वर्चुअल आईडी के लिए यूजर यूआईडीएआई की वेबसाइट या mAadhaar एप पर जाकर 16 अंकों का वर्चुअल आईडी जनरेट कर सकता है।

*यह वर्चुअल आईडी अनगिनत बार जनरेट किया जा सकेगा और नया आईडी जनरेट होते ही पुराना बेकार हो जाएगा।

*वर्चुअल आईडी अस्थायी होगी और इसे किसी भी समय वापस लिया जा सकेगा। हर आईडी की एक समय सीमा होगी। इस समय सीमा को यूजर खुद तय कर सकता है।

*वर्चुअल आइडी की नकल नहीं की जा सकेगी।

*नया वर्चुअल आईडी जनरेट करने में सिर्फ 10 सेकेंड का समय लगेगा।

*वर्चुअल आईडी से सिर्फ नाम, पता और व्यक्ति की फोटो को एक्सेस किया जा सकेगा।

आधार से लगेगी भ्रष्टाचार पर लगाम
आधार लिंक के कारण पिछले साढ़े तीन साल में 3 करोड़ 77 लाख फर्जी एलपीजी गैस कनेक्शन का पर्दाफाश हुआ, मिड डे मील पाने वाले 4 लाख 40 हजार फर्जी छात्रों का पता चला, 2 करोड़ 33 लाख फर्जी राशन कार्डों का खुलासा हुआ, मनरेगा में पंजीकृत लाखों फर्जी लोगों को हटाया गया, 1 लाख 30 हजार फर्जी कॉलेज शिक्षकों का भंडाफोड़ किया गया। आधार के कारण तमाम सरकारी विभागों और मंत्रालयों से लाभ लेने वाले लोगों के फर्जीवाड़े का पता चल रहा है। इससे न सिर्फ भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है, बल्कि सरकार का हजारों करोड़ रुपया भी बच रहा है।

आइए एक नजर डालते हैं भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करने में आधार कितना कारगर सिद्ध हो रहा है।

फायदा नंबर 1- 1.30 लाख फर्जी शिक्षकों का खुलासा
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बीते साल सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से कहा था कि वे अपने यहां कार्यरत शिक्षकों की जानकारी देते समय उनका 12 अंकों का आधार नंबर भी जरूर उपलब्ध कराएं। आधार नंबर के जरिये शिक्षकों के बारे में पता करने की प्रक्रिया के दौरान एक बड़ा खुलासा सामने आया है कि देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत बताए जा रहे 1,30,000 शिक्षक असल में हैं ही नहीं। livemint की खबर के अनुसार देश के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की संख्या करीब 14 लाख है। यानी अब आधार से पहचान के पुष्टिकरण के बाद इनमें से 10 प्रतिशत ऐसे निकले हैं जो असल में थे ही नहीं। 

फायदा नंबर 2- मिड डे मील योजना में भी फर्जी छात्रों का पर्दाफाश
यह एक बड़ा खुलासा है जो आधार के जरिये पहचान कन्फर्म करने की प्रक्रिया से सामने आया है। इससे पहले मध्यान्ह भोजन यानी मिड डे मील योजना में भी ऐसी ही गड़बड़ियां सामने आई थीं। पिछले वर्ष अप्रैल में पता चला था कि इस योजना में 4 लाख 40 हजार छात्रों का रजिस्ट्रेशन फर्जी तरीके से हुआ है। यह आंकड़ा भी सिर्फ तीन राज्यों-आंध्र प्रदेश, झारखंड और मणिपुर के बच्चों का था। ऐसे में अनुमान ही लगाया जा सकता है कि गड़बड़ी किस स्तर पर हो रही होगी और आधार लिंकेज इसका पर्दाफाश करने में कितना कारगर है। मोदी सरकार अपने सुधारवादी कार्यक्रमों में आधार लिंकेज को शामिल कर भ्रष्टाचार पनपाने वाले लीकेज को खत्म करने को लेकर प्रतिबद्ध है।

फायदा नंबर 3- राशन कार्ड से आधार जुड़ा तो मिले 2.33 करोड़ फर्जी 
आधार नंबर से राशन कार्ड को जोड़ने की योजना से भी सरकारी खजाने को राहत मिली है। खाद्य सब्सिडी में सालाना 14 हजार करोड़ रुपये की चोरी रुक गई है। आधार लिंकिंग से देश भर में कुल 2.33 करोड़ राशन कार्ड फर्जी मिले। इन कार्डों को रद्द कर दिया गया । केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में 23.20 करोड़ राशन कार्ड हैं जिसे शत प्रतिशत डिजिटल किया जा चुका है। अब तक 77 फीसदी राशन कार्ड को आधार से जोड़ा जा चुका है। इसमें 2.33 करोड़ राशन कार्ड फर्जी मिले। हाल ही में कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री यू टी खादर ने कहा था कि आधार  से लिंक करने वजह से राज्य में करीब 8.5 लाख फर्जी राशन कार्डों का पता चला है और इन्हें निरस्त कर दिया  गया है। उनके मुताबिक राशन की हर दुकान पर 60 से 70 फर्जी लाभार्थी दर्ज थे।

फायदा नंबर 4- पौने चार करोड़ फर्जी गैस कनेक्शन खत्म 
सरकार ने रसोई गैस कनेक्शन से आधार लिंक करना अनिवार्य कर दिया। इसके साथ ही गैस सब्सिडी आधार लिंक्ड बैंक खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर बेनिफिट के तहत जाने लगा। इससे नकली कनेक्शन और चोर-बाजारी की समस्या पर रोक लगाने में मदद मिली है। 1 दिसंबर,2017 तक के ताजा सरकारी आंकडों के मुताबिक आधार से लिंक करने की वजह से कुल 3,77,94,000 गैस कनेक्शन रद्द किए जा चुके हैं। इनमें फर्जी, एक नाम से अलग-अलग कंपनियों में कनेक्शन और निष्क्रिय गैस कनेक्शन शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा फर्जी गैस कनेक्शन रद्द किए गए हैं। वहीं एलपीजी कनेक्शन को आधार नंबर और बैंक खाते के जोड़ने के बाद से अब तक सरकार 29,668 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी की बचत कर चुकी है।

राज्य रद्द किए गए एलपीजी कनेक्शन 
उत्तर प्रदेश 55.87 लाख
महाराष्ट्र 36.15 लाख
आंध्र प्रदेश 28.72 लाख
बिहार 11.42 लाख
झारखंड 4.89 लाख

 

वित्त वर्ष सब्सिडी में बचत की रकम
2014-15 14,818 करोड़
2015-16 6,443 करोड़
2016-17 4,608 करोड़
2017-अब तक 3,799 करोड़

 

फायदा नंबर 5- मनरेगा के एक करोड़ फर्जी जॉब कार्ड रद्द 
मनरेगा में अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायतों को देखते हुए आधार नंबर को इस योजना के लिए अनिवार्य कर दिया। आधार नंबर लिंक होने पर मनरेगा में देश भर में एक करोड़ से ज्यादा जॉब कार्ड फर्जी मिले। सरकार ने तत्काल प्रभाव से फर्जी जॉब कार्ड को रद्द कर दिया।

फायदा नंबर 6- DBT से हुई 49,560 करोड़ की बचत
वर्ल्ड बैंक की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक आधार की वजह से सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं में 11 अरब डॉलर वार्षिक की बचत हुई है। पिछले साल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए एक हलफनामें में कहा था कि डायेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम (DBT) के जरिए 2014-15 और 2015-16 में 49,560 करोड़ रुपये की बजत हुई है, यानी इससे पहले यह रकम फर्जी लाभार्थियों को दी जा रही थी।

फायदा नंबर 7- बिछड़े परिजनों को मिलाया
आधार सिर्फ भ्रष्टाचार रोकने में ही नहीं, लापता परिजनों को खोजने में भी कारगर साबित हुआ है। आधार कार्ड पहचान का आधार होने के साथ-साथ अपनों को मिलाने का जरिया भी बन रहा है। आधार कार्ड बने होने की वजह से अपनों से बिछड़ गए सैकड़ों लोगों को वापस अपना परिवार मिल गया है। आधार नंबर की बदौलत 500 गुमशुदा बच्चों का पता लगाया गया। इसका सबसे बड़ा मानवीय पक्ष यह है कि अगर आधार न होता तो सैकड़ों व्यक्ति गुमनामी के अंधेरे खो गए होते।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने संसद में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए Prevention of Money-Laundering (Maintenance of Records) पारित किया। इस कानून के तहत सरकार ने कई योजनाओं और सेवाओं के साथ आधार नंबर से लिंक करना अनिवार्य कर दिया है। जाहिर है सरकार के इस कदम से सब्सिडी बिचौलिए की जेब में न जाकर लाभार्थियों के खाते में जा रही है। 

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