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मोदी सरकार का कमाल: डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से 2017-18 में 33 हजार करोड़ रुपये की बचत

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब से सत्ता संभाली है, उनकी प्राथमिकता भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की रही है। मोदी सरकार की शुरू से ही भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टोलरेंस की नीति रही है। 2014 के बाद से ही मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के सभी रास्तों को धीरे-धीरे बंद करना शुरू कर दिया था। इन्हीं में से एक रास्ता था सरकार की तरफ से पेंशन, फूड सब्सिडी, यूरिया सब्सिडी आदि के नाम पर दिए जाने वाले रुपयों की लूट को बचाना। पहले जहां करीब 30 योजनाएं ही डीबीटी यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना से जुड़ी थी, वहीं मोदी सरकार ने 400 से अधिक सरकारी योजनाओं को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना से जोड़ा है। इसी का असर है कि वित्त वर्ष 2017-18 में सरकार को डीबीटी से 32,984 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है।

डीबीटी के माध्यम से अब तक 90 हजार करोड़ से अधिक बचाए गए
2014 में मोदी सरकार ने जब ये योजना लॉन्च की थी, तब से मार्च, 2018 करीब 3.7 लाख करोड़ रुपये लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर किए जा चुके हैं। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक डीबीटी योजना की शुरुआत से मार्च, 2018 तक मोदी सरकार ने 90,013 करोड़ रुपये की बचत की है। पिछले वित्त वर्ष में डीबीटी को आधार से जोड़ने और सभी तरह फूड और खाद सब्सिडी को इससे जोड़ने की वजह से बचत में खासी बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2017-18 में डीबीटी योजना के जरिए जो 32,984 करोड़ रुपये की बचत हुई है, उसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न बांटने में 15,708 करोड़ रुपये, एलपीजी-पहल योजना के तहत 12,506 करोड़ रुपये और मनरेगा के तहत 4,332 करोड़ रुपये का योगदान है। सरकार को यह फायदा फर्जी लाभार्थियों को इन योजनाओं से हटाने से हुआ है।

मोदी सरकार ने चार वर्षों में भ्रष्टाचार और सरकारी धन की लूट-खसोट रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। एक नजर डालते हैं उन कदमों पर-

मोदी सरकार के व्यापक सुधारों ने कालेधन-भ्रष्टाचार पर कसी नकेल
संविधान में संसाधनों के न्यायोचित और समान वितरण के लिए जिस व्यवस्था को मूर्त रूप दिया गया, उसमें कांग्रेस के शासनकाल के दौरान घुन लग गया। व्यवस्था को चलाने वालों में नैतिक मूल्यों का ऐसा पतन हुआ था कि उन्होंने कोयले, पानी, स्पेक्ट्रम, अनाज, देश की सुरक्षा के लिए खरीदे जाने वाले हथियारों को ही व्यक्तिगत मुनाफा कमाने का तरीका बना लिया था। साल 2014 तक स्थिति इतनी अधिक भयावह हो गई कि देश के हर गली -मोहल्ले और सड़क पर कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन खड़ा हो गया। इस आंदोलन के कारण कांग्रेस को 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार का मुंह देखना पड़ा और नरेन्द्र मोदी ऐतिहासिक पूर्ण बहुमत के साथ प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हुए।

देश में कालाधन रखने वालों की जानकारी को एकत्रित किया कांग्रेस सरकार में 2004-14 के दौरान, देश में भ्रष्टाचार चरम पर था। 2009 में सर्वोच्च न्यायालय में कालेधन पर एक लोकहित याचिका दायर की गई। याचिका में सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई गई कि देश में पैदा हो रहे कालेधन को जिसे विदेशी बैंकों में जमा किया जा रहा है, उसकी छानबीन की जाए और उस पर रोक लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। इस याचिका पर, 2011 में सर्वोच्च न्यायालय ने तब की केन्द्र की कांग्रेस सरकार को कालेधन के बारे में पता लगाने के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश दिया। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह  ने कुछ विशेष लोगों के दबाव में एसआईटी का गठन नहीं किया। 26 मई 2014 को नई सरकार बनने के साथ ही  प्रधानमंत्री मोदी ने पहली कैबिनेट बैठक मे ही न्यायाधीश एम बी शाह की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन कर दिया। एसआईटी अबतक सरकार और सर्वोच्च न्यायालय को कई रिपोर्ट्स के साथ कालेधन के मालिकों की लिस्ट  दे चुकी है। इन जानकारियों के ही आधार पर सरकार ने कालेधन पर नकेल कसने के लिए कई सारे कदम उठाये ।

कालेधन में लेनदेन खत्म करने के लिए जन धन योजना – बैंकिंग व्यवस्था के माध्यम से लेनदेन होने से, पूरी अर्थव्यवस्था में रुपये का प्रवाह पारदर्शी होता है, लेकिन 2014 तक देश में बहुत ही कम लोगों का बैंकों में खाता होता था, जिसकी वजह से व्यवस्था में पूरा लेनदेन पूरी नगद राशि में ही होता। नगद में लेन देन होने से कालाधन आसानी से पैदा हो रहा था और आर्थिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार चरम पर था लेकिन कांग्रेस की मनमोहन सरकार के पास इसे नियंत्रित करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री जन धन योजना का शुभारंभ करके, नगद में लेनदेन की स्थिति को बदल दिया। आज पूरे देश में लगभग 32 करोड़ वयस्कों के पास बैंक खाता हैं।

कालाधन पैदा करने वाले स्रोतों को बंद करने के लिए कानून बनायाप्रधानमंत्री मोदी ने एसआईटी के गठन के साथ -साथ देश में उन स्रोतों को जहां से कालाधन पैदा हो रहा था और नगद में लेनदेन पर लगाम लगाने के लिए नये कानूनों को संसद से पारित करवाया। इनमें से कुछ प्रमुख कानून इस तरह से हैं-

• स्विस बैंकों में रखे गए काले धन के बारे में सूचना साझा करने के मकसद से भारत और स्विट्जरलैंड के बीच संशोधित दोहरा कर बचाव संधि (डीटीएए) किया। डीटीएए के तहत कई देशों के साथ समझौते किए गए। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के देश, साल 2017 से काला धन जमा करने वालों के नाम की लिस्ट देने के लिए सहमत हो गए हैं।

• विदेशो में भारतीयों के काले धन पर लगाम लगाने के लिए कालाधन और इम्‍पोजिशन ऑफ टैक्‍स एक्ट, 2015 को संसद में पारित करवाया। इस कालाधन कानून के तहत विदेश से होने वाली आय और संपत्ति के मू्ल्यांकन के नियमों को लागू कर दिया। इसमें विदेशी संपत्तियों और आय का खुलासा नहीं करने पर सख्‍त सजा का प्रावधान किया गया । इसके जरिए विदेशी संपत्तियों से होने वाली आय को छुपाने और कर चोरी पर 10 साल की सजा निश्चित कर दी गई। इसके अलावा 300 प्रतिशत जुर्माने का प्रावधान भी किया।

 काले धन पर लगाम लगाने के लिए आईडीएस इनकम डिक्लेरेशन स्कीम 1 जून 2016 से लागू किया। यह स्कीम 30 सितंबर 2016 तक जारी रही। इस योजना के माध्यम से ही देश में लोगों ने हजारों करोड़ रुपये  का कालाधन घोषित किया।

• रियल एस्टेट में कालेधन पर लगाम लगाने के लिए इनकम टैक्स एक्ट में  बदलाव किया गया। इस बदलाव ने रियल एस्टेट में 20 हजार से ज्यादा के नगद लेनदेन पर रोक लगा दी। 20 हजार से अधिक नगद लेनदेन  करने पर 20 फीसदी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया। 1 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति की खरीददारी या बिक्री पर पैन देना अनिवार्य हो चुका है।

• काले धन पर अंकुश लगाने के लिए बेनामी लेनदेन (प्रतिबंध) संशोधन विधेयक को संसद में पास किया गया। 1 नवंबर 2016 को इस कानून को लागू कर दिया गया। इससे रियल एस्टेट और सोने की  बेनामी खरीदारी पर लगाम लगी। कानून ने  विदेशों में काला धन छिपाने वालों को दस साल  की सजा और नब्बे फीसदी का जुर्माना कर दिया। अब इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में संपत्ति की जानकारी छिपाने पर सात साल की सजा दी जाती है।

नोटबंदी के ऐतिहासिक कदम से तीन लाख फर्जी कंपनियों का कालेधन का धंधा बंद
08 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए 500 और 1000 रुपये के नोट को बंद करने का निर्णय लिया। कालेधन पर, प्रधानमंत्री मोदी का यह सबसे घातक सर्जिकल स्ट्राइक था। इसने देश में जाली नोटों के कारोबार को पूरी तरह से बंद कर दिया। कालेधन और जाली नोटों से चलने वाले उग्रवादी और आतंकवादी संगठनों की कमर टूट गई। नोटबंदी ने देश की तीन लाख फर्जी कंपनियों को बेनकाब कर दिया। इन कंपनियों का पता चलते ही सरकार ने इन्हें खत्म कर दिया और कंपनियों के निदेशकों को आजीवन ब्लैकलिस्ट कर दिया। नोटबंदी ने देश में  टैक्स देने वालों की संख्या को दोगुना कर दिया। आज देश में  सात करोड़ लोग टैक्स देते हैं, जबकि अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार के दौरान मात्र तीन करोड़ लोग टैक्स देते थे।

डिजिटल पेपेंट ने कालेधन की उपज को खत्म किया-प्रधानमंत्री मोदी ने देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए भीम एप लॉन्च किया। इस एप से 89 बैंकों में लेनदेन करने के लिए डिजिटल सुविधा जनता के हाथों में पहुंच गई, बैंकिंग के काम सरल और देश में हर जगह सुलभ हो गए।  मार्च 2018 तक देश में 2.64 करोड़ लोग भीम एप का इस्तेमाल कर रहे थे। एप के जरिए लेनदेन देश में तेजी से बढ़ रहा है। 18 मार्च 2018 तक 4972.69 करोड़ रुपये का लेन देन लोग कर चुके थे। इसी तरह से क्रेडिट, डेबिट कार्ड और चेक के जरिए होने वाले लेनदेन ने आर्थिक व्यवस्था को पारदर्शी बना दिया है, जो 2014 के पहले एकदम से ही नहीं थी।

सरकारी खरीद और नीलामी में ऑनलाइन व्यवस्था ने भ्रष्टाचार खत्म कियाकांग्रेस सरकार ने कोयला, स्पेक्ट्रम, जमीन और अयस्कों की नीलामी में जिस तरह से लाखों करोड़ रुपये का घोटाला किया था उसकी पुनरावृत्ति को खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी को ऑनलाइन कर दिया। व्यवस्था पारदर्शी बन चुकी है। अब सरकार के विभिन्न विभागों में सामानों की खरीदारी के लिए ऑनलाइन मार्केट GeM बना चुका है, जिस पर लाखों करोड़ की खरीददारी होती है और सरकारी कामों में बिचौलियों के राज का अंत हो चुका है।

सरकारी विभागों में कार्य करने का तरीका बदला2014 तक देश के केन्द्रीय मंत्रालयों के कार्यालय और अधिकारियों में जनता के प्रति संवेदनहीनता चरम पर थी। सरकारी कार्यालयों में अस्वच्छता और अनुशासनहीनता का आलम था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस स्थिति में जबरदस्त परिवर्तन ला दिया है। बायोमेट्रिक प्रणाली ने समय पर कार्यालय पहुंचने का अनुशासन पैदा किया है। काम में अनुशासन को बनाने के लिए  प्रधानमंत्री स्वयं हर महीने PRAGATI – Pro-Active Governance and Timely Implementation की बैठकों के जरिए देश के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने एक तरफ जहां सरकारी कार्यालयों में कामकाज करने का ढंग बदला है वहीं जनता को सरकार से जुड़ने और हर समस्या के समाधान पर सुझाव देने के लिए MyGov का प्लेटफॉर्म भी दिया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले चार सालों में आर्थिक व्यवस्था और सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता और संवेदनहीनता को खत्म करके एक सुशासन की व्यवस्था दी है, जो पिछली कांग्रेसी सरकारें करने में अक्षम थी।

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