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कश्मीर में सेना का कसता शिकंजा, इस साल अब तक 200 आतंकी ढेर

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जम्मू-कश्मीर में आतंकियों पर सेना का शिकंजा कसता जा रहा है। राज्य के बडगाम और सोपोर इलाके में दो अलग-अलग ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने पांच आतंकियों को ढेर कर दिया। इसके साथ ही इस साल जम्मू कश्मीर में आतंकियों की मारे जाने की संख्या 200 तक पहुंच चुकी है। हालत यह है घाटी में लश्कर, जैश और हिज्बुल के टॉप कमांडर के एक-एक करके मारे जाने के बाद से आतंकियों की कमर टूट गई है।

बदलने लगी है घाटी की फिजा
इसके पहले 18 नवंबर को कश्मीर में आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई में तब बड़ी सफलता मिली, जब जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले में छह पाकिस्तानी आतंकवादियों को घेर कर ढेर कर दिया गया। मारे गए आतंकियों में मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकी उर रहमान लखवी का भतीजा ओसामा जांगवी के साथ लश्कर ए तैयबा का दो कमांडर भी था। इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी बात ये है कि इसके बाद कश्मीर घाटी में पाकिस्तान समर्थित लश्कर ए तैयबा के शीर्ष नेतृत्व का सफाया हो गया है। हालात ये हैं कि अब आतंकी संगठनों को नये कमांडर भी नहीं मिल पा रहे हैं।

दरअसल इस साल जनवरी में शुरू किए गए ‘ऑपरेशन ऑल आउट’ के कारण कश्मीर में आतंकियों के हौसले पस्त हैं और उनके पांव जमीन से उखड़ रहे हैं। अधिकतर आतंकी या तो अंडरग्राउंड हो चुके हैं या फिर आतंक का रास्ता छोड़ कहीं छिप गए हैं। आतंकियों के विरुद्ध प्रधानमंत्री मोदी की Zero Tolerance की नीति अपना रंग दिखा रही है और कश्मीर में जल्द ही अमन लौटने की उम्मीद जग गई है।

इस साल 200 से अधिक आतंकवादी किए गए ढेर
ऑपरेशन ऑल आउट के तहत लश्कर ए तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन और जैश ए मोहम्मद के करीब 258 आतंकियों की एक लिस्ट तैयार की गई थी। इसके लिए सेना ने सभी आतंकी गतिविधियों का एक खाका तैयार किया और पूरा ऑपरेशन शुरू किया गया। जनवरी में इस अभियान के शुरू होने से अब तक कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में अब तक कुल 200 आतंकवादी ढेर किए जा चुके हैं। मारे गए आतंकियों में से 120 से अधिक सीमापार के और बाकी बचे आतंकी स्थानीय हैं। बड़ी बात ये है कि इनमें से 66 आतंकियों को तो घुसपैठ के दौरान ही मार गिराया गया।

यूपीए की तुलना में 133 प्रतिशत अधिक आतंकी मारे गए
मोदी सरकार में आतंकियों के समूल सफाये का अभियान चल रहा है और बीते तीन साढ़े वर्षों में यूपीए सरकार के आखिरी तीन सालों की तुलना में मारे गए आतंकियों की संख्या दोगुनी से भी अधिक है। मोदी सरकार के साढ़े तीन सालों के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि अब तक 558 आतंकियों को ढेर कर दिया गया है, यानी यूपीए सरकार के आखिरी तीन सालों के 239 आतंकियों की तुलना में 130 प्रतिशत से भी अधिक आतंकियों को ढेर कर दिया गया है।

 

        यूपीए के तीन साल में मारे गए आतंकी

        वर्ष मारे गए आतंकियों की संख्या
        2011               100
        2012                72
        2013                67

 

मोदी सरकार के साढ़े तीन साल में मारे गए आतंकी

       वर्ष मारे गए आतंकियों की संख्या
        2014                    110
       2015                 108
       2016                 150  
2017, 30 नवंबर तक                 200

 

कुख्यात आतंकवादियों का चुन-चुनकर किया जा रहा खात्मा
कश्मीर में पिछले कुछ महीनों में ही सेना और अर्धसैनिक बलों ने लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन के 14 से ज्यादा कमांडर और अहम जिम्मेदारियां संभालने वाले आतंकियों को मार गिराया है। मारे गए बड़े आतंकी चेहरों में- अबू दुजाना (लश्कर), अबू इस्माइल (लश्कर), बशीर लश्करी (लश्कर), महमूद गजनवी (हिजबुल), जुनैद मट्टू (लश्कर), यासीन इट्टू उर्फ ‘गजनवी’ (हिजबुल) और ओसामा जांगवी मुख्य था। इनके अलावा बशीर वानी, सद्दाम पद्दर, मोहम्मद यासीन और अल्ताफ भी सुरक्षा बलों की गोलियों का शिकार हो गया।

अबु दुजाना के लिए चित्र परिणाम

मारे गए प्रमुख आतंकियों की सूची-

  • बुरहान मुजफ्फर वानी, हिजबुल मुजाहिदीन
  • अबु दुजाना, लश्कर ए तैयबा कमांडर
  • बशीर लश्करी, लश्कर ए तैयबा
  • सब्जार अहमद बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन
  • जुनैद मट्टू, लश्कर ए तैयबा
  • सजाद अहमद गिलकर, लश्क ए तैयबा
  • आशिक हुसैन बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर
  • अबू हाफिज, लश्कर ए तैयबा
  • तारिक पंडित, हिजबुल मुजाहिदीन
  • यासीन इट्टू ऊर्फ गजनवी, हिजबुल मुजाहिदीन
  • अबू इस्माइल, लश्कर ए तैयबा
  • ओसामा जांगवी, लश्कर ए तैयबा
  • ओवैद, लश्कर ए तैयबा

‘खोजो और मारो’ अभियान से डरकर पाकिस्तान भाग रहे आतंकी
11 जुलाई को अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर हमले के बाद अब कश्मीर में आतंकियों को जिंदा पकड़ने की बाध्यता को खत्म करते हए ‘खोजो और मारो’ की नई नीति बनाई गई। इसके साथ ही सेना ने दूसरी रणनीति भी शुरू की और ये थी, ‘आबादी में घेरो, जंगल में मारो’। दरअसल ऑपरेशन ऑल आउट के लिए सेना ने 130 स्थानीय और 128 विदेशी आतंकवादी की लिस्ट तैयार की थी उनमें से अब तक 200 मारे जा चुके हैं। अब जो 58 आतंकी बचे हुए हैं, वे या तो अंडर ग्राउंड हो गए हैं या फिर पाकिस्तान भाग गए हैं।

कश्मीर में अब भाग रहे हैं आतंकी, NIA की कार्रवाई के बाद कामयाबी: जेटली, national news in hindi, national news

सुरक्षा बलों के इंटेलिजेंस नेटवर्क से आतंकवादियों पर नकेल
ऑपरेशन ऑल आउट के तहत इंटेलीजेंस नेटवर्क इतना पुख्ता हो गया कि आतंकियों को उनके बिलों से ढूंढकर बाहर निकाला जाने लगा। सेना का यह पूरा ऑपरेशन एक खास योजना पर आधारित था। सेना के इंटेलिजेंस इनपुट में सुधार और एक्शन के कारण एक तो नये आतंकवादियों की भर्ती नहीं पा रही है, ऊपर से हाल ये है कि जितनी भर्ती होते हैं उससे दोगुने आतंकवादियों को ढेर कर दिया जा रहा है।

पीएम मोदी की नीति से आतंकी गुटों में पड़ी बड़ी फूट
लगातार मारे जा रहे आतंकियों का असर आतंकी संगठनों की एकता पर भी पडऩे लगा है। हिजबुल मुजाहिद्दीन और अलकायदा एक दूसरे पर पुलिस और सुरक्षा बलों से मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं। हिजबुल मुजाहिद्दीन ने पोस्टर्स के जरिये अपने पूर्व कमांडर जाकिर मूसा पर आरोप लगाये हैं कि वह कश्मीरियों की हत्या में भारतीय सेना की मदद कर रहा है। वहीं कश्मीर के लोग भी अब यह मान रहे हैं कि आतंकियों का मंसूबा कश्मीर को स्वतंत्र करवाना नहीं, बल्कि वहां इस्लामी साम्राज्य कायम करना है।

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टेरर फंडिंग नेटवर्क को ध्वस्त करने का चल रहा अभियान
एक तरफ जहां आतंकवादियों का सफाया किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर आतंकवादी समूहों से सहानुभूति रखने वालों और उन तक फंड पहुंचाने वालों के खिलाफ भी कारवाई की जा रही है। सैयद अली शाह गिलानी, यासीन मलिक और मीर वाइज उमर फारुख पर शिकंजा कसा गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने तो अलगाववादी नेता शब्बीर शाह के खिलाफ आतंकवादी हाफिज सईद से संबंधों  के खुलासे के बाद चार्जशीट भी दायर कर दी है, वहीं निर्दलीय विधायक रशीद इंजीनियर भी राडार पर है।

अलगाववादी के लिए चित्र परिणाम

अलगाववादियों पर कसा शिकंजा, पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी
अलगाववादियों पर एनआईए के छापे और आतंकी कमांडरों के खिलाफ लगातार कार्रवाई से भी पत्थरबाजों के हौसले पस्त हैं। दूसरी ओर नोटबंदी के लागू होने के बाद पत्थरबाजी की घटनाओं में 90 प्रतिशत तक की कमी आ गई है। गौरतलब है कि पिछले साल 1 दिन में 40-50 ऐसी घटनाएं होती थीं, लेकिन अब इन एक दिन में पांच-छह घटनाएं ही होती हैं और उनमें भी पत्थरबाजों की संख्या महज दस-बीस ही रहती है।

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मोदी सरकार की ‘गले लगाने’ की प्रक्रिया को मिल रही सफलता
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से कहा था कि न गाली से, न गोली से… कश्मीर की समस्या गले लगाने से हल होगी। उन्होंने शांति की पहल की है और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर दिनेश्वर शर्मा को कश्मीर में शांति वार्ता के लिए भेजा भी है। वे सभी स्टेक होल्डर्स से बातचीत की प्रक्रिया आगे भी बढ़ा रहे हैं। दूसरी ओर सुरक्षा एजेंसियां भी सिर्फ आतंकियों को मार गिराने में सक्रिय नहीं हैं, बल्कि स्थानीय युवकों को पकड़ने, उनके आत्मसमर्पण को विश्वसनीय बनाने से लेकर नये लड़कों को आतंकी संगठनों में शामिल होने से रोकने के मोर्चे पर काम कर रही है। इसकी सफलता इस बात से समझी जा सकती है कि इसी साल 60 लड़कों को आतंकी संगठनों की चंगुल से बचाया गया है और उन्हें मुख्य धारा से जोड़ा गया है, जबकि 11 आतंकियों ने हथियार सहित सुरक्षा बलों के समक्ष सरेंडर कर दिया है।

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आतंकवाद का संरक्षक देश घोषित हुआ पाकिस्तान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के चलते अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को आतंकवादियों की शरणस्थली वाले देशों की सूची में डाल दिया है। इसके साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, नार्वे, कनाडा, ईरान जैसे देशों ने आतंक के खिलाफ एकजुटता का वादा भी किया है।

अच्छे बुरे आतंकवाद के लिए चित्र परिणाम

पाकिस्तान पड़ा अलग-थलग
कहावत है जब सीधी उंगली से घी न निकले तो उसे टेढ़ी करनी पड़ती है… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जबसे उंगली टेढ़ी करनी शुरू की है, तब से पाकिस्तान सीधी राह चलने लगा है। पीएम मोदी की पहल पर एक तरफ अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद फैलाने पर लताड़ लगाई तो ब्रिक्स देशों ने भी पाकिस्तान को साफ कर दिया कि वह अपने यहां पल रहे आतंकियों पर कार्रवाई करे। नतीजा हुआ कि अब तक डिनायल मोड में चल रहे पाकिस्तान ने मान लिया है कि उसकी जमीन से लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन संचालित हो रहे हैं। इतना ही नहीं अब तो पाक सेना भी मानने लगी है कि पाक में आतंकी जिहाद नहीं, फसाद फैला रहे हैं।

सलाउद्दीन पर लगा प्रतिबंध
प्रधानमंत्री मोदी के दबाव के कारण अमेरिका ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों को संरक्षण और बढ़ावा देता है। पाकिस्तान में इनको ट्रेनिंग मिलती हैं और यहां से ही इन आतंकवादी संगठनों की फंडिंग हो रही है। 26 जून को अमेरिका ने हिजबुल सरगना सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकी घोषित किया तो साफ हो गया कि आतंक के मामले पर अमेरिका अब भाारत के साथ पूरी तरह खुलकर खड़ा है। दरअसल सलाउद्दीन का जम्मू-कश्मीर में कई हमलों के पीछे उसका हाथ रहा है। आतंकवाद के खिलाफ भारत द्वारा वैश्विक स्तर पर चलाए जा रहे अभियान की यह एक बड़ी सफलता है।

हिजबुल मुजाहिदीन पर बैन
प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों के चलते अमेरिका ने 16 अगस्त, 2017 को हिजबुल मुजाहिदीन को आतंकी संगठन करार दे दिया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हिजबुल मुजाहिद्दीन को आतंकवादी संगठन घोषित करने से इसे आतंकवादी हमले करने के लिए जरूरी संसाधन नहीं मिलेगा, अमेरिका में इसकी संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगी और अमेरिकी नागरिकों को इससे संबद्धता रखने पर प्रतिबंधित होगा। अमेरिका ने यह भी कहा कि हिजबुल कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है। अमेरिका इससे पहले लश्कर के मुखौटा संगठन जमात उद दावा और संसद हमले में शामिल जैश ए मोहम्मद पर पाबंदी लगा चुका है।

स्थानीय लोगों का बढ़ा भरोसा
भारतीय सेना के बारे में भले ही जो भी छवि गढ़ने की कुत्सित कोशिश की जाती रही हो, लेकिन जमीन पर हालात अलग है। कश्मीर के ज्यादातर लोगों को सेना पसंद हैं, उनके काम पसंद हैं और स्थानीय लोगों से उनका जुड़ाव पसंद है। सेना भी कश्मीरियों का भला करने में पीछे नहीं रहती है। आर्मी गुडविल स्कूल के तहत जरूरतमंदों को शिक्षा मुहैया करना हो या फिर सुपर-40 के जरिये प्रतिभाओं को नई धार देने की कोशिश, सब में सेना बढ़-चढ़ कर शामिल रहती है। सेना में युवाओं के भर्ती अभियान को भारी सफलता मिल रही है। कश्मीर में लड़कियां खेल रही हैं क्रिकेट और फुटबॉल। कट्टरपंथियों को कश्मीर से युवा जवाब दे रहे हैं और मुख्यधारा से जुड़ने को बेताब हैं।

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